सुधार के लिए बेसरोकार सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों पर भारत की आलोचना

वियना – संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देश लंबे समय से उन्हें प्राप्त स्थान का लाभ उठा रहे हैं। इसकी वजह सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों का विस्तार और अन्य सुधार करने की जल्दी इन देशों को नहीं है, ऐसी फटकार विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने लगाई। लेकिन, इन सुधारों के लिए हो रही देरी संयुक्त राष्ट्रसंघ की विश्वस्नीयता घट रही है और इन देशों के हित के लिए भी यह घातक होगा, ऐसा इशारा भारत के विदेश मंत्री ने दिया है। साथ ही पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की सख्त शब्दों में निर्भत्सना न करने वाले पश्चिमी देशों की लापरवाही की भी जयशंकर ने कड़ी आलोचना की।

सुरक्षा परिषदयूरोपिय देश ऑस्ट्रिया के दौरे पर पहुँचे विदेश मंत्री जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के सुधार का मुद्दा उठाया। अमरीका, रशिया, ब्रिटेन, फ्रान्स और चीन राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। अपनी स्थायी सदस्यता का लाभ उठा रहे इन देशों को सुरक्षा परिषद के विस्तार में उतनी रुचि नहीं है। लेकिन, अन्य देश इसके लिए आवाज़ उठाने लगे हैं और इसमें सिर्फ भारत का समावेश नहीं है। अफ्रीका और लैटिन अमरिकी देशों को एवं अन्य विकासशील देशों को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता नहीं मिली है। साल १९४५ में गठित संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थिति साल २०२३ शुरू होने के बावजूद बदली नहीं है, ऐसी तीखी आलोचना जयशंकर ने की।

ऑस्ट्रिया की राष्ट्रीय वृत्तसंस्था को दिए साक्षात्कार में भारतीय विदेश मंत्री ने आतंकवाद और रशिया से भारत द्वारा ईंधन खरीद की भूमिका ड़टकर रखी। ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान का स्पष्ट ज़िक्र किए बिना आतंकवाद का केंद्र बना पड़ोसी देश ऐसी पाकिस्तान की आलोचना की थी। इस पर पूछे गए सवाल पर जवाब देते हुए ‘आतंकवाद का केंद्र’ यह काफी सौम्य बयान हुआ, असल में पाकिस्तान के खिलाफ इससे भी अधिक सख्त बयान करना मुमकिन होता। लेकिन, राजनीतिक भाषा की मर्यादा की वजह से इस देश को ‘आतंकवाद का केंद्र’ कहना मज़बूरी है, इन शब्दों में जयशंकर ने भारत की भावना व्यक्त की।

इस देश ने कुछ साल पहले भारत की संसद पर आतंकी हमला करवाया था। इसी देश ने मुंबई पर आतंकी हमला करके विदेशी पर्यटकों को भी लक्ष्य किया था। आज भी यह देश अपनी सीमा से भारत में आतंकियों को भेज रहा है। इस देश में दिन दहाड़े आतंकियों को सैन्य प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। यह सबकुछ होते हुए पाकिस्तान को कुछ भी समझ नहीं आता, यही हमें कहना है क्या, यह सवाल विदेश मंत्री जयशंकर ने किया। लेकिन, पाकिस्तान ऐसी सभी गतिविधियां कर रहा है तब भी यूरोपिय देश इसे अनदेखा कर रहे हैं। दूसरे देश में हो रहे आतंकी हमलों की दाहकता हमें महसूस नहीं होती, यही इसका प्रमुख कारण है, ऐसे तीखें शब्दों में जयशंकर ने भारत की भूमिका रखी।

यूक्रेन पर हमला कर रही रशिया का निषेध किए बिना, भारत इस युद्ध को तटस्थता से कैसे देख सकता है, यह सवाल यूरोपिय देशों से किया जा रहा है। इस पर जवाब देते हुए यूरोपिय देश आतंकवाद के प्रायोजक पाकिस्तान जैसे देश की हरकतों को जानबूझकर अनदेखा कर रहे हैं, इसका अहसास विदेश मंत्री ने इस साक्षात्कार में कराया। साथ ही रशिया से ईंधन खरीद रहे भारत की आलोचना कर रहे यूरोपिय देशों ने साल २०२२ के फ़रवरी से अब तक रशिया से भारत के छह गुना अधिक ईंधन खरीदा है, इस दोगले रवैये पर जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया।

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