हिंद महासागर क्षेत्र मे चीन के कारवाईयों पर भारत की कड़ी नज़र – नौदल प्रमुख ॲडमिरल सुनिल लान्बा की गवाही

नई दिल्ली : ‘हिंद महासागर क्षेत्र में चीन अधिक आक्रामक होता चला जा रहा है और इस क्षेत्र में छह से आठ युद्धनौका चीन हमेशा के लिए तैनात रख रहा है पर चीन के इन गतिविधियों पर भारतीय नौदल की कड़ी नजर है’, ऐसा नौदल प्रमुख ॲडमिरल सुनिल लान्बा ने स्पष्ट किया है जल्दी हिंद महासागर क्षेत्र में भारत ने १६ देशों के सागरी युद्धाभ्यास का आयोजन किया है। पर फिलहाल चीन के प्रभाव में होनेवाले मालदीव ने इस युद्धाभ्यास में शामिल होने से इनकार किया है। इस पृष्ठभूमि पर नौदल ने माध्यमों से संवाद किया है।

नौदल प्रमुख ॲडमिरल सुनिल लान्बा ने ६ से १३ मार्च के दौरान अंडमान निकोबार द्वीप के पास होनेवाले ‘मिलन’ सादरी युद्धाभ्यास की जानकारी माध्यमों को दी है। उस समय उन्होंने मालदीव में इस वर्ष इस युद्धाभ्यास में शामिल होने के लिए इंकार जताया है, यह बात बताई है। इस युद्ध में शामिल ना होने का कारण मालदीव ने नहीं दिया है और फिलहाल देश में होने वाले इमरजेंसी की स्थिति की वजह से यह निर्णय लिया गया है, ऐसा ॲडमिरल लान्बा ने कहा है।

हिंद महासागर क्षेत्र मे चीन की गतिविधियों के बारे मे माध्यमों द्वारा पूछे प्रश्न पर नौदल प्रमुख ने उत्तर दिया है। चीन ने सन २००८ वर्ष से अपने युद्धनौका हिंद महासागर में तैनात करने शुरू किए थे। जिनके गतिविधियों पर भारत बारीकी से नजर रखे हुए हैं। इस बारे में चिंता करने का कोई कारण होने की गवाही नौदल प्रमुख ने उस समय दी है।

दौरान, ‘मिलन’ युद्धाभ्यास से मालदीव ने किये वापसी के पीछे चीन होने के दावे विशेषज्ञ कर रहे हैं। मालदीव में राष्ट्राध्यक्ष अब्दुल्ला यामीन चीन समर्थक होकर, इस सरकार ने मालदीव के राष्ट्रीय हित के लिए नजरअंदाज करके कई आक्षेपजनक निर्णय लिए हैं। मालदीव में कई बंदरगाह यामीन सरकार ने चीन को दिए हैं और इस द्वीप पर चीनी लष्कर के लिए मूलभूत सुविधाएं विकसित करने की तैयारी दिखाई है। भविष्य में इसका उपयोग चीन लष्कर की तरह कर सकता है, ऐसी चिंता व्यक्त की जा रही है।

मालदीव मेंचीन अपनी सागरी गश्ती केंद्र निर्माण करने की खबरें भी प्रसिद्ध हुई थी। मालदीव में राष्ट्राध्यक्ष यामीन ने घोषित किए इमरजेंसी के बाद भारत लष्करी हस्तक्षेप करें, ऐसी मांगवहां के विरोधको ने की थी। इस पर चीन ने तीव्र प्रतिक्रिया देते हुए भारत हस्तक्षेप करने पर चीन भी पीछे नहीं हटेगा ऐसा सूचित किया था।

इस पृष्ठभूमि पर मिलन युद्धाभ्यास के आयोजन में अस्वस्थ हुए चीन ने मालदीव को पीछे आने के लिए कहा होगा, ऐसा विशेषज्ञों का दावा है।

‘मिलन’ युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, व्हिएतनाम, फिलीपाइन्स, मलेशिया, मोरिशियस, म्यानमार, श्रीलंका, सिंगापुर, इंडोनेशिया, थाईलैंड, यह देश शामिल होने वाले हैं। प्रति २ वर्षों में यह युद्धाभ्यास का आयोजन किया जाता है। १९९५ वर्ष में इस युद्धाभ्यास का पहली बार आयोजन किया गया था। उस समय केवल ५ देश उसमें शामिल हुए थे। भारत के ‘ॲक्ट इस्ट’ धारणा की वजह से आग्नेय एवं पूर्व  आशियाई देशों के साथ, भारत के सहयोग बड़े हैं और इस इन देशों के साथ भारतीय नौदल सहयोग बढ़ाने की बात इससे दिखाई दे रही है।

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