रशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों से ‘ग्लोबल एनर्जी क्राइसिस’ की संभावना – ‘आयईए’ के प्रमुख का इशारा

पैरिस – अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा क्षेत्र में रशिया के अहम स्थान पर गौर करें तो इस देश पर लगाए प्रतिबंधों के कारण वैश्‍विक ऊर्जा संकट उभर सकता है, ऐसा गंभीर इशारा ‘इंटरनैशनल एनर्जी एजेन्सी’ (आयईए) के प्रमुख फातिह बिरॉल ने दिया| यूरोपिय देशों के अलावा विश्‍व के कई प्रमुख देश रशियन ईंधन पर निर्भर हैं| ईंधन उत्पादक देशों ने एकजुट होकर ईंधन का उत्पादन बढ़ाने से इन्कार किया है| ऐसी स्थिति में रशिया के ईंधन निर्यात को लक्ष्य करने की अमरीका एवं मित्रदेशों की कोशिश ईंधन आयात करनेवाले देशों के लिए नया संकट साबित होगा| इसका अहसास ‘आयईए’ ने कराया है|

रशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों से ‘ग्लोबल एनर्जी क्राइसिस’ की संभावना - ‘आयईए’ के प्रमुख का इशारापिछले साल कोरोना की महामारी के संकट से वैश्‍विक अर्थव्यवस्था उभर रही थी, तभी कई देशों में ईंधन एवं ऊर्जा की मॉंग यकायक बड़े पैमाने पर बढ़ी थी| लेकिन, सीमित उत्पादन और वैश्‍विक सप्लाई चेन में उभरी बाधाओं की वजह से विश्‍व के प्रमुख देशों को ‘एनर्जी क्राइसिस’ का सामना करना पड़ा था| इनमें अमरीका, चीन और भारत के अलावा यूरोपिय देशों का भी समावेश था| चीन ने ईंधन का आयात बढ़ाकर एवं भारत ने उत्पादन बढ़ाकर इसे काबू करने की सफलता पाई थी| अमरीका ने अपने ‘स्ट्रैटेजिक रिज़र्व’ खोलकर ईंधन के संकट को कुछ तादात में रोकने का चित्र दिखाया था| लेकिन, यूरोपिय देशों के ईंधन और ऊर्जा क्षेत्र का संकट पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और यूक्रैन युद्ध ने इसमें और भी इज़ाफा किया हुआ दिख रहा है|

यूरोप के बिजली निर्माण में नैसर्गिक ईंधन वायु का हिस्सा काफी ज्यादा है| इसमें से ३० प्रतिशत से अधिक ईंधन वायु रशिया से आयात होता है| वैश्‍विक स्तर पर कच्चे तेल की मात्रा १० करोड़ बैरल्स से अधिक है| रशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों से ‘ग्लोबल एनर्जी क्राइसिस’ की संभावना - ‘आयईए’ के प्रमुख का इशाराइनमें से १० प्रतिशत यानी १ करोड़ बैरल्स से अधिक तेल रशिया से निर्यात होता है| इसके अलावा वैश्‍विक स्तर पर नैसर्गिक ईंधन वायु की सालाना ज़रूरत ४ ट्रिलियन घनमीटर है और इनमें से ६४० अरब घनमीटर से अधिक वायु रशिया निर्यात करती है| विश्‍व में कोयले की कुल मॉंग में से १५ प्रतिशत से अधिक कोयले की आपूर्ति भी रशिया से ही होती है|

यह पृष्ठभूमि ईंधन और ऊर्जा क्षेत्र में रशिया का प्रमुख स्थान रेखांकित करती है| इसकी वजह से ‘इंटरनैशनल एनर्जी एजेन्सी’ के प्रमुख का इशारा अहमियत रखता है| ऊर्जा संकट का इशारा देने के साथ ही बिरॉल ने करीबी दिनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा एवं ईंधन सुरक्षा के लिए निर्णायक कदम उठाने पड़ेंगे, इस ओर भी ध्यान आकर्षित किया है| पिछले साल निर्माण हुए ऊर्जा संकट के परिणाम विश्‍व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को अब भी भुगतने पड़ रहे हैं| ऐसे में नया ऊर्जा संकट उभरने का बड़ा परिणाम वैश्‍विक अर्थव्यवस्था पर हो सकता है| रशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से महंगाई बढ़ने से आर्थिक मंदी विश्‍व को नुकसान पहुँचा सकती है, ऐसा इशारा अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषकों ने पहले ही दिया है| ऐसे में ‘आयईए’ का इशारा इसकी पुष्टी कर रहा है|

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