रशिया को आर्क्टिक में ईंधन का बड़ा भंड़ार बरामद हुआ

मास्को – यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोपिय देशों पर ईंधन संकट टूट रहा है। ईंधन की कीमतों का भारी उछाल आया है और जर्मनी जैसे देश में आनेवाले कुछ महीनों में ईंधन की किल्लत हो सकती है, ऐसे इशारे दिए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में रशिया को आर्क्टिक के समुद्री क्षेत्र में ईंधन का भारी बड़ा भंड़ार बरामद हुआ है। लगभग आठ करोड़ टन से अधिक ईंधन इस क्षेत्र में होने का दावा रशियन कंपनी कर रही है।

रशिया की प्रमुख ‘रोझनेफ्ट’ कंपनी ने कुछ दिन पहले इससे संबंधित ऐलान किया। आर्क्टिक के ‘मेदिन्स्को-वरांदिस्की’ क्षेत्र में खनन करने के दौरान ईंधन का यह भंड़ार पाने की जानकारी रशियन कंपनी ने साझा की। रशियन कंपनी के जांच करने पर प्रति दिन २२० क्युबिक मीटर मात्रा में ईंधन खनन इस क्षेत्र में मुमकिन है, यह दावा रशियन कंपनी ने किया। यहां का ईंधन कम दर्जे का एवं सल्फर और काफी कम चिपचिपा होने की जानकारी रोझनेफ्ट ने जारी किए पत्रक में साझा की गई है।

पेशोरा समुद्र क्षेत्र में यह ईंधन भंड़ार बरामद हुआ है। इससे ‘तिमान-पेशोरा’ प्रांत में ईंधन का बड़ा भंड़ार होने की बात फिर से स्पष्ट हुई है। इससे पहले भी इस क्षेत्र में ईंधन के भंड़ार पाए गए थे। रशिया की प्रमुख कंपनियाँ पहले से यहां के ईंधन का खनन करने में जुटी हैं। सिर्फ रोझनेफ्ट कंपनी ने आर्क्टिक में २८ ठिकानों पर ईंधन खनन करने की अनुमति पायी है। इनमें से आठ पेशोरा समुद्री क्षेत्र के हैं।

आर्क्टिक में ईंधन, ईंधन वायु एवं अन्य नैसर्गिक खनिजों का बड़ा भंड़ार होने का दावा किया जा रहा है। इस वजह से रशिया के साथ ही अमरीका, कनाड़ा, नॉर्वे, डेन्मार्क जैसे देश इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जता रहे हैं। अमरीका और कनाड़ा के विध्वंसक एवं जहाज़ आर्क्टिक क्षेत्र में तैनात हैं। कुछ महीने पहले ही कनाड़ा ने इस समुद्री क्षेत्र में ईंधन खनन की कोशिश करने के आरोप लगे थे। ऐसे में अमरीका के सहयोग से नाटो भी इस क्षेत्र में सेना की गतिविधियाँ कर रही है, ऐसा आरोप रशिया ने लगाया था।

पिछले तीन महीनों से यूक्रेन में युद्ध हो रहा है। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ईंधन की कीमतों में भारी उछाल आया है। रशिया ने ईंधन रोकने के कारण यूरोपिय देशों पर ईंधन संटक टूटने का आरोप अमरीका और यूरोप लगा रहे हैं। रशिया विरोधी संघर्ष की तैयारी के तौर पर नाटो ने यूक्रेन के पड़ोसी देशों में अपनी सेना तैनात करना शुरू किया था। ऐसे में कुछ दिन पहले स्वीडन और फिनलैण्ड को नाटो में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। नाटो की यह गतिविधियाँ रशिया के आर्क्टिक क्षेत्र के अधिकारों को चुनौती दे सकती है। आनेवाले समय में यूक्रेन युद्ध की तीव्रता आर्क्टिक तक पहूँच सकती है, ऐसी चेतावनी रशिया ने दी थी।

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