मालदीव मे राजनीतिक संकट – भारत के लष्करी हस्तक्षेप की आशंका से चीन अस्वस्थ

नई दिल्ली / बीजिंग / माले: मालदीव में राजनीतिक संकट के बाद भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष मोहम्मद नशीद ने भारत से किये लष्करी हस्तक्षेप की मांग से चीन अस्वस्थ हुआ है। मालदीव में भारत लष्करी हस्तक्षेप ना करें, राजनीतिक संकट यह देश का अंतर्गत प्रश्न होता है, ऐसा चीन सरकार के मुखपत्र होने वाले ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय लेख में कहा है। तथा भारत को दक्षिण एशिया क्षेत्र में छोटे देशों पर नियंत्रण रखने की महत्वाकांक्षा होने का आरोप भी वर्तमानपत्र ने किया है।

३ दिनों पहले मालदीव के राष्ट्राध्यक्ष अब्दुल्ला यामीन ने आपातकाल की घोषणा की थी। इस पृष्ठभूमि पर मालदीव के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष मोहम्मद नशीद ने भारत से लष्करी हस्तक्षेप करने की मांग की थी। भारत के विदेश मंत्रालय ने मालदीव में आपातकाल चिंताजनक होने की बात कही थी। मालदिव में होने वाले भारतीयों को बाहर निकालने के लिए तथा मालदिव में लष्करी हस्तक्षेप के लिए भारत द्वारा लष्कर सज्ज रखने की खबरें प्रसिद्ध हुई थी।

मालदीव में भारत के लष्करी हस्तक्षेप की आशंका से चीन व्याकुल दिखाई दे रहा है। ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में भारत पर गंभीर आरोप किए गए हैं। अपने प्रभाव का उपयोग करके भारत अनेक वर्ष मालदीव पर दबाव डाल रहा है। छोटे दक्षिण आशियाई देश पर नियंत्रण रखने की भारत की महत्वाकांक्षा है। दक्षिण आशियाई क्षेत्र में छोटे देश अन्य बड़े देशों से संबंध जोड़ने का प्रयत्न करते हैं। इन संबंधो को भारत हमेशा विरोध करता आ रहा है, ऐसा ग्लोबल टाइम्स के लेख में कहा गया है।

मालदीव के साथ चीन ने मुक्त व्यापार करार किया है। तथा ओबीओआर में शामिल होने के लिए मालदीप तैयार हुआ है। उस समय भारत में आक्षेप लिया था। इस पर इस लेख में ध्यान केंद्रित किया गया है। दौरान चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने मालदीव में भारत के लष्करी हस्तक्षेप की आशंका पर प्रतिक्रिया दी है। मालदीव में फिलहाल परिस्थिति अधिक पेचीदा होगी। ऐसे कदम उठाने से अच्छा अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मालदीव के सार्वभौमिक का आदर करें और रचनात्मक भूमिका संपन्न करें, ऐसी अपेक्षा गेंग शुआंग ने की है।

चीन से भारत के मालदीव में संभाव्य हस्तक्षेप के बारे में चिंता व्यक्त की जा रही है। समय भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष मोहम्मद नशीद ने भारत से मालदीव की जनता अपेक्षा से देखने का दावा किया था। भारत के हस्तक्षेप का मालदीव की जनता स्वागत ही करेगी। क्योंकि भारत को मालदीव की जनता तारणहार के तौर पर देखती है। इससे पहले भी १९८८ में भारत ने लष्करी हस्तक्षेप करके मालदीव को संकट से बचाया था। इस संकट का निवारण करके भारतीय लष्कर अन्दर नहीं रुके और अपने मातृभूमि में लौटे थे, इसकी याद नाशीद ने दिलाई है।

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