निर्वासितों पर के नये प्रस्ताव को लेकर युरोप में कुहराम

युरोपीय महासंघ ‘ब्लॅकमेल’ कर रहा होने की आलोचना

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युरोपीय महासंघ ने निर्वासितों की समस्या का हल निकालने के लिए नया प्रस्ताव प्रस्तुत किया होकर, उसमें पुनः ‘कोटा सिस्टिम’ का समावेश किया गया है । इस पद्धति के अनुसार, सदस्य देशों ने निर्वासितों का स्वीकार न करने पर उस देश को, हर निर्वासित के लिए पूरे ढ़ाई लाख युरो का जुरमाना भरना पड़ेगा, ऐसा मुद्दा नये प्रस्ताव में समाविष्ट किया गया है । महासंघ के इस प्रस्ताव का मध्य एवं पूर्व युरोप के देशों ने सख़्त विरोध किया है । यह प्रस्ताव यानी ‘ब्लॅकमेल’ होने की आलोचना इन देशों द्वारा की जा रही है ।

बुधवार को ब्रुसेल्स में युरोपीय कमिशन की विशेष बैठक संपन्न हुई । इस बैठक में तुर्की को प्रदान किये गए ‘व्हिसा-फ़्री ट्रॅव्हल’ के उपहार को मान्यता दी गयी और निर्वासितों के मामले में फिर से एक बार ‘कोटा सिस्टिम’ का प्रस्ताव रखा गया है । उसके अनुसार, हर सदस्य देश को जनसंख्या एवं राष्ट्रीय संपत्ति के अनुपात में निर्वासितों का हिस्सा क़रार दिया जायेगा । सदस्य देशों ने, उन्हें निर्धारित किये गए हिस्से में से ५० प्रतिशत से अधिक निर्वासितों को देश में पनाह दी, तो ऊर्वरित निर्वासितों को महासंघ के अन्य किसी भी देश में भेजने की अनुमति उस देश को दी गयी है ।

EU-refugees-1_Reuters-(RT)लेकिन जो सदस्य देश निर्वासितों को पनाह देने से इन्कार करेंगे, उन्हें हर निर्वासित के प्रति ढ़ाई लाख युरो, इतना जुरमाना भरना पड़ेगा । यह जुरमाना उस देश को, जो सदस्य देश निर्वासितों को पनाह दे रहा है, उस देश को देने का प्रावधान इस प्रस्ताव में है । निर्वासितों के रेलों का सर्वाधिक बोझ सहनेवालें ग्रीस एवं इटली जैसे देशों को मदद मिलें इस हेतु से यह प्रस्ताव रखा गया होने की जानकारी युरोपीय कमिशन ने दी है । ग्रीस में अबतक १ लाख से भी अधिक निर्वासित फँसे होकर, इटली में नये साल में तक़रीबन साढ़ेसात हज़ार से भी अधिक निर्वासित दाख़िल हुए हैं ।

‘निर्वासितों की समस्या पूरे महासंघ को परेशान कर रही है, ऐसे में हर सदस्य देश उसपर मनचाही उपाययोजना नहीं बना सकता । महासंघ के सदस्य देशों में एकदूसरे के प्रति भाईचारे की भावना बची नहीं है’ इन शब्दों में सदस्य देशों की आलोचना करते हुए कमिशन के उपाध्यक्ष फ्रान्स टिमरसन्स ने नयी योजना की घोषणा की । लेकिन टिमरसन्स ने प्रस्तुत की हुई योजना पर सदस्य देशों से तीव्र प्रतिक्रिया उठ रही है ।

महासंघ के मध्य तथा पूर्व युरोपीय देशों ने नये प्रस्ताव की कड़ी आलोचना की है। हंगेरी, झेक रिपब्लिक, पोलंड एवं स्लोवाकिया इन देशों ने प्राग में अलग से ली हुई बैठक में हंगेरी ने, यह नया प्रस्ताव यानी खुलेआम ‘ब्लॅकमेल’ है, ऐसी नाराज़गी ज़ाहिर की। हंगेरी के विदेशमंत्री पीटर झिजार्तो ने, पुन: एक बार ‘कोटा सिस्टिम’ लादने की कोशिश यानी आगे का मार्ग बंद रहनेवाला रास्ता है, ऐसी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की।
‘क्या यह वाक़ई गंभीरतापूर्वक सोचविचार कर लाया गया प्रस्ताव है? मुझे आशंका है। मुझे तो यह एप्रिल फूल करने के लिए प्रस्तुत की गयी संकल्पना लगती है’ इन शब्दों में पोलंड के विदेशमंत्री ने नये प्रस्ताव का मज़ाक उड़ाया है। वहीं, झेक रिपब्लिक के विदेशमंत्री ने, नया प्रस्ताव आश्चर्यजनक होने का दावा किया होकर, पोलंड एवं हंगेरी सहित चार देशों ने इस प्रस्ताव का स्पष्ट रूप में विरोध किया है, ऐसा साफ़ साफ़ कहा है। स्लोवाकिया ने भी यह स्पष्ट किया है कि वह स्वेच्छानुसार ही निर्वासितों का स्वीकार करेगा।

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