चीन में फैली अफ़वाहों की वजह से पूरे विश्व में सनसनी

बीजिंग – चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग फिलहाल नज़रबंद हैं और चीन की बागड़ोर पूर्व राष्ट्राध्यक्ष हु जिंताओ और पूर्व प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ संभाल रहे हैं, ऐसी अफ़वाहें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैली हैं। चीनी सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा इन अफ़वाहों को अधिक बल दे रही है और फिलहाल राजधानी बीजिंग की ओर जा रहे हाय-वे चीनी सेना द्वारा ब्लॉक किए जाने के दावे सामने आ रहे हैं। बंद दरवाज़े के पीछे चीन में सत्ता परिवर्तन की प्रक्रिया जारी है और इसमें चीन के पिपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के वरिष्ठ अधिकारी जनरल ली किओमिंग सबसे आगे हैं और जिनपिंग की कार्रवाई का लक्ष्य बने सेना अधिकारी फिलहाल पीएलए की बैठकों में शामिल होने की बड़ी चर्चा हो रही है। लेकिन, फिलहाल यह दावे खबरों में तब्दील नहीं हुए हैं और इसे अफ़वाह ही माना जा रहा है। फिर भी चीन के फौलादी परदे के पीछे से आ रही अफ़वाहों की गति चौंकानेवाली है और इसकी पृष्ठभूमि होने की बात से कोई भी इंकार नहीं कर सकता।

चीनी वंश के अमरिकी विश्लेषक गॉर्डन चैंग ने चीन से हो रहें विद्रोह के यह दावे फिलहाल अफ़वाहें ही हैं, ऐसा स्पष्ट किया गया। फिर भी इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता, क्योंकि पिछले तीन दिनों में चीनी सेना की गतिविधियाँ काफी अहम हैं और इस देश के नेतृत्व में बेचैनी होने के संकेत देती है, ऐसा गॉर्डन चैंग ने कहा है। इन सैन्य गतिविधियों के वीडियोज्‌‍ भी चैंग ने सोशल मीडिया पर शेअर किए हैं। चीन की गतिविधियों की गहरी जानकारी रखनेवाला और चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के पतन का अनुमान दर्शानेवाले विश्लेषक के तौर पर गॉर्डन चैंग नामांकित हैं। उनका दर्ज़ किया हुआ अनुमान पूरे विश्व के विश्लेषकों को सोचने पर मज़बूर कर देता है।

कोरोना की महामारी और इसके बाद के दौर में चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग अपना देश छोड़कर दूसरे किसी भी देश के दौरे पर नहीं गए हैं। केवल इतना ही नहीं, बल्कि चीन में उनका घूमना-फिरना भी सीमित ही था। इसके पीछे सत्ता परिवर्तन की साज़िश की आशंका होने की चर्चा अंतरराष्ट्रीय माध्यम व्यक्त कर रहे थे। लेकिन, तब इसकी पुष्टी नहीं हो पाई थी। चीन में राज्यक्रांत करनेवाले नेता माओ त्से तुंग के बाद सर्वाधिकार रखनेवाले नेता के तौर पर शी जिनपिंग की पहचान बनी थी। इन असीम अधिकारों का इस्तेमाल करके जिनपिंग ने अपने राजनयिक विरोधियों को हटाने का सिलसिला शुरू किया था। साथ ही पीएलए के अधिकारी पदों  पर उन्होंने अपने भरोसेमंद अधिकारियों को नियुक्त करना भी शुरू किया था।

इसके खिलाफ चीन में बेचैनी फैली है और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलिटब्युरो से ही इस पर कभी तो तीखी प्रतिक्रिया सामने आएगी, ऐसे दावे किए जा रहे थे। लेकिन, काफी समय से जिनपिंग अपने खिलाफ उभरा असंतोष दबाने में सफल रहे। लेकिन, कोरोना की महामारी के बाद उन्होंने अपनाई ‘ज़ीरो कोविड पोलिसी’ यानी कोरोना की महामारी ना फैले, इसके लिए सख्त कर्फ्यू लगाने की अपनाई हुई नीति को लेकर जनता में असंतोष पनप रहा था। इसका असर भी जिनपिंग के नेतृत्व पर पड़ा और इसी में चीन की अर्थव्यवस्था की गिरावट शुरू हुई और जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी पर से पकड़ छूटने लगी, ऐसी खबरें मिलने लगी थीं। इसी कारण जिनपिंग चीन छोड़कर दूसरे देश के दौरे पर नहीं गए थे, क्योंकि देश से बाहर जाने के बाद अपनी सत्ता पर से पकड़ छुट जाएगी और घात होगा, यह चिंता उन्हें सता रही थी, ऐसे दावे माध्यमों में प्रसिद्ध हुए थे।

लेकिन, उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित एससीओ की बैठक में अनुपस्थित रहना जिनपिंग के लिए कठिन हुआ। वहां से स्वदेश लौटेने के बाद जिनपिंग का ड़र वास्तव में उतरने की अफ़वाह सामने आ रही है। इसकी यह पृष्ठभूमि है। पिछले दो दिनों में बीजिंग के हवाई अड्डे से छह हज़ार अंदरुनि और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द की गईं, यह जानकारी साझा की जा रही है। इसी बीच चीन की रेल सेवा अगली सूचना प्राप्त होने तक खंड़ित रहेगी, यह जानकारी सोशल मीडिया पर है। बीजिंग जा रहे महामार्ग चीनी सेना द्वारा कब्ज़ा किए जाने के दावे करके ऐसे वीडियोज्‌‍ भी जारी किए जा रहे हैं। अमरीका स्थित चीनी मानव अधिकार संगठन की कार्यकर्ता जियांग ज़ेन ने यह वीडियोज्‌‍ जारी किए हैं। 

21 सितंबर को चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने अमरीका के ज्येष्ठ कूटनीतिज्ञ हेन्री किसिंजर से शीघ्रता से मुलाकात की थी। अमरिकी विदेश नीति के रचयिता एवं अमरीका को सोवियत रशिया के साथ हुए शीतयुद्ध में जीत दिलानेवाले कूटनीतिज्ञ के रूप में किसिंजर जाने जाते हैं। उन्होंने ही अमरीका और चीन के बीच सहयोग स्थापित करके सोवियत रशिया को घेरा था। चीन पर हुकूमत करनेवाली कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण करनेवाले पोलिटब्युरो के वरिष्ठ सदस्यों के किसिंजर के साथ काफी घने संबंध हैं। इसी वजह से चीन के विदेशमंत्री वैंग ई और किसिंजर की 21 सितंबर को हुई बैठक को शक की नज़र से देखा जा रहा है। साथ ही रशिया को भी चीन में हो रही इस उथलपुथल की जानकारी होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

रशिया की ईंधन कंपनी गाज़प्रोम ने चीन की ईंधन सप्लाई रोकने के दावे किए जा रहे हैं। जिनपिंग के समर्थन में ही रशिया ने यह निर्णय किया, ऐसा कुछ लोगों का कहना है। लेकिन, रशिया ने रखरखाव के लिए यह ईंधन सप्लाई रोकने की जानकारी साझा की है। 

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