पश्चिमी देशों के सख्त प्रतिबंधों के बावजूद रशियन अर्थव्यस्था का काफी बेहतर प्रदर्शन – ईंधन की आय और व्यापारी लाभ मे रेकॉर्ड बढ़ोतरी

मास्को/वॉशिंग्टन – रशिया ने यूक्रैन में शुरू किए सैन्य अभियान के बाद लगाए जोरदार प्रतिबंध रशियन अर्थव्यवस्था की रिड़ तोड़ देगी और यूक्रैन के विरोध में जारी युद्ध रोकने के लिए रशिया मज़बूर होगी, ऐसीं ड़िंगे पश्चिमी नेताओं ने लगायी थी। लेकिन, ऐसें दावे करनेवाले देशों को जोरदार तमाचा जड़नेवाला प्रदर्शन रशियन अर्थव्यवस्था ने किया हैं। रशिया को ईंधन निर्यात से प्राप्त हो रहे आय में ५० प्रतिशत बढ़ोतरी हुई हैं। इसी बीच, पहले चार महीनों में हुए कारोबार से प्राप्त मुनाफा ‘करंट अकाऊंट सरप्लस’ तीन दशकों के रेकॉर्ड स्तर पर पहुँचा हैं। रशियन मुद्रा रुबल को ‘बेस्ट परफॉर्मिंग करन्सी’ कहा गया हैं। अमरीका एवं यूरोप की वित्तसंस्था और गुटों ने रशियन अर्थव्यवस्था का ज्यादा नुकसान नहीं होगा, यह अनुमान जताया हैं।

फ़रवरी महीने के आखरी दिनों में रशिया ने यूक्रैन पर हमला करने के बाद अमरीका, यूरोपिय महासंघ और मित्रदेशों ने सख्त प्रतिबंधों का हमला शुरू किया था। इससे रशियन अर्थव्यवस्था की प्रमुख रिड़ समझे जा रहें ईंधन क्षेत्र से वित्त, बैंकिंग, रक्षा, निवेश, अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी ऐसें सभी क्षेत्रों को लक्ष्य किया गया। यह प्रतिबंध यानी पश्चिमी देशों ने शुरू किया आर्थिक युद्ध होने की चेतावनी देकर रशिया ने आक्रामक प्रत्युत्तर देने के संकेत दिए थे। इसके बाद रशिया की सेंट्रल बैंक ने शीघ्रता से कदम बढ़ाकर एक के बाद एक विभिन्न प्रावधानों का ऐलान किया था। इसमें विदेशी मुद्रा की बिक्री पर रोक, ब्याज दर की बढ़ोतर और सोने के कारोबार को रुबल से जोड़ना, ईंधन की बिक्री रुबल से करने जैसें निर्णयों का समावेश था।

रशिया के इन योजनाओं का असर अर्थव्यवस्था पर दिखाई देना शुरू हुआ हैं और ईंधन की आय एवं कारोबार का मुनाफा और रुबल के मुल्य में बड़ा सुधार हुआ हैं। पिछले महीनें ईंधन बिक्री से रशिया को लगभग २० अरब डॉलर्स महसूल प्राप्त होने की बात सामने आयी है। रशिया से निर्यात हो रहे कच्चे तेल की मात्रा प्रति दिन ८१ लाख बैरल्स तक पहुँची हैं। यूरोपिय देशों की ईंधन खरीद कम हो रही है, फिर भी एशिया के चीन और भारत ने कच्चे तेल की खरीद बढ़ाने की बात स्पष्ट हुई हैं। ईंधन के साथ अन्य उत्पादनों के निर्यात से प्राप्त हो रही आय भी बढ़ती देखी गयी है।

जनवरी से अप्रैल के चार महीनों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार से रशिया को प्राप्त हो रहा मुनाफा उच्चांकी स्तर पर पहुँचा हैं। चार महीनों में रशिया का करंट अकाऊंट सरप्लस ९५.८ अरब डॉलर्स पर पहुँचा है। पिछले साल की तुलना में यह सरप्लस भारी तीन गुना बढ़ा है।

इसी बीच, साल १९९४ के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यापार में इतना बड़ा लाभ होने का यह पहला ही अवसर साबित हुआ है। रशियन मुद्रा रुबल की स्थिति भी अधिक से अधिक मज़बूत होती दिख रही हैं। मंगलवार को हुए कारोबार के अनुसार एक डॉलर के लिए ६२ रुबल्स चुकाने पड़ रहे हैं। मार्च महीने में डॉलर और यूरोप के लिए १२० से भी अधिक रुबल्स देना पड़ रहा था। रुबल साल २०१७ के बाद सबसे मज़बूत स्थिति में होने का दावा आर्थिक विशेषज्ञों ने किया हैं।

रशियन अर्थव्यवस्था टूट गिरने के दावे कर रहीं विदेशी वित्तसंस्था और गुटों ने भी अपना स्वर बदला है। इस साल रशिया की अर्थव्यवस्था १० प्रतिशत गिरावट का सामना करेगी और साल २०२३ से फिर से सामान्य होना शुरू करेगी, ऐसा यूरोपियन कमिशन ने कहा हैं। इसी बीच ३५ प्रतिशत गिरावट का अनुमान व्यक्त कर रहीं अमरिकी वित्तसंस्था ‘जे पी मॉर्गन’ ने रशियन अर्थव्यवस्था उम्मीद से भी अधिक बेहतर स्थिति में होने की कबुली अपने नए निवेदन के माध्यम से दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.