रशिया-यूक्रैन युद्ध की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय देशों में महंगाई का भारी विस्फोट

ब्रुसेल्स – रशिया-यूक्रैन युद्ध की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय देशों में महंगाई का भारी विस्फोट होता देखा गया है| अप्रैल महीने में यूरोपिय महासंघ के ‘युरोझोन’ में महंगाई का दर ७.५ प्रतिशत दर्ज़ हुआ| यह पिछले २५ सालों का उच्च स्तर साबित हुआ है| रशिया-यूक्रैन युद्ध शुरू होने के बाद ईंधन की कीमतों का देखा गया उछाल इस महंगाई का प्रमुख कारण बना हैं| महंगाई के उछाल के कारण युरोझोन के आर्थिक विकास दर की भी गिरावट होने की जानकारी ‘युरोस्टैट’ ने साझा की|

यूरोपिय महासंघ में ‘युरो’ मुद्रा का इस्तेमाल कर रहें १९ देशों के गुट को ‘युरोझोन’ के तौर पर जाना जाता है| जर्मनी, फ्रान्स, इटली, स्पेन, पोर्तुगाल, ऑस्ट्रिया जैंसे महासंघ के प्रमुख देशों का समावेश हैं| यह देश यूरोप की अर्थव्यवस्था की रिड़ जाने जाते हैं| इन देशों के साथ अन्य प्रमुख देशों में महंगाई का विस्फोट होने से इसका असर पुरी यूरोपिय अर्थव्यवस्था पर होगा, ऐसी चिंता आर्थिक विशेषज्ञों ने जताई|

युरोझोन का महंगाई दर पिछले छह महीनों से लगातार बढ़ रहा हैं| रशिया-यूक्रैन युद्ध शुरू होने से पहले कोरोना की महामारी और इससे वैश्‍विक सप्लाई चेन मे बिगाड़ होने से यूरोपिय देशों को बड़ा नुकसान पहुँचा था| कोरोना की तीव्रता कम होने के बाद महंगाई कम होकर अर्थव्यवस्था को गति प्राप्त होगी, ऐसें संकेत यूरोपिय वित्तसंस्था और विश्‍लेषकों ने दिए थे| लेकिन, फ़रवरी महीने के अन्त में शुरू हुए यूक्रैन युद्ध ने यूरोप के आर्थिक गणित बिगाड़ा दिख रहा है|

महंगाई के विक्रमी उछाल के पीछे ईंधन की बढ़ती कीमत प्रमुख कारण है| यूक्रैन युद्ध शुरू होने के बाद यूरोप में ईंधन की कीमतों में भारी ३८ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई हैं| इस बढ़ोतरी ने लगभग सभी क्षेत्रों को नुकसान पहुँचाया हैं| सफर, यातायात, अनाज़ की आयात समेत सभी क्षेत्रों में कीमतों में भारी उछाल हुआ है| यूक्रैन युद्ध के साथ ही चीन में कोरोना का विस्फोट और लॉकडाऊन होने से भी यूरोपिय देशों को नुकसान पहुँच रहा हैं, इसपर विश्‍लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया हैं|

विक्रमी महंगाई की वजह से यूरोपियि अर्थव्यवस्था को मंदी नुकसान पहुँचा सकती हैं, यह इशारा विशेषज्ञ दे रहे हैं| साल २०२१ के आखरी तिमारी में यूरोझोन की अर्थव्यवस्था में ०.३ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई| साल २०२२ के पहली तिमारी में इसकी ०.१ प्रतिशत गिरावट हुई और इसका विकास दर मात्र ०.२ प्रतिशत हुआ| रशिया-यूक्रैन युद्ध की मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो ईंधन की कीमत और अन्य सामान की कीमतें कम होने के आसार नहीं हैं| ऐसा हुआ तो अगली तिमाही में युरोझोन को आर्थिक मंदी से नुकसान पहुँचेगा, ऐसा अनुमान कैपिटल इकॉनॉमिक्स नामक वित्तसंस्था ने व्यक्त किया हैं|

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