तुर्की परिणामों के लिए तैयार रहे, रशियन राष्ट्रपति पुतिन की चेतावनी

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तुर्की द्वारा रशिया का लड़ाकू प्लेन मार गिराने की कारवाई पर रशिया ने तिखी प्रतिक्रिया दी है। ‘यह हमला कर के तुर्की ने रशिया की पीठ में छुरा भोंका है, जिसके परिणामों के लिए तुर्की तैयार रहे’ ऐसी चेतावनी रशिया के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने दी। इसके बाद रशिया ने तुर्की के साथ लष्करी सहकार्य को स्थगित कर दिया है। उसी वक्त रशियन नौसेना को सीरिया और तुर्की की समुद्री सीमा के पास प्रक्षेपास्त्र विध्वंसक से लदी युद्धपोत तैनात करने के आदेश दिए गए है। साथ ही सीरिया के लताकिया हवाईअड्डे पर ‘एस-400’ यह मिसाईल सिस्टम तैनात करने की घोषणा रशिया ने की है।

‘रशिया के जवान आतंकियों के साथ दो हात कर रहे हैं, अपने प्राणों का बलिदान दे रहे हैं। मात्र तुर्की ने रशिया का लड़ाकू प्लेन गिरा कर रशिया की पीठ में छुरा घोंपा है। तुर्की की यह कारवाई आतंकियों को सहयोग देने जैसी है’ ऐसा आरोप राष्ट्रपति पुतिन ने किया है। तुर्की को इस हमले के परिणामों को भूगतना होगा, ऐसा भी पुतिन ने धमकाया। साथही ‘हमले के बाद तुर्की ने नाटो के पास दौड़ लगाई, जैसे यह हमला उन्होंने नहीं रशिया द्वारा किया गया हो, ऐसा बनाव तुर्की कर रहा है। अब ‘आयएस’ की सहायता के लिए तुर्की नाटो का भी इस्तेमाल करेगा क्या?’ ऐसा तिखा सवाल राष्ट्रपति पुतिन ने किया।

पुतिन समान रशिया के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी तुर्की द्वारा किए गए हमले पर कड़ी आलोचना करते हुए, तुर्की ‘आयएस’ की रक्षा कर रहा है, ऐसा आरोप किया। ‘आयएस’ पर कारवाई करनेवाले रशियन लड़ाकू प्लेन पर हमला कर तुर्की ने यह साबित कर दिया है, ऐसी नाराजी रशियन नेता व्यक्त कर रहें है।

वहीं रशिया के प्रधानमंत्री दिमित्रि मेदवेदेव्ह ने तुर्की पर संगीन आरोप किए। ‘‘आयएस’ के कब्जेवाले तेल डिपो से तुर्की के कुछ अधिकारीयों के आर्थिक हितसंबंध जुड़े हुए है, ऐसी जानकारी हमे थी। इस कारण ‘आयएस’ की रक्षा के लिए तुर्की द्वारा रशियन प्लेन पर किया गया हमला यह आकस्किम घटना नहीं है। मात्र यह हमला कर तुर्की ने अपने साथ नाटो और रशिया के संबंधों को भी खतरे में डाला है। इसके भयंकर परिणाम जल्दही सामने आएंगे’ ऐसी चेतावनी मेदवेदेव्ह ने दी।

रशियन मीडिया ने इस हमले को लेकर तुर्की द्वारा किए गए दावों को गलत बताया है। रशियन प्लेन को पाच मिनट में दस बार चेतावनी दी गई थी, ऐसी जानकारी तुर्की ने दी थी। वहीं रशिया के प्लेन ने सिर्फ 17 सेकन्द के लिए घुसपैठी की थी, जिसके बाद उस पर कारवाई की गई, ऐसा तुर्की का कहना था। लेकिन इतने कम समय में यह प्लेन तुर्की की वायुसेना ने कैसे नष्ट किया, ऐसा सवाल रशियन मीडिया उठा रहीं है।
दरमियान अमेरिका ने तुर्की द्वारा की गई कारवाई को योग्य बताकर अपना समर्थन दिया। तुर्की को अपनी रक्षा का पूर्ण अधिकार है, ऐसा अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा। वहीं नाटो ने भी अपने सदस्य देश तुर्की द्वारा की गई कारवाई का समर्थन किया है। साथही तुर्की के संप्रभूता का नाटो सदैव सन्मान करेगा, ऐसा बताते हुए नाटो ने अपने सदस्य देश के साथ सदैव खड़े रहने की घोषणा की।

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने रशियन प्लेन पर की गई कारवाई पर कड़ी भूमिका स्वीकारी है। अपने पड़ोसी देशों के प्रति तुर्की में द्वेषभावना नहीं है। लेकिन अपनी संप्रभूता की रक्षा के प्रति तुर्की के अधिकारों का सभी आदर करे, ऐसी फटकार एर्दोगन ने लगाई। मात्र तुर्की और रशिया में बढ़ता तनाव अब इशारों और धमकियों के परे जा चुका है, ऐसे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।

रशियन नौसेना की आधुनिक युद्धपोत ‘मोस्कोव्हा’ तुर्की और सीरिया के समुद्री सीमाक्षेत्र में तैनात करने के आदेश दिए गए है। प्रक्षेपास्त्रों से लैस इस युद्धपोत को शत्रू के रॉकेट तथा प्लेन को नष्ट करने के आदेश दिए गए है। इसके अलावा सीरिया के लताकिया हवाईअड्डे पर रशिया ‘एस-400’ यह मिसाईल सिस्टम तैनात करनेवाला है।

रशिया की यह आक्रामक गतिविधिया और अपनी भूमिका के प्रति तुर्की के रवय्ये को देखते हुए सीरिया का ‘आयएस’विरोधी संघर्ष और भी ज्वालाग्रही बन गया है। तुर्की ‘आयएस’ जैसी आतंकी संगठन को सहायता कर रहीं है, ऐसा आरोप कर रशिया ने नाटो को भी निशाने पर रखा है। यह आरोप करते हुए, ‘आयएस’ को सहायता करनेवाले किसी भी राष्ट्र को रशिया माफ नहीं करेगी, ऐसा संदेश रशिया द्वारा दिया जा रहा है।

आनेवाले समय में रशिया के इन आक्रामक भूमिका के परिणाम सीरिया में दिखाई देने की आशंका जताई जाती है। साथही तुर्की ने रशिया से अपनी सुरक्षा के लिए नाटो से मदद लेने की तैयारी की है। नाटो के नियमों के अनुसार, किसी भी सदस्य देश की सुरक्षा पर हुआ हमला, नाटो पर लदा आक्रमण माना जाता है। इस वजह से यह संघर्ष सिर्फ रशिया, तुर्की तक सिमीत ना रहते हुए, नाटो के सभी सदस्य देश इस संघर्ष में रशिया के खिलाफ भीड सकते है।

दुसरी तरफ सौदी अरेबिया और अरब मित्रदेश भी रशिया के सीरिया विषयक भूमिका का विरोध कर रहें है। वहीं रशिया द्वारा सीरिया में शुरू हवाई हमलों को ईरान ने पूर्ण समर्थन दिया है। तुर्की ने रशिया का लड़ाकू प्लेन गिराया उस वक्त रशिया के राष्ट्रपति पुतिन ईरान के दौरे पर ही थे। इस दौरे के दरमियान, राष्ट्रपति पुतिन ने सीरिया के संघर्ष में ईरान द्वारा अहम सहयोग मिल रहा है, ऐसा कहा।

ईरान और सौदी की सीरिया विषयक भूमिका भिन्न है। जिसमें नाटो सदस्य देश सीरिया के संघर्ष में सौदी और अरब मित्रदेशों के साथ जुड़े हुए है। वहीं रशिया, ईरान की आघाडी सीरिया से ‘आयएस’ को खत्म करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं जिस कारण इस संघर्ष का झूकाव राष्ट्रपति असाद की तरफ हो चुका है।

इस तरह से एकही समय अनेक देश सीरिया में चल रहें संघर्ष में शामिल होने से, ‘आयएस’ को रोखने के लिए शुरू हुई यह मोहीम खतरनाक मार्ग से गुजर रही है। इस कारण रशिया का सहयोगी चीन भी इस संघर्ष से अलिप्त नहीं रह सकता, ऐसे संकेत मिल रहे है।

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