७७. अब चर्चाएँ बस करो….

७७. अब चर्चाएँ बस करो….

अब चर्चाएँ बस करो…. जेरुसलेमस्थित हॉटेल डेव्हिड पर ‘इर्गुन’ ने किये हमले के बाद पॅलेस्टाईन प्रांत के ब्रिटीश प्रशासन के ज्यूधर्मियों के खिलाफ़ चलाये गये दमनतन्त्र में काफ़ी हद तक वृद्धि हो चुकी थी। उसीके साथ, यह कृत्य मान्य न होनेवाले हॅगाना के इर्गुन के साथ होनेवाले वैचारिक मतभेद चरमसीमा तक जाकर उनके मार्ग अलग […]

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७६. धीरे धीरे सशस्त्र स्वतंत्रतासंग्राम की ओर….

७६. धीरे धीरे सशस्त्र स्वतंत्रतासंग्राम की ओर….

धीरे धीरे सशस्त्र स्वतंत्रतासंग्राम की ओर…. अब युद्ध अटल है, इसका अँदाज़ा हो जाने के कारण ज्यूधर्मियों ने उस दृष्टि से पॅलेस्टाईन में अपना संख्याबल एवं युद्धसंसाधन बढ़ाने की, साथ ही बंजर ज़मीनों पर ज्यू-बस्तियों का निर्माण करने की ज़ोरदार शुरुआत की थी। ब्रिटीश सरकार ने लगायी हुईं स्थलांतरण पर की पाबंदियों को ठुकराकर, हॅगाना […]

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७५. महायुद्ध ख़त्म हुआ….‘युद्ध’ नहीं

७५. महायुद्ध ख़त्म हुआ….‘युद्ध’ नहीं

सन १९४५ में दूसरा विश्‍वयुद्ध समाप्त हुआ। दूसरे विश्‍वयुद्ध में ज्यूधर्मियों ने ब्रिटन को समर्थन दिया था और ज्यूधर्मीय सैनिक ब्रिटन की ओर से जर्मनी के खिलाफ़ लड़े थे। लेकिन ऐसा होने के बावजूद भी विश्‍वयुद्ध के पश्‍चात् पॅलेस्टाईन प्रान्त के बारे में ब्रिटन की अरबानुनयी नीति पुनः जारी हुई। इसका कारण, मध्यपूर्वी क्षेत्र में […]

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७४. ‘पॅलेस्टाईन जानेवाले ज्यूधर्मियों के लिए आरक्षित….’

७४. ‘पॅलेस्टाईन जानेवाले ज्यूधर्मियों के लिए आरक्षित….’

द्वितीय विश्‍वयुद्धकाल में पॅलेस्टाईनस्थित ब्रिटिशों की नीति – ज्यूधर्मियों के प्रति स़ख्त और अरबों का अनुनय करनेवाली ही रही। पूरे युरोप में, ख़ासकर जर्मनी में ज्यूधर्मियों के अस्तित्व की समस्या खड़ी रही होने के बावजूद भी, ज्यूधर्मियों के पॅलेस्टाईन में स्थलांतरित होने पर अधिक से अधिक स़ख्त निर्बंध लगाये जाने लगे। लेकिन इस कारण मायूस […]

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७३. १९४० के दशक में….

७३. १९४० के दशक में….

इसके पश्‍चात् के सन १९३९ से १९४५ के छः साल दूसरे विश्‍वयुद्ध के थे। इस दौरान युरोप में, ख़ासकर नाझी जर्मनी में ज्यूधर्मियों को अनन्वित यातनाएँ भुगतनी पड़ीं; लेकिन खुद पॅलेस्टाईन प्रान्त में बहुत मन्थन होकर, ज्यूधर्मियों को स्वतन्त्रता की ओर ले जानेवालीं कई बातें घटित होने लगी थीं। १ सितम्बर १९३९ को पोलंड पर […]

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७२. भविष्य में इस्रायल की ‘पहचान’ बने प्रयोगः ‘मोशाव्ह’; ‘टॉवर अँड स्टॉकेड’

७२. भविष्य में इस्रायल की ‘पहचान’ बने प्रयोगः ‘मोशाव्ह’; ‘टॉवर अँड स्टॉकेड’

पॅलेस्टाईन में बड़े पैमाने पर स्थलांतरित होनेवाले ज्यूधर्मियों के पास कुछ ख़ास पैसा न होने के कारण अलग-अलग, स्वतंत्र ख़ेती करना उनके लिए मुमक़िन नहीं था। साथ ही, यहाँ के स्थानिक अरब भी उनके विरोध में थे। इस कारण एकसाथ ही रहना और पेट पालने के लिए एकसाथ ही कुछ व्यवसाय करना उनके लिए आवश्यक […]

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७१. भविष्य में इस्रायल की ‘पहचान’ बने प्रयोगः ‘किब्बुत्झ’

७१. भविष्य में इस्रायल की ‘पहचान’ बने प्रयोगः ‘किब्बुत्झ’

पॅलेस्टाईन प्रान्त में स्वतंत्र ‘ज्यू-राष्ट्र’ की स्थापना करने के लिए अंतिम संघर्ष की तैयारी चालू किये ज्यूधर्मियों ने, बतौर ‘एक समाज’ विकसित होने के लिए पहले से ही विभिन्न क्षेत्रों में गत कुछ वर्षों से कुछ उपक्रम भी शुरू किये थे। उनमें से अहम थे ‘कम्युनिटी लिव्हिंग’ के प्रयोग – ‘किब्बुत्झ’ और ‘मोशेव्ह’! ‘सब ज्यूधर्मीय […]

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७०. अंतिम संघर्ष की तैयारी

७०. अंतिम संघर्ष की तैयारी

सन १९३९ की ज्यू-अरब लंडन परिषद के असफल होने के बाद ब्रिटीश सरकार ने इस मामले में इकतरफ़ा ही श्‍वेतपत्रिका जारी की। इस श्‍वेतपत्रिका में दरअसल अरबों को बहुत ही ‘फेवर’ किया गया था (पॅलेस्टाईन प्रान्त की अधिकांश ज़मीन अरबों को, तो बहुत ही मामूली ज़मीन ज्यूधर्मियों को; ज्यूधर्मियों के स्थलांतरण पर और ज़मीनखरीदारी पर […]

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६९. १९३९ की ज्यू-अरब लंडन परिषद ब्रिटीश सरकार की श्‍वेतपत्रिका

६९. १९३९ की ज्यू-अरब लंडन परिषद ब्रिटीश सरकार की श्‍वेतपत्रिका

ब्रिटीश सरकार द्वारा गठन की गयीं ‘पील कमिशन’ एवं ‘वुडहेड कमिशन’ इन दोनों शाही खोजसमितियों ने प्रयास करने के बावजूद भी, अरब और ज्यूधर्मीय इनके बीच पॅलेस्टाईन में शुरू हुआ प्रतिरोध मिटने का नाम ही नहीं ले रहा था। दोनो समितियों के अहवाल अरबों ने और ज्यूधर्मियों ने अलग अलग कारणों के लिए ठुकरा दिये […]

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६८. वुडहेड कमिशन चर्चापरिषद का निमंत्रण

६८. वुडहेड कमिशन चर्चापरिषद का निमंत्रण

‘पील कमिशन’ का अहवाल हालाँकि अरब और ज्यूधर्मीय दोनों ने भी ठुकरा दिया था, मग़र ब्रिटीश सरकार ने इस अहवाल का स्वागत किया। साथ ही, उसमें की गयी पॅलेस्टाईन के विभाजन की सूचना तत्त्वतः मान्य की और उसमें सिफ़ारिश की गयी सूचनाओं का सविस्तार अध्ययन कर, उनमें से पॅलेस्टाईन का विभाजन करने की मुख्य सूचना […]

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