यशस्वी परमाणु समझौते में अमरीका ही सबसे बड़ी बाधा है – ईरान के विदेश मंत्रालय की आलोचना

तेहरान – ‘साल २०१५ में किया गया परमाणु समझौता और ईरान का अपने पड़ोसी देशों से सहयोग दो भिन्न मुद्दे हैं। इन दोनों को एक-दूसरे से जोड़कर अमरीका परमाणु समझौते की अपनी नाकामयाबी छुपाने की केशिश कर रही है। ईरान परमाणु समझौते के लिए तैयार है। लेकिन, अमरीका ही इसमें सबसे बड़ी बाधा साबित हो रही है’, ऐसी तीखी आलोचना ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने की। कुछ दिन पहले ईरान और रशिया ने अरबों डॉलर्स का सहयोग स्थापित किया था। इसके बाद अमरीका ने ईरान को परमाणु समझौते के बदले में रशिया से सहयोग तोड़ने का प्रस्ताव दिया था। इस पर आगबबूला हुए ईरान ने बायडेन प्रशासन को लताड़ा है।

परमाणु समझौतेपांच दिन पहले रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने ईरान का दौरा करके ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी से मुलाकात की थी। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रशियन राष्ट्राध्यक्ष का यह पहला विदेश दौरा था। इस दौरान दोनों देशों में ऊर्जा क्षेत्र के सहयोग से संबंधित ४० अरब डॉलर्स का बड़ा समझैता किया। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष की असफल खाड़ी यात्रा के बाद रशिया और ईरान ने ईंधन संबंधी किया समझौता बायडेन प्रशासन के लिए तमाचा साबित हुआ, ऐसे दावे पश्चिमी माध्यमों ने ही किए थे।

बायडेन ने ईरान के साथ परमाणु समझौता करने के लिए नियुक्त किए हुए विशेषदूत रॉबर्ट मैली ने ईरान को धमकाया था। ईरान को अमरीका के साथ परमाणु समझौता और रशिया के ताल्लुकात में से एक का चयन करना होगा, ऐसा मैली ने कहा था। साथ ही ‘पश्चिमी देशों को घेरनेवाली रशिया के साथ सहयोग जारी रखकर ईरान को कोई लाभ नहीं होगा। इसके बजाय, अमरीका के साथ परमाणु समझौता किया तो पड़ोसी देश, यूरोप और शेष विश्व के साथ आर्थिक संबंध स्थापित होंगे, ऐसा प्रस्ताव मैली ने दिया था।

परमाणु समझौतेऐसे में ही अगले कुछ ही घंटों में ब्रिटन की गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआई-६’ के प्रमुख रिचर्ड मूर ने भी आरोप लगाया कि, ईरान को परमाणु समझौता करना ही नहीं है। ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी को ही पश्चिमी देशों के साथ परमाणु समझौते में शामिल नहीं होना है, यह दावा ‘एमआई-६’ के प्रमुख ने किया।

अमरीका ने रशिया के संबंधों के बदले में पेश किए प्रस्ताव पर ईरान ने आलोचना की है। ‘अपने पड़ोसी देशों के साथ ईरान के संबंध साल २०१५ के परमाणु समझौते पर और अमरीका की अनुमति पर निर्भर नहीं हैं’, ऐसा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने इशारा दिया। साथ ही इस तरह से प्रस्ताव देनेवाली विश्वासघाती अमरीका ही इस परमाणु समझौते में प्रमुख बाधा है, ऐसा आरोप नासिर ने लगाया।

इसी बीच, ईरान का परमाणु कार्यक्रम खतरनाक तरीके से आगे बढ़ रहा है, यह दावा अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने किया है।

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