भारत की सुरक्षा के खतरों में बढ़ोतरी हुई है – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

हैदराबाद – भारत की सुरक्षा से संबंधित तीन प्रमुख बदलाव काफी अहम होते हैं। वैश्विकीकरण का सारे समाज गुटों पर पड़ रहा असर, प्रौद्योगिकी का रोज़मर्रा के जीवन में प्रवेश और वैश्विक स्तर पर शुरू हुई तीव्र होड़ का इसमें समावेश है। इसी लिए किस तरह से, कहां पर, और किस तरह का खतरा सामने आएगा, इसका विचार करना भी कठिन हो गया है। इस वजह से इन खतरों से अपनी रक्षा करना, इसके विरोध में कदम उठाना अधिकाधिक चुनौतीभरा हो गया है। देश के खतरों में पारंपारिक और अपारंपारिक खतरे बढ़ रहे हैं और ऐसे में दायरे के बाहर जाकर विचार करना अनिवार्य हो गया है’, ऐसे सूचक शब्दों में विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने जनता को संदेश दिया है।

भारत की सुरक्षाभारतीय समाज सुरक्षा को लेकर अधिक संवेदनशील है। बल्कि, अन्यों की तुलना में भारतीय लोग सुरक्षा के मोर्चे पर अधिक चौकन्ना होते हैं, ऐसा विदेशमंत्री जयशंकर ने कहा। हैदराबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल नैशनल पुलिस एकेडमी’ द्वारा आयोजित समारोह में विदेशमंत्री ने व्याख्यान दिया। राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपने पुख्ता विचार भी जयशंकर ने इस दौरान रखे। हल ना निकलने से सीमा विवाद के कारण सरहदों की सुरक्षा का मुद्दा परेशानी बना हुआ है, ऐसा कहकर विदेशमंत्री ने सीधे ज़िक्र किए बिना पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा विवाद का दाखिला दिया। इसका देश की सुरक्षा पर असर पड़ रहा है, यह अहसास भी विदेशमंत्री ने कराया। इसके अलावा कानून और सुव्यवस्था एवं अंदरुनि सुरक्षा का मसला भारत जैसे विविधतापूर्ण देश के लिए अधिक जटिल होता है। सरहद के उस पार से प्रायोजित हो रहा आतंकवाद का मुद्दा देश की सुरक्षा पर भार बढ़ा रहा है, इस पर भी जयशंकर ने इस दौरान ध्यान आकर्षित किया।

मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहल करके संवाद बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रभाव बढ़ रहा है और ऐसे में सुरक्षा से संबंधित समस्या भी उसी पैमाने पर बढ़ रही है। इन चुनौतियों का सामना किए बिना विकल्प नहीं है, इसका अहसास भी विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने कराया। इस वजह से सुरक्षा के मोर्चे पर हमें अधिक अच्छा या काफी बड़ा काम करना पर्याप्त नही है। इसके लिए दायरे के बाहर जाकर सोचना होगा। मौजूदा समय में सुरक्षा मज़बूत करने का मतलब अलग ढ़ंग से विचार करना है, ऐसा जयशंकर ने कहा।

इसी बीच, देश की सुरक्षा को परंपरागत और अपरंपरागत स्तर पर काफी बड़े खतरे हैं। इनमें अंदरुनि सुरक्षा की चुनौतियों का भी समावेश है। प्रचारयुद्ध, झूठी खबरें फैलाकर भी समाज में नफरत बढ़ाने जैसी कई चुनौतियों का देश को सामना करना पडेगा, ऐसा इशारा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह एवं रक्षाबलों के वरिष्ठ आधिकारी लगातार दे रहे हैं। साथ ही अर्थव्यवस्था आश्वासक गति से प्रगति कर रही है और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रभाव बढ़ रहा है और इसी बीच देश के खिलाफ साज़िशें भी बढ़ने का खतरा होने की बात भारत के नेता और वरिष्ठ अधिकारी विभिन्न शब्दों में रेखांकित कर रहे हैं।

विदेशमंत्री जयशंकर हैदराबाद में अपने व्याख्यान में इसका फिरसे अहसास दिलाते हुए दिख रहे हैं।

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