मालदीव में जनतंत्र की स्थापना में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका – मालदीव के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष गयूम

नई दिल्ली: मालदीव में जनतंत्रशाही फिर से स्थापित करने के लिए भारत महत्वपूर्ण भूमिका संपन्न करें, ऐसा मालदीव के भूतपूर्व राष्ट्राधयक्ष मामून अब्दुल गयूम ने कहा है। तथा मालदीव में सत्ता पर आई नयी सरकार भारत को लग रहे चिंता के बारे में संवेदनशीलता दिखाएं, ऐसा आवाहन भी गयूम ने किया है।

दो दशकों से अधिक समय तक मालदीव के राष्ट्राधयक्ष पद पर काम कर रहे गयूम ने फरवरी महीने में तत्कालीन राष्ट्राधयक्ष अब्दुल्ला यामीन को कारावास में डाला था। चीन समर्थक धारणा स्वीकारने वाले यामीन ने अपने विरोधकों को गिरफ्तार करके मालदीव की सत्ता अपने हाथ में रहे इसके लिए गैरकानूनी रूप से गतिविधियां शुरू की थी। यामीन ने इमरजेंसी घोषित करने के बाद मालदीव में कई प्रमुख जनतंत्र वादी नेताओं ने भारत को हस्तक्षेप करने का आवाहन किया था। इस पर चीन से तीव्र प्रतिक्रिया आ रही थी।

मालदीव, जनतंत्र, स्थापना, भारत, महत्वपूर्ण भूमिका, भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष, गयूमपिछले महीने में मालदीव में हुए चुनाव में राष्ट्राध्यक्ष अब्दुल्ला यामीन परास्त हुए थे। इस चुनाव में विरोधी पक्ष के संयुक्त उम्मीदवार होने वाले इब्राहिम मोहम्मद सोलिह राष्ट्राध्यक्ष पद पर आए थे। उसके बाद ३० सितंबर के रोज गयूम इनकी कारावास से रिहाई की गई थी। रिहाई के बाद लगभग १ महीने के बाद गयूम ने दिए मुलाकात में भारत की प्रशंसा की है एवं मालदिव में फिर से जनतंत्र शाही स्थापन करने के लिए भारत ने अत्यंत सकारात्मक भूमिका निभाई है, ऐसी बात कही है।

भारत और अन्य सहयोगी देशों ने जारी किए दबाव की वजह से यामीन को ४५ दिनों में इमरजेंसी पीछे लेकर चुनाव घोषित करने पड़े थे। इस की तरफ भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष गयूम ने ध्यान केंद्रित किया है। पिछले कुछ वर्षों में मालदीव एवं भारत के द्विपक्षीय संबंधों पर बहुत बड़ा परिणाम हुआ है। मालदीव में उथल-पुथल हुइ हैं, फिर भी इंडिया फर्स्ट यह देश की पुरानी धारणा कायम है। भारत यह मालदीव का अत्यंत निकटतम एवं विश्वास पूर्ण सहयोगी है। हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता होना यह इस क्षेत्र में सभी देशों के हित का है, ऐसा गयूम ने कहा है।

चीन से मिलने वाले समर्थन की वजह से यामीन को राजनैतिक बल मिला था। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए गयूम ने चीन मालदीव के जनता की इच्छा का सम्मान करेगा ऐसी अपेक्षा की है। चीन ने मालदीव के विकास के लिए किए सहयोग से इनकार नहीं किया जा सकता, पर इसके साथ पिछले कुछ वर्षों में मालदीव पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। यह चिंता की बात है, पर उस पर गंभीर तौर पर विचार करने की आवश्यकता होने के सूचक विधान गयूम ने किए हैं।

मूलभूत सुविधाओं के विकास के नाम से चीन अनेक देशों को कर्ज के चंगुल में फंसाने की बात इससे पहले भी स्पष्ट हुई है। मलेशिया ने हाल ही में चीन का निवेश होने वाले कई प्रकल्प रद्द करने का निर्णय लिया है।

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