कांची भाग – ४

कांची भाग – ४

अक्तूबर के महीने में कांची की सड़कों पर दोपहर की चिलचिलाती धूप में घूमते हुए गरमी का अच्छा-ख़ासा एहसास होते रहता है। लेकिन कांची के किसी प्राचीन मंदिर में प्रवेश करते ही गरमी भाग जाती है। इसका मुख्य कारण है, इन मंदिरों के निर्माण में इस्तेमाल किया गया उस समय का पत्थर। इसी कारण बाहर […]

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कांची भाग – ३ 

कांची भाग – ३ 

  स्कूल में भूगोल इस विषय का अविभाज्य अंग रहता था, ऩक़्शा (मॅप) और उससे संबंधित प्रश्‍न। ऩक़्शे में कुछ विशिष्ट स्थानों (जैसे गाँव, नदी, क़िला, घर इत्यादि) को निदर्शित करने के लिए कुछ विशिष्ट संकेतचिह्न निश्‍चित किये गये थे। फ़िर वे संकेतचिह्न ही उन स्थानों की पहचान बन जाते थे। दक्षिणी भारत की सुस्पष्ट […]

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कांची भाग – २

कांची भाग – २

अध्यात्म, ज्ञान और शिल्पसुन्दरता इनका अनोखा मिलाप रहनेवानी यह कांची नगरी पल्लव राजाओं के शासनकाल में प्रगति के शिखर पर विराजमान थी। पल्लव राजाओं में से ‘महेंद्रवर्मन्’ और ‘नरसिंहवर्मन्’ ने कई मंदिरों तथा वास्तुओं का निर्माण कर कांची की सुन्दरता में चार चाँद तो लगाये ही थे और साथ ही उन्होंने बाहरी आक्रमणों से कांची […]

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कांची भाग – १

कांची भाग – १

भारतीय महिलाओं का ‘वीक पॉईंट’क्या है? मेरे ख़याल से इस प्रश्‍न के कई जवाब हो सकते हैं। मग़र फ़िर भी अधिकतर भारतीय महिलाओं का ‘वीक पॉईंट’ होता है, साड़ी। दरअसल देश के हर एक प्रदेश के अनुसार सा़डियों के भी कई प्रकार हैं। लेकिन साड़ियों के प्रमुख प्रकारों में हमेशा एक नाम होता है,‘कांजीवरम्’ साड़ी […]

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शिलाँग

शिलाँग

आसमान में काले घने बादल छा गये हैं, ठंडी हवा का झोंका आ रहा है और अब बादल किसी भी पल बरस सकते हैं, ऐसा बस हम सोच ही रहे हैं की यकायक बड़ी बड़ी बूँदें बरसने लगती हैं। हम सभी ने कभी न कभी किसी न किसी बारिश के मौसम में इस तरह का […]

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ग्वालियर भाग – ४

ग्वालियर भाग – ४

लंबी-चौड़ी मेज़ पर सुव्यवस्थित रूप से रखी गयी रेल की पटरियाँ और उनपर से दौड़नेवाली छोटीसी रेल गाड़ी। मैं पॅसेंजर रेल गाड़ी की बात नहीं कर रही हूँ; यह रेल गाड़ी है चाँदी की! मेज़ पर बिछायी गयी पटरियों पर से दौड़नेवाली चाँदी की रेल गाड़ी, है ना हैरत अंगेज़ कर देनेवाली बात! ग्वालियर के […]

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ग्वालियर भाग – ३

ग्वालियर भाग – ३

ग्वालियर के क़िले में हमारी मुलाक़ात सास-बहू की जिस जोड़ी के साथ होती है, वह टि. व्हि. सिरीयल्स की सास-बहुओं से बिलकुल ही निराली है। इस सास-बहू की सब से बड़ी ख़ासियत यह है कि गत कई सदियों से वे बड़े प्यार से पड़ोसन बनकर रह रही हैं। चलिए, अब आपकी उत्सुकता को अधिक न […]

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ग्वाल्हेर भाग – २

ग्वाल्हेर भाग – २

अब १८५७ के भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की ज्वाला का़फ़ी भड़क उठी थी। उत्तरी भारत में हज़ारों वीर ज़ुलमी अँग्रेज़ हुकूमत के खिला़फ़ जूझ रहे थे। इस स्वतन्त्रता संग्राम में अग्रसर थे – झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, नानासाहब पेशवा और तात्या टोपे। इस स्वतन्त्रता संग्राम में ग्वालियर के क़िले की भूमिका का़फ़ी अहम रही है। इन […]

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ग्वाल्हेर भाग – १

ग्वाल्हेर भाग – १

मध्यप्रदेश, भारत में मध्यवर्ति स्थान पर बसा हुआ प्रदेश। मध्यप्रदेश का नाम लेते ही याद आती है, इंदौर, जबलपुर, माहेश्‍वरी, चंदेरी इनकी और इन्हीं के साथ और एक नाम याद आता है, ‘ग्वालियर’। स्कूल में इतिहास में कई बार इस शहर का परिचय मात्र हो चुका था। आगे चलकर यह बात ध्यान में आयी कि […]

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उदयपुर भाग- ४

उदयपुर भाग- ४

उदयपुर के सिटी पॅलेस में प्रवेश करते ही सामने के राजमहल की ओर जब हम देखते हैं, तो उसी पल हम उसकी भव्यता और विशालता को महसूस करते हैं। प्रवेशद्वार में से प्रवेश करते ही सामने दिखायी देता है, बहुत बड़ा आँगन और उसके बाद जैसे जैसे हम आगे बढ़ते हैं, वैसे वैसे हमें उदयपुर […]

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