अफ़गानिस्तान का अतीत इस देश का भविष्य नहीं हो सकता – भारतीय विदेशमंत्री एस.जयशंकर

अफ़गानिस्तान का अतीतदुशांबे – ‘शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन – एससीओ’ की बैठक में भारतीय विदेशमंत्री ने यह उम्मीद जताई है कि, आतंकवाद विरोधी जंग में यह संगठन अहम भूमिका निभाए। अफ़गानिस्तान में जारी गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर ताजिकिस्तान के दुशांबे में हो रही ‘एससीओ’ की यह बैठक ध्यान आकर्षित कर रही है। इस बैठक में भारत ने फिर एक बार आतंकवाद से सुरक्षा के लिए बन रहे खतरों का मुद्दा रेखांकित किया। अफ़गानिस्तान का अतीत ही इस देश का भविष्य नहीं हो सकता, ऐसा कहकर विदेशमंत्री जयशंकर ने इस देश को फिर से आतंकवाद की खाई में धकेलना संभव नहीं होगा, यह इशारा भी इस दौरान दिया। इस बैठक के बीच ही भारत और चीन के विदेशमंत्रियों की द्विपक्षीय चर्चा हुई।

‘एससीओ’ की इस बैठक में अन्य मुद्दों से अधिक अफ़गानिस्तान में जारी गतिविधियों का मुद्दा काफी अहम रहा। इस दौरान विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने अफ़गानिस्तान का अतीत ही इस देश का भविष्य नहीं हो सकता, ऐसा कहकर अफ़गानिस्तान को तालिबान जैसी आतंकी संगठन के हाथों में सौंपना संभव नहीं होगा, इस बात का अहसास भी उन्होंने कराया। पूरा विश्‍व ताकत का इस्तेमाल करके सत्ता हथियाने के खिलाफ है, ऐसा कहकर जयशंकर ने तालिबान की हिंसा का विरोध किया। साथ ही अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देशों को आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरतावाद का दाह महसूस नहीं हो, इसका ध्यान रखना आवश्‍यक होने की बात भारतीय विदेशमंत्री ने स्पष्ट की।

आतंकवाद और कट्टरतावाद का विरोध करना ‘एससीओ’ का प्रमुख ध्येय होने की याद भारतीय विदेशमंत्री ने इस बैठक के दौरान ताज़ा की। इसके लिए आतंकियों को मिल रही आर्थिक सहायता रोकने की आवश्‍यकता है, यह बयान भी जयशंकर ने किया। सीधे ज़िक्र किए बगैर जयशंकर ने इसके ज़रिये पाकिस्तान को लक्ष्य किया हुआ दिखाई दे रहा है। हिंसा से मसलों का हल नहीं निकल सकता, शांति और बातचीत से ही अफ़गानिस्तान की समस्या का हल निकलेगा। दोहा में अमरीका और तालिबान के बीच हुआ समझौता या रशिया के मास्को में हुई शांति वार्ता के दायरे में अफ़गानिस्तान की समस्या का हल निकालना मुमकिन होगा, ऐसा सुझाव जयशंकर ने दिया है।

नई पीढ़ी को हमसे काफी उम्मीदें हैं और उनकी उम्मीद तोड़ना वाजिब नहीं होगा, यह कहकर जयशंकर ने ‘एससीओ’ की इस बैठक में अफ़गानिस्तान के मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभाने का आवाहन किया। इसी बीच ‘एससीओ’ की इस बैठक में भारत ने अफ़गानिस्तान के मुद्दे पर पुख्ता भूमिका अपनाई है और अगले दिनों में भी भारत अफ़गानिस्तान को लेकर अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की तैयारी करने में जुटा होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

इसी बीच, अफ़गानिस्तान में खूनखराबा होने के बीच अफ़गान सरकार कतार में तालिबान के साथ नए से बातचीत शुरू करेगी, ऐसी खबरें प्राप्त हो रही हैं। यह बातचीत असफल होने के बाद अफ़गानिस्तान को भारत से लष्करी सहायता की आवश्‍यकता महसूस होगी, ऐसा इस देश के भारत में नियुक्त राजदूत ने कहा है। तालिबान के साथ जारी युद्ध में अफ़गान सेना को बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद एवं आर्थिक सहायता की आवश्‍यकता पड़ेगी। इसके लिए भारत सहायता करेगा, यह उम्मीद अफ़गान सरकार ने पहले भी व्यक्त की थी।

अफ़गानिस्तान में स्थिति काफी भयंकर बनी हुई है और ऐसे में तालिबान को अफ़गानिस्तान के राष्ट्रीय प्रवाह में शामिल होने की सूचना भारत करे, ऐसी माँग भारत में नियुक्त अफ़गानिस्तान के राजदूत ने की है। इसके लिए तालिबान ने इस क्षेत्र के आतंकियों से बने ताल्लुकात तोड़ने की आवश्‍यकता होने का बयान भी अफ़गान राजदूत ने किया है।

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