‘कनेक्टिविटी’ प्रकल्प के लिए भारत-मालदीव ने किया समझौता

नई दिल्ली – भारत और मालदीव ने ‘ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट’ (जीएमसीपी) समझौता किया है। इस समझौते के तहत भारत इस प्रकल्प के लिए मालदीव को ४० करोड़ डॉलर्स कर्ज प्रदान करेगा। ‘जीएमसीपी’ मालदीव में सबसे बड़ा ‘कनेक्टिविटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर’ प्रकल्प है। चीन का प्रभाव दूर करके मालदीव अब भारत पर विश्‍वास दिखा रहा है। ऐसे में भारत ने मालदीव के प्रमुख प्रकल्प के लिए यह कर्ज सहायता प्रदान की है। साथ ही मालदीव अब चीन के साथ किया मुक्त व्यापार समझौता भी रद करने की तैयारी में होने के समाचार प्राप्त हो रहे हैं।

india-maldives-connectivityसोमवार के दिन मालदीव के अर्थमंत्री इब्राहिम आमीर और एक्ज़िम बैंक के जनरल मैनेजर निमित वेद ने ‘जीएमसीपी’ समझौते पर हस्ताक्षर किए। मालदीव के अर्थमंत्रालय ने ट्विट के माध्यम से इस समझौते की जानकारी साझा की। प्रकल्प के लिए सहायता प्रदान करने पर मालदीव के विदेशमंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने भारत के प्रति आभार व्यक्त किया है। इस सहयोग की वजह से नए दरवाज़े खोले जाएंगे, यह विश्‍वास अर्थमंत्री ने व्यक्त किया है।

अगस्त महीने में विदेशमंत्री एस.जयशंकर और मालदीव के विदेशमंत्री अब्दुल्ला शाहीद के बीच हुई बैठक के बाद ‘जीएमसीपी’ के लिए आर्थिक सहायता देने का ऐलान भारत ने किया था। ‘जीएमसीपी’ के तहत मालदीव की राजधानी ‘माले’ से तीन द्विप जुड़ेंगे। मालदीव के विलिगिली, गुल्हीफहू, थिलाफुशी द्विपों को जोड़ने के लिए ६.७ किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण किया जाएगा। इससे यातायात बढ़ेगी और मालदीव की अर्थव्यवस्था को गति प्राप्त होगी, यह विश्‍वास मालदीव के विदेशमंत्री ने व्यक्त किया है।

मालदीव चीन के कर्ज के शिकंज़े में फंसा है और चीन ने दिए करीबन तीन अरब डॉलर्स कर्ज का भार मालदीव पर है। मालदीव की अर्थव्यवस्था ५ अरब डॉलर्स की है और ऐसी स्थिति में इस कर्ज़ से अपने हालात भी श्रीलंका की तरह होगी, यह ड़र मालदीव को सता रहा है। इसी कारण मालदीव ने भारत से सहायता की माँग की थी। कोरोना के संकट की वजह से पर्यटन पर निर्भर मालदीव की अर्थव्यवस्था तबाह होने से भारत ने अलग अलग स्तर पर सहायता प्रदान की हैं। भारत ने कुछ दिन पहले ही २४ करोड़ डॉलर्स की सहायता प्रदान की थी। अब ‘जीएमसीपी’ प्रकल्प के लिए ४० करोड़ डॉलर्स की सहायता मालदीव को प्रदान की जा रही है।

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