पश्‍चिमी देशों ने रशिया के खिलाफ आर्थिक युद्ध शुरू किया है – रशियन प्रवक्ता का दावा

मास्को – ‘पश्‍चिमी देशों ने रशिया के खिलाफ आर्थिक युद्ध शुरू किया हैं| इससे पहले ऐसा नहीं हुआ था| इस आर्थिक युद्ध की वजह से रशिया की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुँचा हैं और इसके भविष्य को लेकर अनुमान जताना कठिन हैं’, ऐसी कबुली रशियन सरकार के प्रवक्ता दिमित्रि पेस्कोव ने दी| अमरीका के साथ मित्रदेशों ने रशिया के ईंधन क्षेत्र समेत सभी प्रमुख क्षेत्रों पर प्रतिबंध लगाए हैं| इसका असर धीरेधीरे दिखाई देने लगा है और पेस्कोव ने दी हुई कबुली भी यही दिखाती है|

रशिया-यूक्रैन युद्ध के दो हफ्ते पूरे हुए हैं| इस दौरान रशिया ने अपने हमलों की तीव्रता बढ़ाई हैं और यूक्रैन के कुछ शहरों पर कब्ज़ा किया हैं| इस पृष्ठभूमि पर रशिया युद्ध रोक दे, इसके लिए अमरीका और मित्रदेशों की जोरदार कोशिश जारी हैं और प्रतिबंधों का आक्रामक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा हैं| पिछले दो हफ्तों में अमरीका और मित्रदेशों ने रशिया पर लगातार प्रतिबंध लगाने का सिलसिला शुरू रखा हैं| रशियन अर्थव्यवस्था की प्रमुख रीड़ समझे जा रहें ईंधन क्षेत्र से वित्त, बैंकिंग, रक्षा, निवेश, अंतरिक्ष एवं प्रौद्योगिकी जैसें सभी प्रमुख क्षेत्रों को लक्ष्य किया गया हैं|

इसका असर रशियन अर्थव्यवस्था पर दिखाई दे रहा है| रशिया की मुद्रा रुबल का मुल्य अबतक के सबसे नीचले स्तर पर पहुँचा हैं| पिछले महीने एक डॉलर के लिए ८० से भी कम रुबल्स की ज़रूरत होती थी, लेकिन, अब १२० से अधिक रुबल्स देना पड़ रहा हैं| रशिया में महंगाई दर नौं प्रतिशत तक जा पहुँचा हैं और विदेशों से आयात हो रहें सामान की कीमतों में १० से ५० प्रतिशत उछाल हुआ हैं| रशियन अर्थव्यवस्था में भी बड़ी गिरावट दर्ज़ हुई हैं और विदेशी अर्थ संस्थाओं ने रशिया कर्ज़ का भुगतान करने में असफल होगी, यह इशारा दिया हैं|

रशियन सरकार के प्रवक्ता ने किया बयान इस सबकी कबुली दिख रही हैं| पेस्कोव ने रशियन अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर अनुमान करना कठिन होने का बयान करके आनेवाला समय अधिक कठिन होगा, यह संकेत भी दिए हैं| लेकिन, इसी दौरान पश्‍चिमी देशों ने रशिया के खिलाफ शुरू किए हुए आर्थिक युद्ध पर प्रत्युत्तर देने का इशारा भी दिया हैं| मंगलवार की रात रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने विशेष आदेश जारी किया और संवेदनशील एवं अहम उत्पादनों की निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के संकेत दिए हैं| रशिया की शासक पार्टी ने रशिया छोड़कर गई विदेशी कंपनियों का राष्ट्रीयीकरण करने का प्रश्ताव रखा हैं| पार्टी के वरिष्ठ नेता आंद्रेई तुर्चक ने यह जानकारी प्रदान की|

‘यह काफी तेज़ कदम हैं, यह सच है| लेकिन, पीठ में खंजर घोपना हम बर्दाश्त नहीं करेंगे| असली युद्ध शुरू हैं और हम युद्ध के नियमों के नुसार कार्रवाई करेंगे’, इन शब्दों में तुर्चक ने विदेशी कंपनियों के विरोध में कार्रवाई करने के प्रस्ताव का समर्थन किया| रशिया के साथ व्यापार कर रहें कुछ देशों ने स्थानिय चलनों में कारोबार करने का प्रस्ताव रखा हैं और इनमें तुर्की जैसें नाटो सदस्य देश का समावेश हैं| इसके अलावा चीनी कंपनियों ने रशिया में किया निवेश कायम रखने का निर्णय किया हैं, ऐसा भी वृत्त है|

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