रशिया के साथ शांति समझौते के लिए ज़मीन देने का आखरी निर्णय यूक्रेन का होगा – नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग

हेलसिंकी/किव – ‘नाटो के साथ पश्‍चिमी देश यूक्रेन की स्थिति मज़बूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं, इसके बावजूद रशिया के साथ शांति समझौता करने के लिए यूक्रेन को कुछ समझौते करने ही होंगे। इनमें कुछ क्षेत्रों का त्याग करने के निर्णय का भी समावेश है’, ऐसा बयान नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने किया है। पिछले महीने डावोस की ‘वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम’ की बैठक में अमरीका के ज्येष्ठ कूटनीतिज्ञ हेन्री किसिंजर ने सलाह दी थी कि, यूक्रेन ने रशिया को अपना कुछ क्षेत्र देना पडेगा। इस पर यूक्रेन के नेतृत्व ने तीव्र बयान किया था। लेकिन, इसके बाद कई पश्‍चिमी नेता और अधिकारी यूक्रेन पर रशिया के साथ शांति समझौता करने के लिए दबाव बनाने की खबरें सामने आ रही हैं।

रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के साथ ही अधिकांश पश्‍चिमी नेता और कूटनीतिज्ञ रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने शुरू किए यूक्रेन युद्ध पर तीखे शब्दों में आलोचना कर रहे हैं। यूक्रेन पर हमला करनेवाले पुतिन को सबक सिखाना होगा और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समूदाय को यूक्रेन को हर तरह की सहायता करनी होगी, ऐसा स्वर पश्‍चिमी देशों ने लगाया था। यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमीर झेलेन्स्की ने भी डावोस की बैठक में यही आवाहन किया था कि, पुतिन को जीतने नहीं देना चाहिये। लेकिन, पिछले कुछ दिनों में डोन्बास क्षेत्र में रशिया को प्राप्त हो रही सामरिक सफलता की पृष्ठभूमि पर पश्‍चिमी नेताओं के स्वर बदल रहे हैं।

कुछ हफ्ते पहले अमरीका के शीर्ष समचार चैनल ‘सीएनएन’ ने एक वृत्त जारी किया था, जिसमें यह दावा किया गया था कि, अमरीका, यूरोपिय महासंघ और ब्रिटेन के वरिष्ठ अधिकारी शांति समझौते के लिए आवश्‍यक गतिविधियाँ कर रहे हैं। इसके लिए हुई बैठकों के दौरान यूक्रेन के अधिकारी या नेताओं का समावेश ना होने की बात भी ‘सीएनएन’ ने कही थी। यह वृत्त प्रसिद्ध होने के साथ ही यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ने बयान किया था कि, पश्‍चिमी देश चर्चा के लिए दबाव बना रहे हैं। रशिया-यूक्रेन युद्ध लंबे समय तक चलता दिख रहा हैं और इससे पश्‍चिमी देश तंग आ गए हैं, ऐसे दावे भी विश्‍लेषक कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर नाटो के प्रमुख ने यूक्रेन को शांति समझौते के लिए ज़मीन देने की सलाह देना ध्यान आकर्षित कर रहा है।

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