बीकानेर भाग – २

बीकानेर भाग – २

थर के रेगिस्तान के इस शहर का जिस तरह ऊँट के साथ गहरा रिश्ता है; उसी तरह खानपानसंबंधित अन्य दो बातों के साथ भी इस शहर का काफ़ी गहरा संबंध है। बीकानेर कहते ही याद आते हैं, बीकानेरी पापड और बीकानेरी भुजिया। १५वी सदी में स्थापित हुए बीकानेर में, भारत के आज़ाद हो जाने तक […]

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बीकानेर भाग – १

बीकानेर भाग – १

गगन में से आग बरसाता सूरज और पैरों तले दूर दूर तक फैला हुआ गरम रेत का सागर! तो आइए! आज इस रेत के सागर की यानि कि रेगिस्तान की सफ़र करने निकलते हैं। इस वर्णन से आप यह समझ ही गये होंगे कि आज हम सफ़र करने निकले हैं, राजस्थान की। जी हाँ! आपका […]

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कोणार्क भाग – ३

कोणार्क भाग – ३

कोणार्क के इस विशाल सूर्यमंदिर का निर्माणकार्य जब पूरा हो चुका होगा, तब उसे देखकर यहाँ की मिट्टी का दिल भी भर आया होगा। इस मंदिर के निर्माण में कुल बारह वर्ष का समय व्यतीत हुआ। इस मंदिर में सूर्यभगवान की मूर्ति की प्रतिष्ठापना भी की गयी थी और उसकी पूजा भी की जाती थी। […]

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कोणार्क भाग – २

कोणार्क भाग – २

सूर्यमहाराज का रथ हमेशा की तरह अपने काम के लिए निकल चुका है और अब उनके साथ हम भी उनके लिए बनाये गये कोणार्क के विशाल मंदिर का सफ़र शुरू करते हैं। भव्य, प्रदीर्घ, विशाल इन जैसे कईं विशेषणों से इस सूर्यमंदिर का वर्णन करें, तब भी वह कम ही है। क्योंकि यह रचना ही […]

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कोणार्क भाग – १

कोणार्क भाग – १

बचपन में एक कहानी हम सब ने अवश्य सुनी होगी। दिन कैसे उगता है? तो सूर्यभगवान जब अपने रथ में सवार होकर आकाश में आते हैं, तब दिन की शुरुआत होती है। इस रथ को आगे ले जाते हैं, उस रथ के सात सफ़ेद घोड़ें और रथ के सारथी रहते हैं, ‘अरुण’। सारथी के साथ […]

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मिनिकॉय भाग – २

मिनिकॉय भाग – २

समुद्री सफ़र में दूर से दिखायी देनेवाला यह ऊँचा मीनार हमें यह संकेत देता है कि हम मिनिकॉय के क़रीब अब पहुँच चुके हैं। दर असल यह मीनार है, मिनिकॉय द्वीप पर स्थित लाईट हाऊस। नीले सागर में चलती नाव से मिनिकॉय के सफ़ेद रेतवाले किनारे पर कदम रखते ही सामने दिखायी देते हैं, दूर […]

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मिनिकॉय भाग – १

मिनिकॉय भाग – १

पवन के तेज़ झोंकों के साथ कश्ती आगे बढ़ रही है। जहाँ देखें वहाँ सिर्फ़ पानी ही पानी दिखायी दे रहा है। नीला नीला पानी और वह भी इतना साफ़ कि जिसमें से समुद्र की तह दिखायी देती है। शायद आपके मन में यह सवाल उठा होगा कि इतने गहरे नीले, साफ़ एवं विशाल समुद्र […]

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कुलू भाग – ३

कुलू  भाग – ३

कुलू के ख़ूबसूरत नज़ारों को देखने के बाद अब हम बढ़ रहे हैं, रास्ता थोड़ा सा मुश्किल ज़रूर है, कई मोड़ भी हैं। लेकिन हम कहाँ जा रहे हैं? ‘मणिकरण’। कुलू से कुछ ही दूरी पर है, मणिकरण। यहाँ पर कुदरत का एक चमत्कार हम देखते हैं। तेज़ी से बहनेवाली पार्वती नदी, जिसका पानी है […]

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कुलू भाग – २

कुलू भाग – २

कुलू कहते ही याद आते हैं, सेब! कुलू के सेब बेहतरीन माने जाते हैं। दर असल यहाँ के स्थानीय निवासी कई पीढ़ियों से खेती कर रहे हैं। इस पहाड़ी इला़के की भौगोलिक रचना तथा किसी भी क्षण बदलनेवाले मौसम के कारण हालाँकि यहाँ पर खेती करना यह काफी़ मुश्किल काम है, लेकिन यहाँ की ज़मीन […]

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कुलू भाग – १

कुलू भाग – १

दो पहाड़ियों के बीच में से बाहर निकलकर सूरज बस अभी अभी अपनी किरनें बिखेरने लगा है। उन कोमल किरनों ने बियास के पानी में रंग भर दिया है। माहौल में शान्ति इतनी है कि बियास के बहने की आवाज़ भी साफ़ साफ़ सुनायी दे रही है। ‘कुलू’ की अधिकांश सुबहें कुछ इसी तरह उगती […]

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