सौदी अरेबिया पेट्रोडॉलर के बजाय पेट्रोयुआन की दिशा में

रियाध/बीजिंग – पांच दशक से अधिक समय अपने ईंधन की बिक्री केवल डॉलर्स में ही करने वाला सऊदी अरब चीन की युवान करेंसी में ईंधन व्यवहार करने की तैयारी में है। इसके लिए सऊदी की चीन के साथ गहराई से चर्चा शुरू है। सऊदी और चीन के बीच की यह चर्चा यदि अंजाम तक पहुँची, तो बतौर आन्तर्राष्ट्रीय करेंसी अमरिकी डॉलर को बड़ा झटका लगेगा। क्योंकि रशिया जैसे ताकतवर देश पर प्रतिबंध लगाकर अमरीका ने डॉलर को कमज़ोर किया होने की आलोचना अर्थविशेषज्ञ कर रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में अगर सऊदी तथा खाड़ीक्षेत्र के अन्य देशों ने भी युआन में ईंधन के व्यवहार शुरू किये, तो जागतिक अर्थनीति में  बहुत बड़ी उथलपुथल होकर, उससे अमरीका का महासत्तापद भी ख़तरे में पड़ सकता है।

सऊदी अरब प्रतिदिन एक करोड़ बैरल्स से अधिक कच्चे तेल का उत्पादन करता है। उसमें से ७० लाख बैरल्स से अधिक कच्चा तेल निर्यात किया जाता है। इस निर्यात में से लगभग १८ लाख बैरल्स कच्चे तेल की ख़रीद चीन करता है। सऊदी की कुल तेलनिर्यात में चीन का हिस्सा २५ प्रतिशत से अधिक है। वहीं, चीन के लिए आवश्यक ईंधन में से १६ प्रतिशत ईंधन की ज़रूरत को सऊदी अरब पूरा करता है। दो देशों के बीच का वार्षिक व्यापार ५० अरब डॉलर्स से अधिक होकर उसमें से ईंधनक्षेत्र का हिस्सा लगभग १० अरब डॉलर्स का है।

इस पृष्ठभूमि पर, सौदी ने चीन की युआन करेंसी में ईंधनव्यवहार करने के संकेत देना ग़ौरतलब साबित होता है। सऊदी तथा चीन के सूत्रों ने दी जानकारी के अनुसार, पिछले छह सालों से इस मुद्दे पर चर्चा जारी थी। लेकिन सऊदी के अमरीका के साथ बढ़ते मतभेद और रशिया-युक्रेन युद्ध इन घटनाओं की वजह से ‘पेट्रोयुआन’ के संदर्भ में चल रही चर्चा और तेज़ हुई है। यह चर्चा लगभग अंतिम चरण में होने के दावे भी किये जा रहे हैं। सऊदी और चीन के बीच की इस चर्चा के बाद चीन की युआन करेंसी की आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मांग यकायक बढ़ी होकर, डॉलर की तुलना में युआन का मूल्य बढ़ने की बात सामने आयी है।

सौदी-चीन की इस चर्चा की ख़बर पर अमरीका से संमिश्र प्रतिक्रियाएँ आयीं हैं। ‘हमारे मित्रदेश तथा साझेदार देशों के चीन के साथ स्वतंत्र स्तर पर संबंध हैं। किसी भी देश को हमने ‘अमरीका या चीन इनमें से एक को चुनना होगा’ ऐसा नहीं कहा है। हर एक को साझेदारी चुनने की आज़ादी दी गयी है’, ऐसा अमरीका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राईस ने बताया। वहीं, अमरीका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ को दी प्रतिक्रिया में यह जताया है कि सऊदी अरब ईंधन व्यवहारों में युआन का इस्तेमाल नहीं कर सकता, यह बात नामुमक़िन है। युआन में ईंधनव्यवहार करना, यह सऊदी के लिए अपनी अर्थव्यवस्था में ख़ंजर भोकने जैसा है, ऐसी फटकार इस वरिष्ठ अधिकारी ने लगायी है।

इससे पहले रशिया ने चीन के साथ ईंधनव्यवहार युआन में करने का फ़ैसला किया था। यह फ़ैसला, दोनों देशों द्वारा अमरिकी डॉलर का प्रभाव कम करने के प्रयासों के भाग के रूप में जाना जाता है।

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