१०१. ‘मेल्टिंग पॉट कल्चर’

किसी भी देश की कला-संस्कृति ये बातें उस देश के समाज का मानो प्रतिबिंब ही होते हैं और जनमानस से अंतरंग के दर्शन कराते हैं| विभिन्न कालखंडों में तैयार हुईं किसी देश की कलाकृतियों के आधार पर, उस उस कालखंड में होनेवाला वहॉं के जनमानस का रूझान समझने में सहायता हो सकती है|

इस्रायल यह प्रायः ज्यू-राष्ट्र है| इस्रायली लोग ये एकत्रित होकर पॅलेस्टाईन प्रान्त में बसने चले आये, वह ज्यूधर्म के कारण ही| ज़ाहिर है, इस्रायल की संस्कृति यह मुख्य रूप से ज्यूधर्मतत्त्वों पर ही केंद्रित है| फिर भी, यहॉं के नागरिक यह बहुसंख्या में दुनिया के कोने कोने से, लगभग ७० से भी अधिक देशों में कई पीढ़ियों से निवास कर वहॉं से स्थलांतरित हुए ज्यूधर्मीय होने के कारण, वे वहॉं के रीतिरिवाज़-परंपरा-संस्कृतियों में ही पले-बढ़े थे और उन रीतिरिवाज़ों को वे आते समय अपने साथ लेकर आये थे|

उदा. ऍश्केनाझी (पूर्व युरोपीय) ज्यू, शेफर्डी (स्पॅनिश-पोर्तुगाली) ज्यू, मिझराही (मध्यपूर्वी प्रदेश से) ज्यू, रशियन ज्यू, इथियोपियन ज्यू, इराकी ज्यू ये हालॉंकि मूलतः ज्यूधर्मीय थे, मग़र फिर भी ज्यूधर्मतत्त्वपालन के साथ ही उस उस प्रदेश के रीतिरिवाज़, परंपरा इनका भी वे पालन करते थे और इस्रायल में स्थलांतरित होते समय वे अपनी अपनी संस्कृतियॉं भी अपने साथ लेकर आये थे| ज़ाहिर है, वे भी इतने सालों में एक-दूसरे में घुलमिल गयीं|

इसी को इस्रायल के पहले प्रधानमन्त्री डेव्हिड बेन-गुरियन ने ‘मेल्टिंग पॉट ऍप्रोच’ ऐसा संबोधित किया था| जिस तरह किसी बर्तन में विभिन्न द्रवपदार्थ डालकर उन्हें उबाला, तो वे एक-दूसरे में बेमालूम रूप से घुलमिल जाते हैं और फिर उनका स्वतंत्र अस्तित्व न रहते हुए उस सब पदार्थों में से एक नये ही पदार्थ का निर्माण होता है| इस नये से बने पदार्थ में मूल सभी घटक पदार्थों का स्वाद, गंध आदि गुणधर्म होते ही है, लेकिन फिर भी वह पदार्थ अलग ही होता है|

हर एक ज्यूधर्मीय छात्र को इस्रायली डिफेन्स फोर्सेस (आयडीएफ) में ३ साल की सेवा करनी ही पड़ती है|

इस नवजात इस्रायल में दुनियाभर से स्थलांतरित हुए ज्यूधर्मियों से डेव्हिड बेन-गुरियन को ऐसा ‘मेल्टिंग पॉट कल्चर’ अभिप्रेत (एक्स्पेक्टेड) था| ताकि ज्यूधर्मियों में, पुराने ज्यूधर्मीय, नये ज्यूधर्मीय, मूल ज्यूधर्मीय, स्थलांतरित ज्यूधर्मीय ऐसा किसी भी प्रकार का भेदभाव ही ना रहें|

किसी भी स्थान की संस्कृति का महत्त्वपूर्ण भाग यानी वहॉं की प्रचलित भाषा| भिन्न पार्श्‍वभूमियों में से आये हुए ज्यूधर्मियों की बीच का भेदभाव कम करने के लिए सहायभूत साबित हुई, वह ‘हिब्रू’ भाषा| इस्रायल में प्रायः हिब्रू भाषा बोली जाती है और वह इस्रायल की राष्ट्रीय भाषा भी होने के कारण सरकारी व्यवहार हिब्रू भाषा में ही होते हैं| इस्रायली ज्यूधर्मीय समाज एकसंध बनाने के लिए हिब्रू भाषा का अच्छा उपयोग हुआ है| लेकिन इस्रायलस्थित अरबों द्वारा अरबी भाषा बोली जाती है| वहॉं के स्कूलों में अँग्रेज़ी भाषा भी सिखायी जाती है और वह इस्रायल में बोली जानेवाली प्रमुख विदेशी भाषा है| इनके अलावा, स्थलांतरित ज्यूधर्मीय हिब्रू के साथ साथ, इस्रायल आने से पहले जिस किसी प्रदेश में थे, वहॉं की भाषाओं का भी आपस में इस्तेमाल करते हुए दिखायी देते हैं| इन तीन भाषाओं के अलावा, ऐसी लगभग ८० से भी अधिक भाषाओं का इस्तेमाल इस्रायल में किया जाता है|

उसीके साथ, इस्रायली समाज एकसंध बनाने के लिए और दो बातें उपयोगी साबित हुईं| वे थीं – इस्रायली शिक्षापद्धति और इस्रायली डिफेन्स फोर्सेस (आयडीएफ)| इस्रायली शिक्षापद्धति यह क़ानूनन ही एकसमान की गयी है| उसीके साथ हर एक ज्यूधर्मीय छात्र को आयडीएफ में ३ साल की सेवा करनी पड़ती है| इन दो बातों के कारण, विभिन्न पार्श्‍वभूमियों में से आये ज्यूधर्मीय बच्चों का एक-दूसरे के साथ आदानप्रदान बढ़कर वे ‘इस्रायली’ बनने में मदद होती है|

‘बेझालेल ऍकॅडमी ऑफ आर्ट’ के तहत विभिन्न कलाशाखाओं की शिक्षा प्रदान की जाती है|

इस्रायल की कुल जनसंख्या में से लगभग ७५% लोग ज्यूधर्मीय होकर, लगभग १७% इस्लामधर्मीय, तो लगभग ८% अन्यधर्मीय हैं| लेकिन त्योहार-उत्सव आदि की सार्वजनिक छुट्टियॉं हिब्रू कॅलेंडर के अनुसार दी जाती हैं| त्योहारों में पासओव्हर, शावुओत, सुक्कोथ ये धार्मिक दृष्टि से, ऐतिहासिक दृष्टि से और कृषि की दृष्टि से महत्त्व होनेवाले त्योहार हैं|

इस्रायली समाज यह परिवारप्रिय समाज होकर यहॉं का सामाजिक जीवन यह परिवारसंस्थाकेंद्रित है| इसलिए पश्‍चिमी संस्कृति में प्रचलित होनेवाली ‘न्युक्लिअर फॅमिली’ संकल्पना अब तक इस्रायल में उतना ज़ोर नहीं पकड़ सकी है| परिवार में सर्वसामान्यतः पति-पत्नी, उनके विवाहित एवं अविवाहित बच्चें, दादा-दादी, इतना ही नहीं, बल्कि घर के सेवक भी होते हैं| घर के सेवकों के परिवार भी मालिक के ही घर में रहते होने के उदाहरण कम नहीं हैं| दो-तीन पीढ़ियॉं निवास कर रहे किसी घर के सदस्यों की संख्या ५० से १०० भी हो सकती है|

इस्रायल फिलहार्मोनिक ऑर्केस्ट्रा

ऐसे इस नवजात इस्रायल में कलाप्रांत विकसित करने के लिए भी इस्रायली धुरिणों ने ख़ास मेहनत की| बल्गेरिया में से स्थलांतरित हुए प्रोफेसर बोरिस शॅत्झ की संकल्पना में से जेरुसलेम में ‘द बेझालेल ऍकॅडमी ऑफ आर्ट’ साकार हुई, जिसके माध्यम से चित्रकला, शिल्पकला, नृत्य, नाट्य, संगीत तथा अन्य भी विभिन्न कलाक्षेत्रों में स्त्री-पुरुष कलाकार/कारीगर तैयार होने लगे थे, जिनमें से कइयों को आगे चलकर आंतरराष्ट्रीय सम्मान-मान्यता मिली| आज यह ऍकॅडमी दुनिया की सर्वाधिक मान्यताप्राप्त कलाप्रशालाओं में से एक मानी जाती है| विभिन्न क्षेत्रों में इस्रायली कलाकारों की पहली पीढ़ियॉं तैयार करने का काम इस ऍकॅडमी ने किया और अब भी कर रही है| लेकिन ऐसी ऍकॅडमियों ने कलाकारों को भले ही उनके उनके प्रांत में प्रशिक्षण दिया हो, मग़र वे कलाकार जिस प्रान्त में से स्थलांतरित हुए, उसका प्रभाव उनकी कला पर दिखायी देता ही था| उदा. ज्वेलरी डिझायनिंग करनेवाला कारीगर यदि येमेन में से स्थलांतरित हुआ हो, तो उसने बनाये गहनों की शैली पर येमेनी छाप दिखायी देती थी या फिर पूर्व युरोप से स्थलांतरित हुए, एम्ब्रॉयडरी करनेवाले किसी व्यवसायिक के काम पर पूर्व युरोपीय प्रभाव दिखायी देता था|

उसी के साथ, नाटक-संगीत-नृत्य के प्रांत में भी कई इस्रायली कलाकारों/गुटों को मान्यता मिली| ‘इस्रायल फिलहार्मोनिक ऑर्केस्ट्रा’ के कार्यक्रमों को इस्रायल में तो हमेशा भारी भीड़ रहती ही है, लेकिन साथ ही उनके दुनियाभर में दौरे भी चालू रहते हैं| वैसे ही, मूलतः रशिया में जन्मी और हिब्रू भाषा में ही नाटक सादर करनेवाली ‘हाबिमा’ नाटक कंपनी आगे चलकर इस्रायल में स्थलांतरित हो जाने के बात बहुत ही लोकप्रिय बनी|

लेकिन कुछ समय बाद नयी पीढ़ियों के कलाकारों को इस ऍकॅडमी के, नाटक कंपनी के मूल्य, विचारधारा रास न आकर, बाद के समय में विभिन्न विचारधाराओं को समर्पित ऐसीं कई आर्ट ऍकॅडमियॉं, नाटक कंपनियॉं अथवा अन्य कलाओं का प्रशिक्षण देनेवालीं संस्थाएँ इस्रायली कलाक्षेत्र में निर्माण हुईं| लेकिन उस कालखंड में, किसी भी ऍकॅडमी में प्रशिक्षण प्राप्त किये किसी भी क्षेत्र के इस्रायली कलाकारों की कलाकृतियों में, बिब्लिकल संदर्भ, ‘प्रॉमिस्ड लँड’ संबंधित संदर्भ, वैसे ही ज्यूधर्मियों को सर्वत्र भुगतने पड़े कष्ट, वेदनाएँ, अवहेलना इनके संदर्भ कहीं न कहीं पर दिखायी देते ही थे|

‘हाबिमा’ नाटक कंपनी के माध्यम से हिब्रू भाषा में से नाटक प्रस्तुत किये जाते थे|

अस्तित्व बनाये रखने के लिए की जानेवाले क्रियाकलापों के साथ ही, बतौर एक समाज विकसित होने के लिए इस्रायल के समाजधुरिणों ने किये हुए ऐसे प्रयास यक़ीनन ही सफल हुए और आगे की पीढ़ियों में कलाओं के प्रति प्रेम विकसित हुआ और ‘मेल्टिंग पॉट कल्चर’ दृष्टिकोण के कारण कला में विविधता भी आयी| सभी कलाप्रांतों में सैंकड़ों कलाकार तैयार हुए और इस्रायल में कला को पनाह नहीं मिली ऐका सभी भी नहीं हुआ| पूरे इस्रायल भर में फैले २०० से भी अधिक म्युझियम्स, कई कलादालन (आर्ट गॅलरीज्) और वहॉं सालभर चलनेवाले विभिन्न विषयों पर की प्रदर्शनियों को हमेशा होनेवाली भीड़ ये इस बात का प्रमाण है|(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

 

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