जापान के साथ किए ‘कुरिल’ संबंधित समझौते से रशिया पीछे हटी

मास्को/टोकियो – रशिया और जापान के विवाद का मुद्दा बने कुरिल द्वीपों से संबंधित समझौते से रशिया पीछे हटी है। दो दशक पहले किए गए इस समझौते के अनुसार जापान ने रशिया के कारोबार के बकाया का भुगतान नहीं किया, यह आरोप लगाकर रशियन विदेश मंत्रालय ने यह समझौता तोड़ दिया। कुछ घंटे पहले जापान ने नाटो के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाना और युद्धाभ्यास करने के मुद्दे पर चर्चा की थी। इस पर रशिया की यह प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है।

मंगलवार को जापान ने रक्षामंत्री नोबुआ किशी ने नाटो की सैन्य समिती के प्रमुख रॉब बोर से मुलाकात की। रशिया ने यूक्रेन पर किए हमलों पर इस बैठक में चिंता व्यक्त की। साथ ही आनेवाले समय में जापान यूरोपिय देशों के साथ सहयोग बढ़ाएगा, यह चर्चा हुई। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के विस्तार के साथ नाटो की गतिविधियों का जापान के रक्षामंत्री किशी ने स्वागत किया।

फिलहाल भूमध्य समुद्र में जारी नाटो के युद्धाभ्यास में जापान की सेना भी शामिल हुई है। आनेवाले समय में ऐसे युद्धाभ्यास में जापान की सेना का समावेश एवं नाटो के रक्षाखर्च में भी जापान का हिस्सा बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। इस वजह से आनेवाले समय में नाटो और जापान का सैन्य सहयोग अधिक मज़बूत होगा, यह दावा पश्चिमी माध्यमों ने किया। इसके कुछ घंटे बाद ही रशिया ने जापान के साथ किए समझौते से पीछे हटने का ऐलान किया।

रशिया के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया झाखारोवा ने ‘कुरिल’ द्वीप के समझौते से पीछे हटने का ऐलान किया। रशिया के इस ऐलान पर जापान ने आलोचना की। रशिया का एकतर्फी निर्णय काफी निंदनीय होने की फटकार जापान ने लगायी। साथ ही कुरिल द्वीपों की सीमा में अपने जहाज़ों की सुरक्षा के लिए जापान हर संभव कोशिश करेगा, ऐसा जापान ने ड़टकर कहा।

साल १९९८ में किए गए समझौते के अनुसार रशिया ने जापान के कुरिल द्वीपों की सीमा में मछली पकड़ने की अनुमति प्रदान की थी। कारोबार के बदले में रशिया ने जापान को यह सहुलियत प्रदान की थी। रशिया कुरिल द्विपों पर अपना हक जता रही है। ऐसे में ‘नॉर्दन टेरिटरीज्‌’ के नाम से जाने जा रहे कुरिल द्वीप जापान के चार द्वीप समूहों में से एक होने का जापान का कहना है।

पिछले कई दशकों से जापान और रशिया में यह विवाद जारी है। इस विवाद की वजह से रशिया ने जापान के साथ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद शांति समझौता भी नहीं किया। इस कारण कुरिल द्वीपों से संबंधित समझौते से पीछे हटने की वजह से इस क्षेत्र में रशिया और जापान के विध्वंसक एक-दूसरे के सामने आने का खतरा बढ़ा है।

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