जापान ने ‘प्राईस कैप’ से अधिक कीमत पर रशियन ईंधन खरीदा – ईंधन सुरक्षा से समझौता न करने की जापान सरकार की भूमिका

टोकियो/मास्को – रशिया-यूक्रेन युद्ध में विश्व के प्रगत देशों के ‘जी ७’ गुट ने बड़े जोरों से यूक्रेन का समर्थन करके उसकी भारी मात्रा में सहायता की थी। साथ ही रशिया को झटका देने के लिए रशिया के ईंधन क्षेत्र पर व्यापक प्रतिबंध भी लगाए थे। इसमें रशियन ईंधन की कीमत पर अंकुश लगाने के निर्णय का भी समावेश था। इस निर्णय को कामयाबी हासिल होने के दावे अमरीका और यूरोपिय देश कर रहे हैं और इसी दौरान ‘जी ७’ के सदस्य जापान ने ‘प्राईस कैप’ न मानने की बात स्पष्ट हुई है। जापान ईंधन सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दे पर समझौता नहीं करेगा, ऐसी भूमिका जापान सरकार ने अपनाई है।

‘प्राईस कैप’पिछले साल रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमरीका समेत पश्चिमी देशों ने रशिया के खिलाफ आक्रामक प्रतिबंध लगाना शुरू किया था। इसमें जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल थे। जापान ‘जी ७’ गुट का हिस्सा है और इस गुट ने रशिया के ईंधन और वित्त क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाने के लिए पहल की थी। रशियन ईंधन की कीमत पर नियंत्रण लाने का प्रस्ताव भी ‘जी ७’ ने ही सबसे पहले पारित किया था। इन प्रतिबंधों की वजह से रशियन ईंधन की मांग कुछ मात्रा में घटने के दावे भी सामने आए थे।

‘प्राईस कैप’लेकिन, प्रत्यक्ष में रशिया के ईंधन क्षेत्र को काफी बड़ा नुकसान न पहुंचन की बात स्पष्ट हुई है। कुछ दिन पहले रशिया के ईंधन मंत्री ने घोषित किया था कि, प्रतिबंध के कारण कम हो रहा निर्यात सामान्य स्तर पर लाने में रशिया सफल हुई है। चीन, भारत और एशियाई एवं खाड़ी देशों में रशियन ईंधन का निर्यात बढ़ने का बयान रशिया ने किया। इसके साथ ही अब जापान जैसे देश भी रशियन ईंधन के ‘प्राईस कैप’ से अधिक कीमत पर खरीदने की बात स्पष्ट हुई है।

रशिया के पूर्व हिस्से के ‘साखलिन-२’ ईंधन प्रकल्प में जापान का हिस्सा है। जापान की ‘मित्सुई ऐण्ड कं.’ एवं ‘मित्सुबिशी कॉर्प’ इन दो कंपनियों ने ‘साखलिन-२’ ईंधन प्रकल्प का २२.५ प्रतिशत हिस्सा निवेश के माध्यम से खरीदा है। इस प्रकल्प से कच्चे तेल और नैसर्गिक ईंधन वायु का निर्माण होता है। जापानी कंपनियों का हिस्सा और जापान के ईंधन की ज़रूरत दोनों को प्राथमिकता देकर जापान सरकार ने इस प्रकल्प से ईंधन का आयात करना जारी रखा है। साल २०२३ के पहले दो महीनों में जापान ने रशिया से तकरीबन ७.७५ लाख बैरल्स कच्चा तेल खरीदा है। इसके लिए जापान ने प्रति बैरल तकरीबन ७० डॉलर्स कीमत चुकाई है, यह बात सामने आई है।

‘जी ७’ गुट ने फ़रवरी में लगाई ‘प्राईस कैप’ के अनुसार रशिया के कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल ६० डॉलर्स निर्धारित की गई थी। लेकिन, वास्तव में जापान इससे अधिक कीमत में तेल खरीद रहा है, यह भी स्पष्ट हुआ है। इस मामले में जापान ने अमरीका से पहले ही बातचीत करने की जानकारी सूत्रों ने प्रदान की। जापान अपने ईंधन आयात के १० प्रतिशत तेल का आयात रशिया से करता है। इसमें ईंधन वायु और कच्चे तेल का भी समावेश है। साल २०२२ में जापान ने रशिया से लगभग १५ अरब डॉलर्स के ईंधन का आयात किया था। साल २०२१ की तुलना में जापान का ईंधन आयात करीबन ४.५ प्रतिशत बढ़ने की बात भी स्पष्ट हुई थी।

‘जी ७’ के सदस्य देश जापान द्वारा रशियन ईंधन का आयात अमरीका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंध असफल होने की बात दर्शाता है, यह दावा विश्लेषकों ने किया है।

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