लिथुआनिया के मुद्दे पर युरोपिय महासंघ द्वारा चीन के खिलाफ ‘डब्ल्यूटीओ’ में शिकायत

lithuania-china-wto-1विल्निअस/ब्रुसेल्स/बीजिंग – चीन द्वारा लिथुआनिया पर डाले जानेवाले दबाव के खिलाफ युरोपिय महासंघ ने आक्रामक भूमिका अपनाई है। महासंघ ने विश्व व्यापार संगठन (वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइज़ेशन) में शिकायत दर्ज की है। इस शिकायत के खिलाफ चीन की प्रतिक्रिया उमडी है और महासंघ की भूमिका मिथ्या तथा विसंगत होने का आरोप लगाया गया है। युरोपिय महासघ ने चीन के खिलाफ इस दावे की वजह से युरोप और चीन के बीच तनाव अधिक बढ सकता है, ऐसा इशारा विश्लेषकों ने दिया।

lithuania-china-wto-2’चीनी हुकूमत व्यापार के मुद्दे पर लिथुआनिया के साथ भेदभाव का बर्ताव कर रही है। इसलिए युरोपिय महासंघ के बाजार के हिस्से में अन्य व्यापार पर भी असर पड रहा है। द्विपक्षीय स्तर पर समस्या का हल निकालने के लिए किए जानेवाले प्रयास असफल रहे हैं। इसलिए महासंघ को विश्व व्यापार संगठना के जाना पडा’. इन शब्दों में युरोपिय महासंघ के व्यापार आयुक्त वाल्दिस डॉम्ब्रोवस्किस ने चीन के खिलाफ शिकायत की जानकारी दी। महासंघ उक्त मुद्दे की ओर बडी गंभीर्ता से देख रहा है, इस बात की ओर व्यापार आयुक्त ने ध्यान आकर्षित किया।

lithuania-china-wto-3पिछले कुछ महीनों से अमेरिका एवं युरोप समेत अंतरराष्ट्रीय समूदाय के प्रमुख राष्ट्रों से भी तैवान को बढता हुआ समर्थन एवं सहकार्य मिल रहा है। इसकी वजह से चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत बेचैन हुई है और विभिन्न मार्गों से निराशा व्यक्त करती हुई दिख रही है।  पिछले वर्ष नवम्बर में युरोप के तकरीबन २८ लाख लोकसंख्यावाले लिथुआनिया में तैवान के राजनैतिक कार्यालय का उद्घाटन हुआ था। यह बात चीन को अच्छी नहीं लगी और लिथुआनिया को चारों ओर से घेरने के लिए चीन सक्रिया हो गया।

चीन ने लिथुआनिया के साथ राजनैतिक संबंधों का दर्जा घटाने का निर्णय लिया था। लिथुआनिया स्थित चीन के राजदूत को वापस बुलाकर कनिष्ठ राजनैतिक अधिकारियों को दूतावास की जिम्मेदारी सौंपी गई। मात्र इतने पर चीन नहीं रुका और लिथुआनिया के व्यापारी स्तर को घेरना शुरु कर दिया है। पिछले वर्ष चीन में निर्यात की अनुमति वाले राष्ट्रों की सूची में से लिथुआनिया को हटाए जाने की बात खुल गई थी। इसलिए लिथुआनिया से भेजे जानेवाला माल समंदर में ही रुका रहा था। तत्पश्चात लिथुआनिया पर दबाव बढाने के लिए युरोप के अन्य राष्ट्र और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लक्ष्य किया गया।

lithuania-china-wto-4अमेरिका समेत युरोपिय महासंघ ने भी यह बात गंभीर्ता से ली है। अमेरिका ने लिथुआनिया को खुला समर्थन घोषित किया है। तो तैवान ने लिथुआनिया के स्वतंत्र निधि उभारने के घोषणा की है। महासंघ ने भी लिथुआनिया को दृढ समर्थन देने के संकेत दिए हैं और विश्व व्यापार संगठना ने भी दाखिल किया हुआ मामला इसका पहला कदम माना जाता है। युरोपिय रष्ट्रों ने चीन के खिलाफ उठाए हुए कदम से दोनों तरफ तनाव अधिक बढ सकता है, ऐसा विश्लेषकों ने आगाह किया है।

इससे पहले द्विपक्षीय निवेश करार, हाँगकाँग, उइघरवंशियों पर अत्याचार, साऊथ चायना सी में चीन की कार्यवाहियों जैसे मुद्दों पर महासंघ ने कम्युनिस्ट हुकूमत के खिलाफ भूमिका अपनाई थी। अब लिथुआनिया-तैवान के मुद्दे पर ठोस कदम उठाते हुए महासंघ ने चीन के साथ संबंधों में ऑल-वेल ना होने का संदेश दिया हुआ दिख रहा है।

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