तुर्की को महासंघ का सदस्य बनाया जाने पर ब्रिटन महासंघ से एक्झिट ले सकता है

ब्रिटीश सर्व्हे का निष्कर्ष

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तुर्की यदि युरोपीय महासंघ में शामिल हुआ, तो ब्रिटन महासंघ से बाहर निकलने की संभावना बढ़ जायेगी, ऐसा निष्कर्ष ब्रिटन के एक सर्व्हे में दर्ज़ किया गया है । ‘ब्रिटन महासंघ में रहें’ इस विकल्प का समर्थन करनेवाले २५ प्रतिशत से अधिक नागरिकों ने भी, तुर्की के महासंघ में समावेश के बारे में नाराज़गी ज़ाहिर की होकर, यह मुद्दा सार्वमत के नतीजे पर प्रभाव डालनेवाला बन सकता है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है । उसी समय ‘ब्रिटन महासंघ से बाहर निकलें’ इस बात का समर्थन करनेवाले अग्रणी नेता बोरिस जॉंन्सन ने, सार्वमत के मुुद्दे पर अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ओबामा दख़लअँदाज़ी ना करें, ऐसी फ़टकार लगायी है ।

पिछले हफ़्ते ही, निर्वासितों की समस्या का हल निकालने के लिए युरोपीय महासंघ तथा तुर्की के बीच समझौता हुआ था । इस समझौते के अनुसार, तुर्की को महासंघ का सदस्य बनाने की प्रक्रिया गतिमान बनायी जानेवाली है । इस हफ़्ते में होनेवाली युरोपीय महासंघ की बैठक में उसपर विचारविमर्श किया जायेगा, ऐसे संकेत सूत्रों से प्राप्त हुए हैं । इस जानकारी की पार्श्वभूमि पर, ‘सर्व्हेशन’ इस ब्रिटन की अग्रसर संस्था द्वारा देशव्यापी सर्व्हे किया गया ।

इस सर्व्हे में, ‘तुर्की यदि महासंघ मे शामिल हुआ, तो ब्रिटन को महासंघ में रहना चाहिए या नहीं’ इस संदर्भ में पृच्छा की गयी थी। देशभर में से दो हज़ार से भी अधिक नागरिकों ने उसे प्रतिसाद दिया होने की जानकारी संस्था ने दी। सर्व्हे के अनुसार, ‘तुर्की के समावेश के बाद ब्रिटन को महासंघ से बाहर निकलना चाहिए’ इस विकल्प का समर्थन करनेवालों की संख्या बढ़ गयी है।

turkey‘सर्व्हेशन’ के निष्कर्षों के अनुसार, कुछ समय पहले तक ‘ब्रिटन महासंघ में रहें’ इस विकल्प का समर्थन करनेवाले कइयों नें, ‘तुर्की के समावेश के बाद हमारी इस भूमिका में परिवर्तन होगा’ यह स्पष्ट किया है। ‘ब्रिटन महासंघ में ही रहें’ इस विकल्प का समर्थन करनेवालों में से २५ प्रतिशत से भी अधिक लोग, तुर्की का समावेश होने पर, ‘ब्रिटन महासंघ से बाहर निकलें’ इस विकल्प को समर्थन देंगे, ऐसा सर्व्हे में सामने आया है। तुर्की के मुद्दे पर ब्रिटन को महासंघ से बाहर निकलना चाहिए, इस विकल्प के लिए तक़रीबन ४० प्रतिशत नागरिकों का समर्थन है, ऐसा सर्व्हे में दर्ज़ किया गया है।

सर्व्हे की पार्श्वभूमि पर, ‘लीव्ह ईयू’ ऐसी मुहिम चलानेवाले गुटों ने अधिक आक्रामक पैंतरा अपनाने की शुरुआत की है। इस गुट के सहसंस्थापक रहनेवाले अरॉन बँक्स ने ‘तुर्की का मुद्दा सार्वमत की प्रक्रिया को नया मोड़ देनेवाला साबित हो सकता है’ यह दावा किया है। ब्रिटन के सांसद अँड्र्यू ब्रिजेन ने भी इस सर्व्हे का आधार लेकर, तुर्की यदि महासंघ में आया, तो ब्रिटन महासंघ में से बाहर निकल सकता है, ऐसा दावे के साथ कहा है।

इसी पार्श्वभूमि पर, ‘ब्रिटन महासंघ में से बाहर निकलें’ इसके लिए जारी रहनेवाली मुहिम के प्रमुख नेता बोरिस जॉन्सन ने, सार्वमत के मुद्दे को लेकर ठेंठ अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा पर निशाना साधा। राष्ट्राध्यक्ष ओबामा ने पिछले हफ़्ते, ‘ब्रिटन महासंघ में रहें’ इस भूमिका का समर्थन कर, इस भूमिका को प्रतिपादित करने के लिए वे अप्रैल महीने में ब्रिटन का दौरा करेंगे, ऐसा घोषित किया था। राष्ट्राध्यक्ष ओबामा के इस वक्तव्य की जॉन्सन ने कड़ी आलोचना की है।

‘अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने महासंघ के मुद्दे पर के सार्वमत में दख़लअंदाज़ी करना यह मक़्क़ारी की चरमसीमा है। ‘ब्रिटन यदि महासंघ स्रे बाहर निकलता है, तो उसका जागतिक स्तर पर का प्रभाव कम हो जायेगा’ ऐसी चेतावनी अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष द्वारा दी जाना, यह सरासर ग़लत बात है। अमरीका स्वयं सार्वभौमता के बारे में अत्यधिक एहतियात बरतती है। ऐसा होते हुए, उसके द्वारा ब्रिटन के सार्वमत में दख़लअंदाज़ी की जाना उचित नहीं है, इन शब्दों में जॉन्सन ने अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष पर निशाना साधा। उसी समय, युरोपीय महासंघ में ‘युनायटेड स्टेट्स ऑफ़ युरोप’ बनने की क्षमता नहीं है, ऐसा दावा भी उन्होंने किया।

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