१०२. इस्रायली समाजजीवन

अस्तित्व बनाये रखने के लिए नवजात इस्रायल के – बस्तियों का निर्माण, जलआपूर्ति, ख़ेती, मत्स्यख़ेती आदि सभी क्षेत्रों में महत्प्रयास जारी थे और तब बतौर एक ‘समाज’ भी इस्रायल विकसित हो रहा था और उसके लिए इस्रायली समाजधुरीणों ने विशेष परिश्रम किये|

स्वतंत्रतायुद्ध के ख़त्म होने के बाद और एक बार ये ऊपरोक्त प्रश्‍नों का समाधान प्राप्त होने की शुरुआत होने के बाद, इस्रायली समाजजीवन धीरे धीरे सामान्य होता गया| समस्याओं का हालॉंकि तब तक पूर्ण रूप से हल प्राप्त नहीं हुआ था, ‘समस्याएँ’ यह इस्रायली जनता के लिए कुछ नया नहीं था| जीवन में समस्याएँ होने की मानो इस्रायली जनता को आदत ही हो गयी थी| इस कारण समस्याओं का हौआ न मचाते हुए, उनके साथ ही जीकर, जीवन जितना हो सके उतना सामान्य रूप से जीने के प्रयास लोग करने लगे| अर्थात् दुनिया के किसी भी सर्वसाधारण मानवी समाज में होता है, वैसे ही दैनंदिन व्यवहार, नौकरीधंधा करना, धर्मपालन, समाजप्रियता, कला के विभिन्न प्रांतों में विकास करना, मनोरंजन के साधन अपनाना यह सब यहॉं भी शुरू हुआ|

हर एक धार्मिक ज्यूधर्मीय साप्ताहिक ‘शब्बाथ’ का कालावधि धार्मिक वाचन-मनन-चिंतन में बिताता है|

इस्रायल के लोगों का कामकाज का दिन सुबह जल्दी शुरू होता है| स्कूलें भी जल्दी यानी सुबह ७ बजे के आसपास शुरू होती हैं| ऑफिसेस् का कार्यकाल अधिकतर सुबह ७ से शाम ४ बजे तक रहता है| जिनके छोटे बच्चें हैं, ऐसीं काम करनेवाली महिलाओं के लिए ऑफिस का समय सुबह ८ से दोपहर ३ तक होता है| अधिकांश ऑफिसेस् की अपने कर्मचारियों को उनके घर से लाने-छोड़ने की स्वतंत्र परिवहनव्यवस्था रहती है| अतः सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर निर्भर रहना नहीं पड़ता| कंपनी के सफाई कर्मचारी से लेकर मॅनेजर्स तक सभी लोग एक ही बस से प्रवास करते हैं| इस कारण उनमें कोई भेदभाव नहीं होता है, बल्कि कंपनी के सभी कर्मचारी यानी एक ही बड़े परिवार के सदस्य होने की भावना होती है| कुछ स्थानों में दोपहर की असहनीय गर्मी के कारण कामकाज़ बंद रखकर विश्राम के लिए समय दिया जाता है| अधिकांश स्थानों पर कर्मचारियों को दोपहर का खाना भी विनामूल्य दिया जाता है| आजकल बड़ी हायटेक कंपनियॉं अपने कर्मचारियों के लिए इन-हाऊस जिम जैसीं सुविधाएँ भी देती हैं|

इस कामकाज़ के मामले में भी इस्रायली समाज की अपनी ऐसीं कुछ ख़ास विशेषताएँ हैं ही| सर्वप्रथम इस्रायली लोगों का कामकाज़ का हफ़्ता दुनिया के अन्य देशों की तरह सोमवार से शुरू न होते हुए रविवार से शुरू होता है| अर्थात् इस्रायल में साप्ताहिक छुट्टी शनिवार को होती है और शुक्रवार को ऑफिसेस्-स्कूलें जल्दी छूट जाती हैं| ज्यूधर्म में सर्वोच्च महत्त्वपूर्ण बातों में से एक होनेवाले साप्ताहिक ‘शब्बाथ’ का विचार कर ऐसी रचना की गयी है| शुक्रवार सूर्यास्त के बाद शुरू हुआ ‘शब्बाथ’ संपन्न होता है, वह शनिवार सूर्यास्त के बाद|

इस कालावधि में ज्यूधर्मीय अपने अन्य सारे व्यवहार रोककर, अपने अपने घर शान्ति से अंतर्मुख होकर चिंतन-मनन करते हुए, धार्मिक वाचन-प्रार्थना करते रहते हैं| इस कालावधि में तो पूरे इस्रायल की सड़कें लगभग वीरान ही दिखायी देती हैं| सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था भी लगभग बन्द ही रहती है| सर्वसामान्यतः केवल ज्यूधर्मियों के अलावा अन्य लोग ही सड़कों पर घूमते हुए दिखायी देते हैं|

ज्यूधर्मियों के लिए धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होनेवाले जेरुसलेम शहर की यात्रा, यह भी इस्रायलस्थित ज्यूधर्मियों के वार्षिक नियोजन का भाग होती थी और अब भी होती है| जेरुसलेम हर साल ऐसे लाखों यात्रियों का तथा पर्यटकों का स्वागत करता है|

ज्यूधर्मियों के लिए धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होनेवाले जेरुसलेम शहर की यात्रा, यह भी इस्रायलस्थित ज्यूधर्मियों के वार्षिक नियोजन का भाग रहती है|

इस्रायल की साप्ताहिक छुट्टी हालॉंकि उपरोक्त प्रकार से व्यतीत होती है, लेकिन बाक़ी हफ़्ताभर में दुनिया के अन्य समाजों की तरह ही इस्रायल में भी मनोरंजन के विभिन्न साधन एवं मार्ग हैं|

दुनिया के अन्य किसी भी समाज में जैसे दिखायी देता है, वैसा ही इस्रायली समाज में भी घटित होता आया है; अर्थात् आम इस्रायली समाज के मनोरंजन के साधन समय के अनुसार धीरे धीरे बदलते गये| स्वतन्त्रता हासिल करने के बाद के समय में, यानी सन १९५०-६० के दशकों में जब टीव्ही अभी तक सुस्थिर नहीं हुआ था और टेलिफोन यह बहुत महँगी वस्तु मानी जाती थी, तब शाम को गप्पें हॉंकने दोस्तों के पास, आप्तेष्टों-रिश्तेदारों के पास जाना और उन्हें घर बुलाना, गार्डन्स में जाना, सार्वजनिक कार्यक्रमों को-खेलों के मॅचेस को जाना यही मनरिझाव के साधन थे| आगे चलकर टीव्ही आने के बाद, बाक़ी दुनिया की तरह वही यहॉं के मनोरंजन का अहम साधन बना| उसके बाद बदलते समय के अनुसार यहॉं के मनोरंजन के साधन भी धीरे धीरे आधुनिक होते गये|

छुट्टियों के दिन मनोरंज के लिए बीच पर जाना, यह कई इस्रायलियों का पसन्दीदा उपक्रम है|

जिन विदेशी नागरिकों ने इस्रायल के बारे में केवल अंशतः सुना है, उनकी धारणा – ‘यह एक उष्ण रेगिस्तानी देश है’ इतनी ही मर्यादित होती है| इस कारण यहॉं पर आधुनिकता का स्पर्श भी नहीं हुआ होगा, ऐसा आम तौर पर सोचा जाता है| लेकिन वह सोच कितनी ग़लत है, यह यहॉं के शहरों में आने के बाद ही पता चलता है| यहॉं के प्रमुख शहर पश्‍चिमी शहरों जितने ही आधुनिक हैं|

जेरुसलेम, तेल अवीव्ह-याफो (जाफ्फा) और हैफा ये तीन इस्रायल के प्रमुख शहर हैं| इन शहरों में शुरू से बस्तियॉं विकसित हुईं और वे पर्याप्त नहीं है ये ध्यान में आ जाने के बाद ही डेव्हलपमेंट टाऊन्स की संकल्पना आगे आयी थी| शुरू से ही विकसित हुए होने के कारण निवासियों की अधिक से अधिक भीड़ इन्हीं तीन शहरों में और शहरों से सटीं बस्तियों में है; और इसी कारण – सिनेमा हॉल्स, ऑर्केस्ट्रा-नाटकों के थिएटर्स, थीम पार्क्स, म्युझियम्स आदि मनोरंजन के साधन प्रायः इन्हीं शहरों में विकसित हुए दिखायी देते हैं|

तेल अवीव्ह यह शहर तो किसी भी पश्‍चिमी शहर जितना ही आधुनिक प्रतीत होता है| दरअसल जब जाफ्फा शहर में भीड़ बढ़ने लगी, तब ज्यूधर्मियों के लिए जाफ्फ के एक उपनगर के तौर पर तेल अवीव्ह का निर्माण किया गया था| लेकिन कुछ ही दशकों में तेल अवीव्ह का इतना विकास हुआ है और आकार बढ़ा है कि अब जाफ्फा को ही उसने अपने में समा लिया है| अब जाफ्फा यह तेल अवीव्ह महानगरपालिका के अधिकार में आता है|

तेल अवीव्ह यह शहर तो किसी भी पश्‍चिमी शहर जितना ही आधुनिक दिखायी देता है|

तेल अवीव्ह में उद्योगव्यवसायों की और ख़ासकर विज्ञान-तंत्रज्ञान संबंधित उद्योगों की वृद्धि सर्वाधिक हुई होने के कारण उनमें काम करनेवाले कर्मचारियों की बस्तियॉं शहर में तथा शहर के बाहर तेज़ी से बढ़ीं| यहीं पर सबसे पहले प्रायोगिक तत्त्व पर, पश्‍चिमी पद्धति की आधुनिक बहुमंज़िला ईमारतों की बस्तियों का निर्माण किया गया और उसीके साथ, शहरनियोजन भी पहले से ही सुचारू रूप में किया गया| इस कारण अधिक जनसंख्या यहॉं समायी गयी| साथ ही, पहले से कई देशों की वक़ालतें यहीं पर होने के कारण यहॉं विदेशी नागरिक भी बड़े पैमाने पर पाये जाते हैं| ज़ाहिर है, उपरउल्लेखित मनोरंजन के साधनों के साथ साथ – पश्‍चिमी संस्कृति का भाग माने जानेवाले और युवावर्ग की पसन्द रहनेवाले – क्लब्ज, डिस्कोथेक्स जैसे मनोरंजन के आधुनिक साधन भी यहॉं हैं और शाम के बाद सभी मनोरंजन के स्थानों में भारी भीड़ हुआ करती है|
ये हुए इस्रायली समाजजीवन के कुछ पहलू; लेकिन उसीके साथ इस समाजजीवन के कुछ और अंग भी हैं….(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.