अमरीका के दबाव की परवाह किए बिना रशियन ईंधन की खरीद भारत दोगुनी बढ़ाएगा

नई दिल्ली/मास्को – अमरीका के इशारें और धमकियॉं मिलने के बावजूद भारत ने रशिया से अधिक मात्रा में ईंधन खरीदने की तैयारी जुटाई हैं| साथ ही भारत रशिया से कोयला खरीदने की भी सोच रहा हैं, ऐसीं खबरें हैं| अमरीका की परवाह किए बिना देशहित के निर्णय कर रहें भारत की रशिया के विदेशमंत्री ने सराहना की हैं| काफी कम देशों को ऐसी निड़रता दिखाना मुमकिन होता हैं, ऐसी फटकार रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैव्हरोव ने लगाई हैं|

रशिया से ईंधन खरीदना भारत के हित का नहीं, ऐसा इशारा अमरिकी रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन ने दिया था| अमरिकी विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन ने भी ऐसें ही शब्दों में भारत को रशिया के साथ जारी कारोबार को लेकर इशारा दिया था| अमरीका के उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलिप सिंह ने भारत के रशिया के साथ जारी कारोबार के गंभीर परिणाम होंगे, ऐसा बयान करके सीधा धमकाया था| लेकिन, भारत महीने भर में रशिया से जितना ईंधन खरीदता हैं, उतना ही ईंधन यूरोपिय देश आधे दिन में रशिया से खरीदते हैं, ऐसा कहकर भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने अमरीका की दोगली नीति पर बिल्कुल सटिकता से ध्यान आकर्षित किया था|

साथ ही भारत का रशिया के साथ होरहा ईंधन कारोबार किसी भी नियम का भंग नहीं करता, इसका अहसास भी जयशंकर ने कराया था| फिर भी अमरीका ने भारत के इस कारोबार पर जतायी आपत्ति पीछे नहीं ली| ऐसी स्थिति में रशिया से हो रही ईंधन खरीद दोगुनी करने की तैयारी भारत जुटा रहाहैं| भारतीय ईंधन कंपनियॉं इसके लिए रशियन कंपनियों से बातचीत कर रही हैं, ऐसी खबरें प्रसिद्ध हुई हैं| साथ ही भारत रशिया से कोयले की भी खरीद करेगा, यह दावे भी हो रहे हैं|

अमरीका जैसी महासत्ता के दबाव में आकर भारत अपनी नीति में बदलाव नहीं कर रहा हैं, इसका संज्ञान लेकर रशिया के विदेशमंत्री ने भारत की सराहना की| भारत के विदेशमंत्री जयशंकर सच्चे देशभक्त हैं और उन्होंने अमरीका में ही यह ऐलान किया कि, भारत देश हित को प्राथमिकता देगा| काफी कम देशों को ऐसी निड़रता दिखाना मुमकिन होता हैं, ऐसा विदेशमंत्री लैव्हरोव ने कहा हैं|

साथ ही रशिया अपनी अन्न सुरक्षा, रक्षा एवं अन्य रणनीतिक क्षेत्रों के लिए इसके आगे यूरोपिय देशों पर निर्भर नहीं रह सकती| इस मुद्दे पर रशिया पश्‍चिमी देशों के दबाव मेे ना आनेवाले भारत से सहयोग करेगी, ऐसा रशियन विदेशमंत्री ने कहा हैं|

इसी बीच, गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ भारतीय सेना का संघर्ष होने के बाद अमरीका के प्रभाव में आकर भारत चीन विरोधी साज़िश का हिस्सा ना हो, यह आवाहन रशिया के विदेशमंत्री ने किया था| इससे उन्होंने भारत के विरोध में कुछ बयान भी किए थे| बाद में उन्होंने इसपर अफ़सोस जताया| यही विदेशमंत्री लैव्हरोव्ह अब भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की सराहना कर रहे हैं, यह बात ध्यान आकर्षित कर रही हैं|

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