रशियन ईंधन की खरीद के मुद्दे पर अमरीका भारत से चर्चा कर रही है – अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

वॉशिंग्टन – यूक्रेन युद्ध की वजह से अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार मे ईंधन की कीमतें भारी उछाल पर हैं। इसका सबसे ज्यादा लाभ ईंधन निर्यातक देशों को प्राप्त हो रहा है। खास तौर पर रशियन अर्थव्यवस्था को इसका काफी बड़ा लाभ हो रहा है, यह बात अमरीका को चुभ रही है। रशिया से ईंधन खरीद बंद करना मुमकिन ना होने का इशारा युरोपीय देशों ने अमरीका को दिया है। ऐसें में भारत और चीन ये देश रशिया से ईंधन खरीद अधिक बढ़ा रहे हैं। ऐसी स्थिति में रशिया बिक्री कर रहें ईंधन की कीमत पर नियंत्रण रखकर, रशिया को अधिक लाभ प्राप्त ना हो सकें, इसके लिए ज़रूरी तैयारी अमरीका ने की है। अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने इससे संबंधित जानकारी साझा की।

रशिया से ईंधन खरीद कर रहे देश कीमत की मर्यादा तय करें और इससे कम कीमत में ईंधन खरीद करें, ऐसी नई योजना अमरीका ने पेश की है। ‘जी ७’ देशों के संयुक्त निवेदन में भी इसका ज़िक्र किया गया है। रशिया को ईंधन की बिक्री से प्राप्त हो रहा लाभ कम करने के लिए गतिविधियाँ करने का मुद्दा ‘जी ७’ के सदस्य देशों ने स्वीकार किया है, यह बात इस निवेदन से स्पष्ट हुई है। जेक सुलिवन ने इस ओर विश्‍व का ध्यान आकर्षित किया। इस मुद्दे पर हम भारत के साथ चर्चा कर रहे हैं, ऐसी जानकारी सुलिवन ने साझा की।

अमरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी इसी मुद्दे पर भारतीय अधिकारियों से चर्चा कर रहे हैं। लेकिन, जर्मनी के म्युनिक शहर में हाल ही में हुई ‘जी ७’ की बैठक में शामिल हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन की इस विषय पर चर्चा नहीं हुई, ऐसा खुलासा भी सुलिवन ने किया।

बायडेन प्रशासन विभिन्न मार्ग से दबाव बनाकर भारत और रशिया का ईंधन कारोबार नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है। अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने किया यह ऐलान यानी इन कोशिशों का अगला हिस्सा बनता है।

अमरीका ने इससे पहले भी, भारत  रशिया से ईंधन खरीद ना करें, यह माँग करके भारत को कई चेतावनियाँ देकर धमकियाँ भी दी थीं। भारत के इस निर्णय का अमरीका के द्विपक्षीय संबंधों पर असर हुए बिना नहीं रहेगा, ऐसी चेतावनी अमरीका ने दी थी। लेकिन, भारत ने इसकी परवाह किए बिना, रशिया से ईंधन की खरीद अधिक बढ़ायी थी। मई महीने में भारतीय कंपनियों ने रशिया से करीबन २.५ करोड़ बैरल्स ईंधन तेल की खरीद की थी।

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