डोन्बास और खेर्सन के जनमत-संग्रह के बाद स्थिति बदलेगी – यूक्रेन समेत पश्चिमी देशों की रशिया को सख्त चेतावनी

मास्को – यूक्रेन के डोन्बास, खेर्सन और ज़ौइपोरिज़िया क्षेत्र में रशिया जनमत-संग्रह कर रही है। रशिया में शामिल होना है या नहीं, इस पर यहां की जनता अपना विचार दर्ज कर रही है। जैसे ही यहां की जनता ने रशिया का हिस्सा बनने का निर्णय किया तो फिर यहां की स्थिति पूरी तरह से बदल जाएगी क्योंकि, इसके बाद यह रशिया का क्षेत्र हो जाएगा और उस पर हमले करना रशिया पर हमला माना जाएगा। इस पर रशिया पूरी ताकत से जवाब देगी, ऐसी चेतावनी रशिया ने दी है। इस क्षेत्र को यूक्रेन से जुदा करने के लिए रशिया कर रही जाली जनमत को हम मंजूर नहीं करेंगे, ऐसा इशारा नाटो के महासचिव स्टोल्टनबर्ग ने  दिया है।

रशिया ने यूक्रेन के डोन्बास, खेर्सन और ज़ौइपोरिज़िया प्रांत में जनमत करने के ऐलान के बाद पश्चिमी देशों में सनसनी निर्माण हुई थी। यूक्रेन के इस क्षेत्र को हथियाने के लिए रशिया ने जनमत का यह दिखावा किया है, ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं। लेकिन, इस निर्णय को रशियन जनता का समर्थन मिलने की बात दिख रही है। इसके लिए रशियन जनता सड़कों पर उतरी है। राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के इस निर्णय को हमारा समर्थन होने की बात इन समर्थकों ने दर्शायी। साथ ही पश्चिमी देशों ने सैन्य कार्रवाई के ज़रिये जनमत की यह प्रक्रिया रोकने की या इसके खिलाफ गतिविधियाँ करने की कोशिश की तो रशिया अपनी पूरी ताकत से प्रत्युत्तर देगी, ऐसी चेतावनी रशिया दे रही है।

फिलहाल रशिया ने अपनी क्षमता के सिर्फ एक प्रतिशत आरक्षित सैनिकों की गतिविधियाँ शुरू की हैं, यह जानकारी रशिया के रक्षामंत्री सर्जेई शोईगू ने साझा की। इसी बीच क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने जनतम पर रशिया की भूमिका अधिक स्पष्ट रूप से रखी। उससे पहले रशिया के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष और मौजूदा सिक्युरिटी काऊन्सिल के उपाध्यक्ष दिमित्रि मेदवेदेव ने पश्चिमी देशों को इसी मुद्दे पर सख्त इशारा दिया था।

जैसे ही डोन्बास, खेर्सन और ज़ौइपोरिज़िया की जनता जनमत के ज़रिये रशिया में शामिल होने का निर्णय करती है, वैसे ही इस क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति बदल जाएगी। क्योंकि, इसके बाद यह पूरा क्षेत्र रशिया का हिस्सा हो जाएगा। इस वजह से इस क्षेत्र पर किया गया हमला रशिया पर हमला माना जाएगा। अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए रशिया आवश्यक हर स्रोत का इस्तेमाल करने में जरा भी नहीं हिचकिचाएगी, ऐसा इशारा मेदवेदेव ने कुछ ही दिन पहले दिया था। इसी बीच पश्चिमी देशों की इस पर तीव्र प्रतिक्रिया आ रही है। खास तौर पर नाटो ने रशिया ने यूक्रेन के क्षेत्र में किए जनमत को मंजूरी ना देने का ऐलान किया है।

नाटो के सेक्रेटरी जनरल स्टोल्टनबर्ग ने रशिया द्वारा आयोजित किया यह जनमत बोगस कहकर नाटो इसे अहमियत नहीं देगा, यह दावा भी किया। साथ ही यूक्रेन का यह हिस्सा रशिया को जोड़ने की कोशिश बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, ऐसे स्पष्ट संकेत भी उन्होंने दिए हैं। इस वजह से रशिया ने आयोजित किए डोन्साब, खेर्सन और ज़ौइपोरिज़िया के जनमत की प्रक्रिया पूरी होने और इसका नतीजा सामने आने के बाद यूक्रेन संघर्ष को नया मोड़ ले सकता है। २७ सितंबर को यह प्रक्रिया पूरी होगी, यह जानकारी रशिया ने साझा की है। इसके बाद क्या होगा, इस ओर पूरे विश्व के निरीक्षकों की नज़रें लगी हैं। पहले के समय में रशिया ने कब्जा किया हुआ अपना क्षेत्र यूक्रेन की सेना ने वापस पाने के लिए जोरदार अभियान शुरू किया हैं और इसकी सेना ने जोरदार आगे बढ़ना जारी रखा है। यूक्रेन युद्ध को सात महीने हो रहे हैं और इसके बीच में यह बदलाव ध्यान आकर्षित कर रहा है।

ऐसे समय में रशिया ने यूक्रेन के क्षेत्र में जनमत शुरू किया है। इस वजह से यूक्रेन को सैन्य मोर्चे पर प्राप्त हो रही सफलता के पीछे रशिया की ही चाल हो सकती है और इस युद्ध में अब हम नहीं बल्कि, यूक्रेन की सेना ही हमले कर रही है, यह चित्र इसके ज़रिये रशिया दिखा रही है, ऐसे संकेत प्राप्त होने लगे हैं।

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