अफ़गानिस्तान में जारी गतिविधियों के काफी बड़े परिणाम होंगे – भारतीय विदेशमंत्री जयशंकर का इशारा

नई दिल्ली – बीते वर्ष तालिबान के साथ समझौता करते समय अमरीका ने भारत को विश्वास में नहीं लिया था, इस बात की याद दिलाकर विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने अफ़गानिस्तान की गतिविधियों के काफी बड़े परिणाम होंगे, यह इशारा दिया है। पाकिस्तान की मध्यस्थता से अमरीका ने कतार की राजधानी दोहा में तालिबान के साथ समझौते की वार्ता करके अफ़गानिस्तान से सेना वापसी करने का समझौता किया था। इस दौरान तालिबान ने खूनखराबा ना करने के साथ ही आतंकवाद का स्थान ना देने की शर्त स्वीकारी थी। लेकिन, अफ़गानिस्तान में अलग ही चित्र दिखाई दे रहा है, इस बात का अहसास भारतीय विदेशमंत्री ने अमरीका को कराया।

भारतीय विदेशमंत्री‘यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम – यूएसआयएसपीएफ’ ने आयोजित की हुई परिषद के लिए भारतीय विदेशमंत्री जयशंकर वर्चुअली उपस्थित थे। इस दौरान भारत में नियुक्त अमरीका के राजदूत फ्रैंक विज़नर के साथ बातचीत करते हुए भारतीय विदेशमंत्री ने अफ़गानिस्तान की स्थिति बड़ी संवेदनशील हो गई है और इसके लिए अमरीका की गलत नीति ज़िम्मेदार होने की बात राजनीतिक भाषा में स्पष्ट की। बीते वर्ष दोहा में अमरीका ने तालिबान के साथ बातचीत की। इसके बाद समझौता हुआ और तब अमरीका ने अफ़गानिस्तान से अपनी पूरी फौज हटाने का ऐलान किया था।

इस समझौते से पहले हुई बातचीत में अमरीका ने पाकिस्तान को काफी बड़ी भूमिका निभाने का अवसर दिया था। इसके साथ ही अफ़गानिस्तान और तालिबान को लेकर पुख्ता भूमिका रखनेवाले भारत को इस बातचीत से दूर रखने का रणनीतिक निर्णय अमरीका ने किया था। तब भी भारत ने पाकिस्तान जैसे आतंकी देश पर कभी भरोसा करना संभव नहीं है, इसके दूरगामी परिणाम होंगे, यह इशारा अमरीका और पश्‍चिमी देशों को दिया था। भारत का यह इशारा अब कुछ ही महीनों में सच्चाई में उतरता हुआ दिख रहा है। अमरीका की सेना वापसी के बाद किए हुए सभी वादे पैरों तले कुचलकर तालिबान ने अफ़गानिस्तान की सत्ता हथियाई है। इसके अलावा अफ़गानिस्तान में सर्वसमावेशक सरकार और आतंकवाद को स्थान ना देने का वादा करनेवाली तालिबान के कदम अलग दिशा में बढ़ने की बात सामने आ रही है।

‘यूएसआयएसपीएफ’ की चर्चा में विदेशमंत्री जयशंकर ने इन सभी बातों की याद दिलाई है। सीमा के उस पार के आतंकवाद का अनुभव भारत और अफ़गानिस्तान ने पाया है। इसकी वजह से इस समस्या को अधिक सजगता से देखने की बात कहकर जयशंकर ने इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया कि, अमरीका ने पाकिस्तान के प्रति सावधानी नहीं बरती। जयशंकर ने अफ़गानिस्तान में जारी गतिविधियों का दाखिला देकर यह इशारा भी दिया कि, इस क्षेत्र में इससे काफी बड़े परिणाम दिखाई देंगे। फिलहाल अमरीका के नेता और सेना अधिकारी भी यह बात स्वीकारने लगे हैं और सेना वापसी के निर्णय का ज़िम्मा एक-दूसरे के माथे पर मढ़ने की स्पर्धा अमरीका में हो रही है। इनमें राष्ट्राध्यक्ष बायडेन के साथ रक्षाबलप्रमुख जनरल मिले का भी समावेश है।

इसी बीच ‘यूएसआयएसपीएफ’ के इस समारोह में बोलते समय अफ़गानिस्तान के मुद्दे पर भारत और अमरीका में काफी सहमति होने का बयान भी विदेशमंत्री जयशंकर ने किया। अफ़गानिस्तान में सर्वसमावेशक सरकार और आतंकवाद के लिए अफ़गानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल करने ना देने पर भारत और अमरीका की सहमति है। इसके साथ ही कुछ मुद्दों पर दोनों देशों की कुछ हद तक कम-ज्यादा सहमति है, यह भी जयशंकर ने स्पष्ट किया। लेकिन, अफ़गानिस्तान से सेना वापसी करते समय अमरीका ने किए हुए दावे खारिज़ किए गए हैं और तालिबान एवं तालिबान के समर्थन में खड़े पाकिस्तान ने अमरीका का विश्‍वासघात किया है, यह मुद्दा भारतीय विदेशमंत्री ने कूटनीतिक भाषा में उठाया। साथ ही भारत जैसे ज़िम्मेदार और विश्‍वासार्ह देश के इशारों को नजरअंदाज करने के दुष्प्रभाव अफ़गानिस्तान में सामने आ रहे हैं, इस पर भी विदेशमंत्री जयशंकर ने इस चर्चा के दौरान ध्यान आकर्षित किया।

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