जापान के समुद्री क्षेत्र के करीब चीन-रशिया की नौसेना का युद्धाभ्यास

बीजिंग/मास्को – ईस्ट चायना सी के क्षेत्र में जापान की समुद्री सीमा के करीब चीन और रशियन युद्धपोत बुधवार से बड़ा युद्धाभ्यास शुरू कर रहे हैं। इस क्षेत्र के साथ वैश्विक स्तर के खतरों का सामना करने के इरादों से इस युद्धाभ्यास का आयोजन करने का ऐलान चीन के रक्षा मंत्रालय ने किया है। सीधे नाम लेने से बचकर चीन इस बार अमरीका और जापान को निशाना बना रहा हैं। चीन-रशिया के इस युद्धाभ्यास से पहले जापान ने अपने अब तक के सबसे बड़े रक्षा खर्च का ऐलान किया था।

चीन-रशियाचीनी सेना के ‘ईस्टर्न थिएटर कमांड’ ने दोनों देशों के इस युद्धाभ्यास की जानकारी सार्वजनिक की। बुधवार से चीन के शांघाई से इस युद्धाभ्यास की शुरूआत होगी और अगले गुरुवार तक यह युद्धाभ्यास जारी रहेगा। ‘मेरिटाईम को-ऑपरेशन २०२२’ नामक इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों के प्रमुख युद्धपोत शामिल होंगे, यह जानकारी चीन ने साझा की। मिसाइल यंत्रमा से लैस रशियन युद्धपोत ‘वरयाग’ एवं तीन अन्य युद्धपोत इस युद्धाभ्यास का हिस्सा होंगे। ऐसे में चीन ने अपने युद्धपोतों के नाम नहीं बताए हैं। लेकिन, इसमे दो विध्वंसक, दो गश्तपोत, डिज़ल पर आधारित पनडुब्बी और बहुउद्देशीय सहायता जहाज़ इस युद्धाभ्यास में शामिल होंगे, यह जानकारी चीन ने प्रदान की।

दोनों देशों में नौसैनिक सहयोग बढ़ाने के लिए और एशिया-पैसिफिक में शांति स्थापित करने के लिए इस युद्धाभ्यास का उपयोग होगा, ऐसा रशियन रक्षा मंत्रालय ने जारी किए निवेदन में कहा है। इस बार युद्धपोतों पर तैनात मिसाइलें और विमान विरोधी तोप चलाकर हवाई लक्ष्य को निशाना करने का अभ्यास भी होगा। साथ ही विध्वंसक और पनडुब्बिविरोधी युद्ध की तैयारी भी इस अवसर पर की जाएगी, ऐसा रशियन रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया। उत्तर कोरिया की मिसाइल परीक्षणों की वजह से इस क्षेत्र में तनाव निर्माण हुआ है और ऐसे में चीन और रशियन नौसेना का यह युद्धाभ्यास इस तनाव को अधिक बढ़ाएगा, ऐसी आलोचना अमरिकी पत्रकार कर रहे हैं।

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रशिया ने चीन की नौसेना के साथ यह दूसरा नौसैनिक युद्धाभ्यास होगा। कुछ हफ्ते पहले रशिया और चीन के युद्धपोतों ने युद्धाभ्यास किया था। कुरिल द्विपों के करीब आयोजित किए गए इस युद्धाभ्यास का परीक्षण करने के लिए रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन मौजूद थे। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमरीका और यूरोपिय देशों ने इंडो-पैसफिक क्षेत्र के देशों पर रशिया विरोधी भूमिका अपनाने के लिए दबाव डाला जा रहा है। ऐसी स्थिति में रशिया ने चीन के साथ दूसरे युद्धाभ्यास का आयोजन करके पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है, ऐसा चीनी और खाड़ी के माध्यमों का कहना है।

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