रशिया-युक्रेन तनाव की पृष्ठभूमि पर युरोप में नए ‘एनर्जी क्रायसिस’ के संकेत – ईंधन के रिजर्व भंडार में गिरावट

ब्रुसेल्स/मॉस्को – रशिया और युक्रेन के बीच के संभाव्य युद्ध की पृष्ठभूमि पर युरोप में ‘एनर्जी क्रायसिस’ यानी ईंधन का संकट अधिक तीव्र हुआ है। युरोप की ईंधन वायु का रिजर्व भंडार 40 प्रतिशत से नीचे गिरा होने की जानकारी सामने आई है। यह भंडार पहली ही बार इतना नीचे गिरा होने की जानकारी सूत्रों ने दी। बिजली की बढ़ती कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए युरोपीय देशों ने रिजर्व भंडार की इंधन वायु का इस्तेमाल करने के कारण, भंडार में इतनी गिरावट होने की बात बताई जाती है।

europe-new-energy-crisisकोरोना के संकट से जागतिक अर्थव्यवस्था बाहर निकल रही है, ऐसा चित्र सामने आ रहा है। इस पृष्ठभूमि पर कई देशों में ईंधन और ऊर्जा की माँग अचानक बड़े पैमाने पर बढ़ने लगी है। लेकिन उत्पादन मर्यादित होने के कारण कई देशों में ईंधन की किल्लत महसूस होने लगी होकर, उससे उसकी माँग तथा दरें बढ़ने की शुरुआत हुई है। इन देशों में अमरीका और चीन समेत युरोपीय देशों का भी समावेश है। चीन ने ईंधन की आयात बढ़ाकर उस पर नियंत्रण प्राप्त करने में सफलता पाई थी। वहीं, अमरीका ने अपने ‘स्ट्रैटेजिक रिजर्व’ खुले करके इंधन के संकट को कुछ हद तक रोकने का चित्र खड़ा किया था। लेकिन युरोपीय देश अभी भी उससे बाहर नहीं निकले होकर, उल्टे इन देशों में ऊर्जा संकट की व्याप्ति अधिक ही बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।

यूरोप के इस ‘एनर्जी क्रायसिस’ के पीछे रसिया का हाथ होने के आरोप हो रहे हैं। यूरोप के बिजली निर्माण में नैसर्गिक ईंधन वायु का बड़ा हिस्सा है। इस ईंधन वायु में से 30 प्रतिशत से अधिक ईंधन वायु रसिया से आयत की जाती है। फिलहाल रसिया यूरोपीय देशों को हर रोज लगभग 23 करोड़ क्यूबिक मीटर ईंधन वायु की सप्लाई करता है। इनमें से तकरीबन एक तिहाई सप्लाई कामा यूक्रेन से होकर जाने वाली ईंधन वाहिनियों के ज़रिए होता है। रशिया और यूक्रेन के बीच पैदा हुए तनाव की पृष्ठभूमि पर यह सप्लाई तहस-नहस अथवा खंडित होने का डर है।

कड़ी ठंड़ में अगर ऐसा हुआ, तो युरोपीय देशों को बड़े ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ सकता है। इस संकट को नियंत्रित करने के लिए, ईंधन वायु की पर्याप्त राशि उपलब्ध होना महत्वपूर्ण होता है। लेकिन ठीक इसी दौर में युरोपीय देशों का रिजर्व ईंधन भंडार नीचतम स्तर तक पहुँचना गौरतलब साबित होता है।

इसी बीच, युरोप का भाग होनेवाले ब्रिटेन में भी ईंधन वायु के उत्पादन में भारी गिरावट आने की चेतावनी दी गई है। आनेवाले दशक भर में ब्रिटेन में इंधन वायु का उत्पादन 75 प्रतिशत से घट सकता है, ऐसी चेतावनी ‘ओजीयुके’ इस ईंधन विषयक कंपनियों के गुट ने दी है। ब्रिटेन की ईंधन वायु की लगभग 50 प्रतिशत ज़रूरत स्थानीय उत्पादन से पूरी की जाती है। 

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