निर्वासितों के कारण जर्मनी की अर्थव्यवस्था को ३६ अरब युरो का नुकसान

merkel - Copy

जर्मनी में दाख़िल हुए निर्वासितों के कारण अंतर्गत सुरक्षा से लेकर सामाजिक व्यवस्था तक कई बातें ख़तरे में पड़ गयीं होने का दावा किया जाता है। इसी कारण, निर्वासितों का जर्मनी में स्वागत करनेवालीं चॅन्सेलर अँजेला मर्केल के बारे में जर्मन जनता में रोष उत्पन्न हुआ होने की बात सामने आ रही है। लेकिन निर्वासितों के कारण जर्मनी पर आया हुआ संकट केवल यहाँ तक ही सीमित न होकर, इसके कारण जर्मनी की अर्थव्यवस्था को तक़रीबन ३६ अरब युरो का नुकसान होगा, यह स्पष्ट हो रहा है।

‘कलोन इन्स्टिट्युट फॉर इकॉनॉमिक रिसर्च’ के अभ्यासकों ने इस बारे में अहवाल प्रस्तुत किया है। निर्वासितों का वास्तव्य, अनाज और उनके कपड़ों से लेकर, उन्हें जर्मन समाज में समा लेने के लिए आनेवाला ख़र्चा प्रचंड है, ऐसा इन अभ्यासकों ने कहा है। इसके लिए इस साल तक़रीबन १६.५ अरब युरो का ख़र्चा जर्मनी को सहना पड़ेगा; वहीं, अगले साल निर्वासितों पर जर्मनी को ख़र्च करनी पड़नेवाली रक़म पूरे २० अरब युरो तक पहुँच जायेगी, ऐसा दावा इन अभ्यासकों ने किया है।

सन २०१५ में जर्मनी में लगभग ११ लाख निर्वासित दाख़िल हुए होकर, सन २०१६ में जर्मनी में दाख़िल होनेवाले निर्वासितों की संख्या इससे भी ज़्यादा हो सकती है, ऐसा दावा किया जाता है। इस कारण ३६ अरब युरो की यह रक़म केवल विद्यमान हालातों को मद्देनज़र रखकर प्रस्तुत की गयी है, ऐसा उन अभ्यासकों ने ज़ोर देकर कहा। निर्वासितों की संख्या यदि बढ़ गयी, तो जर्मनी को उनपर जो ख़र्चा करना पड़ेगा, उसमें भी उस प्रमाण में वृद्धि होगी, ऐसा इन अभ्यासकों ने कहा है।

migrants greece - Copy

निर्वासितों की घुसपैंठी के कारण जर्मनी के कुछ शहरों में जनजीवन पूरी तरह टूटकर बिख़र चुका दिखायी दे रहा है। उसीमें, जर्मन महिलाओं पर निर्वासित अत्याचार कर रहे होने की ख़बरें प्रकाशित हो रही हैं। साथ ही, निर्वासितों क्वद्वारा लूटमार हुईं होने की घटनाएँ भी सामने आ रही हैं। ‘आयएस’ के आतंकवादी निर्वासितों की आड़ लेकर जर्मनी में दाख़िल हुए होने के दावें सिरिया से जर्मनी आये निर्वासितों में से ही कुछ लोगों ने किये हैं। इस कारण जर्मन जनता में आत्यंतिक असंतोष ख़ौल रहा है। उसी में निर्वासितों के कारण जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर ३६ अरब युरो से भी ज़्यादा रक़म का बोझ पड़नेवाला है, यह बात सामने आने पर, जर्मनी में उसपर तीव्र प्रतिक्रिया उमड़ सकती है।

जर्मन करदाताओं द्वारा संकलित किया गया निधि इस प्रकार निर्वासितों पर खर्च करने के चॅन्सेलर मर्केल के रवैये पर जर्मनी के नेता एवं राजनीतिक पार्टियों से कड़ी आलोचना अपेक्षित है। उसी समय, निर्वासितों बाबत के उदार रवैये के कारण मर्केल का जनाधार भी कम होता दिखायी दे रहा है।

जर्मनी यह युरोपीय महासंघ की सबसे समर्थ अर्थव्यवस्था मानी जाती है। लेकिन गत कुछ महीनों से जागतिक अर्थव्यवस्था के सामने बहुत बड़ी चुनौतियाँ खड़ी होकर, कुछ युरोपीय देशों पर का आर्थिक संकट अधिक ही गहरा बन चुका है। आर्थिक समस्या के कारण युरोपीय महासंघ की एकता में दरारें पड़ रही होकर, इस प्रश्न पर यदि हमारा पक्ष नहीं माना गया, तो महासंघ में से बाहर निकलने की चेतावनी कुछ देशों द्वारा दी जा रही है। ऐसे में, जर्मनी यह युरोपीय महासंघ का त्राता माना जाता है। लेकिन निर्वासितों के कारण जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर भी तनाव बढ़ता हुआ दिखायी दे रहा है और जर्मनी के पीछे पीछे अन्य युरोपीय देशों में भी निर्वासितों के ख़िलाफ़ असंतोष की लहर उठने की संभावना बढ़ गयी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.