४७. मॅक्कबीज् की बग़ावत; ‘हनुक्का’ त्योहार

४७. मॅक्कबीज् की बग़ावत; ‘हनुक्का’ त्योहार

अब तक ज्यूधर्मियों पर राज किये विदेशी राज्यकर्ताओं में जिसे सबसे अधिक क्रूर कहा जा सकता है, ऐसे अँटिओकस (चतुर्थ) ने ज्यूधर्मियों पर दमनतन्त्र का कहर ढ़ाया था| अपने साम्राज्य में ग्रीकीकरण के कार्यक्रम पर जोरोंशोरों से अमल करते हुए उसने, ज्यूधर्मियों पर उनकी – शब्बाथ का पालन करना आदि धार्मिक रूढ़ियों-परंपराओं का व्यक्तिगत रूप […]

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४६. सेल्युसिड्स द्वारा ज्यूधर्मियों के साथ अपमानकारक सुलूक़

४६. सेल्युसिड्स द्वारा ज्यूधर्मियों के साथ अपमानकारक सुलूक़

टोलेमियों के नियंत्रण में रहकर ग्रीक संस्कृति का ऐसा अतिक्रमण ज्यूधर्मीय सह रहे थे, तभी ग्रीक साम्राज्य के पूर्वी भाग में ‘सेल्युकस’ नामक दूसरे एक सिरियन-ग्रीक सरदार का उदय हो चुका था। उसने वहाँ पर इसवीसनपूर्व ३१५ तक अपना ‘सेल्युसिड’ साम्राज्य स्थापित किया था। अलेक्झांडर के बाद उसके प्रमुख सरदारों में हुए उसके साम्राज्य के […]

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४५. ग्रीक संस्कृति का आकर्षण

४५. ग्रीक संस्कृति का आकर्षण

ग्रीक सम्राट ‘अलेक्झांडर द ग्रेट’ के असामयिक निधन के बाद उसके उत्तराधिकारी का सवाल उपस्थित हुआ, क्योंकि उसने कोई उत्तराधिकारी को चुना ही नहीं था| इस कारण, अब तक उसके साथ सभी मुहिमों पर उसके कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहे उसके सेना-अधिकारियों में, ग्रीक साम्राज्य पर – ख़ासकर उसमें अलेक्झांडर ने जीतकर समाविष्ट किये […]

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४४. ज्युडाह प्रांत ‘अलेक्झांडर’ के ग्रीक साम्राज्य का हिस्सा

४४. ज्युडाह प्रांत ‘अलेक्झांडर’ के ग्रीक साम्राज्य का हिस्सा

इसी दौरान, सायरस ने मज़बूत कर रखा पर्शियन साम्राज्य उसके बेटे कंबायसेस-२ ने बढ़ाया ही था| अब तो इजिप्त भी पर्शियन साम्राज्य में समाविष्ट हुआ था| इस साम्राज्य का अब कंबायसेस के पुत्र दारियस ने और भी विस्तार किया| ज्युडाह प्रांत यह इन सभी शासकों की ख़ास मर्ज़ी होनेवाला प्रदेश था और इस प्रान्त को […]

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४३. ‘दूसरे होली टेंपल’ का निर्माण

४३. ‘दूसरे होली टेंपल’ का निर्माण

पर्शियन सम्राट सायरस (द्वितीय) ने हालॉंकि ज्यूधर्मियों को ज्युडाह प्रान्त में लौटने की अनुमति दे दी थी, लेकिन सभी नहीं लौटे| क्योंकि वापसी के प्रवास में भी दिक्कतें थीं और वहॉं पहुँचकर स्थायिक होने के बाद की मार्गक्रमणा भी सुकर नहीं थी| साथ ही, कइयों ने कई साल जिगर के साथ हालातों से जूझकर बॅबिलॉन […]

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४२. ‘होली टेंपल’ का ध्वंस; ज्युडाह के परागंदा ज्यूधर्मीय पुनः ज्युडाह में

४२. ‘होली टेंपल’ का ध्वंस; ज्युडाह के परागंदा ज्यूधर्मीय पुनः ज्युडाह में

इस तरह ‘किंगडम ऑफ ज्युडाह’ बॅबिलोनियनों के हाथों पूरी तरह परास्त होकर, उनपर बॅबिलोनियनों का अमल शुरू हुआ था| लेकिन बदक़िस्मती यहीं पर रुकी नहीं थी| इससे भी भयंकर बात यानी पहले के आक्रमण में केवल लूटा गया ‘होली टेंपल’ अब इस बार बॅबिलोनियनों ने जलाकर ज़मीनदोस्त कर दिया! राजा सॉलोमन ने इतने महत्प्रयासों से […]

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४१. ‘किंगडम ऑफ ज्युडाह’ का पराजय

४१. ‘किंगडम ऑफ ज्युडाह’ का पराजय

इस असिरियन आक्रमण के साथ ज्यूधर्मियों का, उनकी मूल भूमि इस्रायल से देशनिकाला होकर दुनियाभर में बिखेरा जाना (‘ज्यू डायस्पोरा’) शुरू हुआ, ऐसा माना जाता है। ‘किंगडम ऑफ इस्रायल’ में चल रहा यह घटनाक्रम दक्षिणी भाग के – ‘किंगडम ऑफ ज्युडाह’ के शासक बेचैन होकर देख रहे थे। फिलहाल हालाँकि हम बच गये हैं, लेकिन […]

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४० . इस्रायल की ‘टेन लॉस्ट ट्राईब्ज्’

४० . इस्रायल की ‘टेन लॉस्ट ट्राईब्ज्’

लगभग दो सौ वर्ष चल रही अस्थिर राजनीतिक स्थिति के कारण ‘किंगडम ऑफ इस्रायल’ पूरी तरह से बेहाल हुआ था। इस दोसौ वर्ष की कालावधि में इस उत्तरी इस्रायली साम्राज्य ने तो कुल मिलाकर उन्नीस राजाओं का शासन अनुभव किया। इनमें से कुछ खूँखार थे; वहीं, कुछ दुर्बल भी थे और ये दुर्बल राजा केवल […]

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३९. इस्रायली साम्राज्य का विभाजन

३९. इस्रायली साम्राज्य का विभाजन

सॉलोमन के बाद उसका पुत्र ‘रेहाबम’ इस्रायल की गद्दी पर बैठा तो सही, लेकिन वह बहुत ही कठोर स्वभाव का था। उसने आते ही जनता पर के विद्यमान कर दुगुने कर दिये और नये कर भी लगाये। साथ ही, अन्य भी कुछ नये स़ख्त क़ानून बनाये। दरअसल नये कर लगाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। […]

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३८. डेव्हिड के बाद सॉलोमन इस्रायलियों का राजा; ज्यूधर्मियों के सर्वोच्च ‘होली टेंपल’ का निर्माण

३८. डेव्हिड के बाद सॉलोमन इस्रायलियों का राजा; ज्यूधर्मियों के सर्वोच्च ‘होली टेंपल’ का निर्माण

जेरुसलेम इस्रायलियों के कब्ज़े में आ गया और डेव्हिड ने ‘टॅबरनॅकल’ एवं ‘आर्क ऑफ कॉव्हेनन्ट’ को जेरुसलेम में समारोहपूर्वक स्थानांतरित किया| डेव्हिड को हालॉंकि मंदिर के निर्माण की अनुमति नहीं दी गयी थी, मग़र मंदिर के निर्माण के लिए आवश्यक होनेवाली, सोना, चॉंदी, कांस्य, अन्य मूल्यवान वस्तु, ईमारतनिर्माण के लिए आवश्यक विभिन्न प्रकार के पत्थर […]

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