‘ईगर लायन’ युद्धअभ्यास नाटो की रशियाविरोधी कार्रवाई का भाग

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जॉर्डन में होनेवाले युद्ध अभ्यास के लिए ब्रिटन अपने १६०० सैनिक भेजनेवाला है। लेकिन यह अभ्यास इराक तथा सिरिया में हाहाकार मचानेवाले ‘आयएस’ के ख़िलाफ नहीं है, बल्कि युक्रेन तथा पूर्वी युरोप में रशियन लष्कर का सामना करने की पूर्वतैयारी के तौर पर ‘नाटो’ इस युद्ध अभ्यास की ओर देख रहा है, ऐसा दावा ब्रिटन के एक दैनिक ने किया है। उसी समय रशियन माध्यमों ने तथा विश्लेषकों ने, नाटो ने रशिया के साथ संघर्ष की तैयारी की होने का दोषारोपण किया है। रशिया के आक्रमण का डर दिखाकर अमरीका तथा नाटो के सदस्यदेश रशियाविरोधी लष्करी गतिविधियाँ कर रहे हैं, ऐसी कड़ी आलोचना रशियन माध्यमों के द्वारा की जा रही है।

‘नाटो’ का ‘ईगर लायन’ यह युद्ध अभ्यास जॉर्डन में आयोजित किया गया है। इस युद्ध अभ्यास में सहभागी होने के लिए ब्रिटन के लगभग १६०० सैनिक जॉर्डन रवाना होनेवाले होकर, इस युद्ध अभ्यास के लिए ब्रिटन के तक़रीबन ८० लष्करी वाहन जॉर्डन पहुँच गये हैं। इस युद्ध अभ्यास में ब्रिटन का इतने बड़े पैमाने पर सहभाग, यह ‘नाटो’ की रशियाविरोधी रणनीतियों का ही हिस्सा है, ऐसा ‘डेली टेलिग्राफ’ इस ब्रिटन के वृत्तपत्र ने कहा है। एक ब्रिटीश अधिकारी का संदर्भ देकर सदर अख़बार ने यह ख़बर प्रकाशित की होकर रशियन वृत्तसंस्थाओं ने इसपर ग़ौर किया है। युक्रेन तथा पूर्वी युरोपीय देशों में रशियन सेना का सामना करने की तैयारी करना, यह ‘ईगर लायन’ युद्ध अभ्यास का अहम हेतु होने की यह ख़बर, नाटो रशिया के विरोध में तैयारी कर रहा होने के संकेत दे रही है, ऐसा रशियन विश्लेषकों का कहना है।

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गत कुछ दिनों से अमरीका तथा नाटो के अन्य सदस्य देशों ने, रशिया के कथित आक्रमण को लेकर ज़ोरदार प्रचार शुरू किया दिखायी दे रहा है। २ फ़रवरी को अमरीका के रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने, युरोपीय देशों को रशिया से रहनेवाले ख़तरे को मद्देनज़र रखते हुए, युरोप में रहनेवाले अपने हितसंबंधों की हिफ़ाज़त करने के लिए बहुत बड़ी आर्थिक तरतूत करने की घोषणा की थी। उसके दूसरे ही दिन एक आंतर्राष्ट्रीय वृत्तवाहिनी ने, रशिया के लाटविया पर के हमले के संदर्भ में ‘वॉर गेम’ की शुरुआत की थी। रणनीति के स्तर पर के इस ‘वॉर गेम’ में रशिया के बाल्टिक देशों पर के तथा ब्रिटन पर के संभाव्य आक्रमण पर विचार किया गया था।

ये सारे प्रयास, रशियन आक्रमण का हौआ खड़ा कर अपनी लष्करी गतिविधियों का समर्थन करने लिए ही अमरीका तथा नाटो के सदस्य देशों द्वारा किये जा रहे हैं, ऐसा रशियन विश्लेषकों का कहना है। रशिया कभी भी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं करेगा। नाटो के सदस्यदेशों का संरक्षणखर्च रशिया के १० गुना अधिक है। ऐसे हालातों में कोई भी ऐसा सोच भी नहीं सकता कि रशिया नाटो के सदस्य देशों पर हमला करेगा, यह कहकर रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने कुछ ही महीने पूर्व अपनी भूमिका स्पष्ट की थी।

उलटे रशिया के आक्रमण की संभावना बतानेवाला नाटो ही रशिया के विरोध में लष्करी कार्रवाइयाँ कर रहा होने का दोषारोपण रशियन वृत्तवाहिनियों के द्वारा किया जा रहा है। नज़दीकी भविष्य में नाटो का यह रशियाविरोधी प्रचार अधिक ही तीव्र होगा, ऐसा दावा भी इन वृत्तवाहिनियों ने किया है।

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