५७. बेलफोर डिक्लरेशन

५७. बेलफोर डिक्लरेशन

हर्ट्झ्ल् निर्मित झायॉनिस्ट ऑर्गनायझेशन द्वारा किये गये अथक परिश्रमों को सफलता मिलने लगी और इसवीसन १९०४ से १९१४ के दौरान दुनिया के विभिन्न कोनों से जेरुसलेम लौटे ज्यूधर्मियों की संख्या ४० हज़ार से ऊपर पहुँच गयी थी (दूसरी ‘आलिया’)। उन्हें समा लेने के लिए, शुरुआती दौर में (टेंपल कालखंड में) केवल १ चौरस किलोमीटर विस्तार […]

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५६ . पहली ‘झायॉनिस्ट कॉंग्रेस’

५६ . पहली ‘झायॉनिस्ट कॉंग्रेस’

इस प्रकार हर्ट्झ्ल् ने अब झायॉनिझम का प्रसार करने का काम बड़ी ही फ़ुरती से हाथ में लिया| उसने पहले ‘झायॉनिस्ट ऑर्गनायझेशन’ की स्थापना की और इसवीसन १८९७ के अगस्त महीने में स्वित्झर्लंडस्थित बेसेल में पहली ‘झायॉनिस्ट कॉंग्रेस’ का आयोजन किया| विभिन्न देशों से कुल मिलाकर २०० से भी अधिक निमंत्रितों ने कॉंग्रेस में हिस्सा […]

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५५. ‘झायॉनिझम’ की स्थापना

५५. ‘झायॉनिझम’ की स्थापना

१८वीं सदी के अन्त में और १९ वीं सदी में ज्यूधर्मीय विचारक ज्युडाह बिबास, झ्वी हर्श कॅलिशर और बिबास के छात्र ज्युडाह अल्कालाई ने अथक परिश्रम कर, जेरुसलेम लौटने के लिए डायस्पोरा के ज्यूधर्मियों को जो प्रेरित किया, उसके फलस्वरूप कई ज्यूधर्मीय जेरुसलेम लौट आये। (‘आलिया’) इस कालखंड की पहली ‘आलिया’ अर्थात् ज्यूधर्मीय बड़ी संख्या […]

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५४. ‘झायॉनिझम’ की पार्श्‍वभूमि

५४. ‘झायॉनिझम’ की पार्श्‍वभूमि

हज़ारों साल बदतर हालातों में गुज़ारने के बाद अब इसवी १९ वीं सदी में ज्यूधर्मियों की स्थिति बेहतर होने के आसार दिखायी देने लगे थे, क्योंकि इसी सदी में ‘झायॉनिझम’ के बीज बोये गये| ‘ज्युडाईझम’ और ‘झायॉनिझम’ इनमें फ़र्क़ है| ज्युडाईझम ज्यूधर्मतत्त्वों का पालन करने के बारे में, अर्थात् पूर्णतः धार्मिक स्तर पर ज्यूधर्मियों को […]

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५३. ‘नेक्स्ट इयर इन जेरुसलेम’

५३. ‘नेक्स्ट इयर इन जेरुसलेम’

‘नेक्स्ट इयर इन जेरुसलेम….’ हर साल ‘पासओव्हर’ और ‘योमकिप्पूर’ इन ज्यूधर्मीय त्यौहारों में की जानेवालीं प्रार्थनाओं के अन्त में, सालों साल….सदियों से, दुनिया के किसी भी कोने में होनेवाला (‘ज्यू डायस्पोरा’ में स्थित) हर एक ज्यूधर्मीय उपरोक्त शब्द कहता आया है….और ये शब्द बिलकुल भक्तिभाव के साथ और विश्‍वासपूर्वक कहते हुए वह थोड़ासा भी ऊबा […]

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५२. आधुनिक इतिहास की दहलीज़ पर

५२. आधुनिक इतिहास की दहलीज़ पर

इस प्रकार जेरुसलेमस्थित ज्यूधर्मियों ने पुनः ग़ुलामी में ही नये सहस्राब्द में (इसवीसन के दूसरे सहस्राब्द में – मिलेनियम में) प्रवेश किया था| अब गत लगभग ४५० वर्ष मुस्लिमों के विभिन्न खलिफाओं के वंशों का राज्य जेरुसलेम प्रान्त पर था| सारे युरोप भर में तथा मध्यपूर्व में भी अब बायझन्टाईन साम्राज्य को अरब आक्रमकों के […]

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५१. परतन्त्रता में एक और सहस्रक

५१. परतन्त्रता में एक और सहस्रक

ज्यूधर्म में निर्माण हुए सदूकी, फरिसी, एस्सेनी, झीलॉट् आदि गुटों में से सदूकी, एस्सेन, झीलॉट ये गुट इस पहले ज्युइश-रोमन युद्ध के बाद लगभग नामशेष ही हुए और उनमें से केवल फरिसीज् यह मध्यममार्गीय माना जानेवाला गुट ही अपना अस्तित्व बरक़रार रख सका| इन फरिसीज् से ही आगे चलकर ‘रब्बीनिक ज्युडाइझम’ (लिखित एवं मौखिक रूप […]

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५०. पहला ज्यूइश-रोमन युद्ध; दूसरे होली टेंपल का ध्वंस

५०. पहला ज्यूइश-रोमन युद्ध; दूसरे होली टेंपल का ध्वंस

इसवीसन ६६ में पहले ज्यूइश-रोमन युद्ध की शुरुआत हुई, लेकिन उसके बीज इसवीसन ६ में ही बोये गये थे। स्थानीय रोमन अधिकारियों का दमनतन्त्र और उनका भ्रष्टाचार तथा रोमन शासकों का ज्यूधर्मतत्त्वों को मनाही करनेवाला रवैया इनके कारण दिनबदिन ज्यूधर्मियों में असंतोष बढ़ता ही जा रहा था। गॅमला के ज्युडास के बाद इस बग़ावत का […]

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४९. ज्यूधर्मियों की रोमनों के खिलाफ़ बग़ावत

४९. ज्यूधर्मियों की रोमनों के खिलाफ़ बग़ावत

मॅथॅटियस ने सेल्युसिड साम्राज्य के साथ शुरू की हुई, ज्यूधर्मियों पर लगाये गये धार्मिक निर्बन्धों के खिलाफ़ की लड़ाई को उसके इसवीसनपूर्व ३७ में रोमन शासकों ने हेरॉड को बतौर ‘ज्युडिआ का राजा’ मान्यता दी। अगले ३३ साल यानी इसवीसनपूर्व ४ में हुई हेरॉड की मृत्यु तक उसकी यह सत्ता अबाधित रही। इस प्रान्त का […]

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४८. ज्यूधर्मियों पर रोमन लोगों का शासन

४८. ज्यूधर्मियों पर रोमन लोगों का शासन

मॅथॅटियस ने सेल्युसिड साम्राज्य के साथ शुरू की हुई, ज्यूधर्मियों पर लगाये गये धार्मिक निर्बन्धों के खिलाफ़ की लड़ाई को उसके बेटे ज्युडास ने अंजाम दे दिया; इतना ही नहीं, बल्कि ज्युडास के भाइयों ने तथा भतीजे ने अगले २५ साल – सेल्युसिड्स के साथ भी और अपनों में ही रहनेवाले ग्रीकपरस्त ज्यूधर्मियों से भी […]

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