‘ग्रीन हायड्रोजन मिशन’ केंद्रीय मंत्रिमंड़ल द्वारा पारित – साल २०३० तक देश को ग्रीन हायड्रोजन उत्पादन का केंद्र बनाया जाएगा

नई दिल्ली – केंद्रीय मंत्रिमंड़ल ने ‘नैशनल ग्रीन हायड्रोजन मिशन’ को अनुमति प्रदान करके इसके लिए तकरीबन १९ हज़ार ७४४ करोड़ रुपयों का प्रावधान करने को मंजूरी दी है। इसके अनुसार अगले पांच साल हर वर्ष ५० लाख मेट्रिक टन ग्रीन हायड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा। साल २०३० तक इस क्षेत्र में तकरीबन ८ लाख करोड़ रुपये निवेश किए जाने की उम्मीद है। साथ ही इसकी वजह से छह लाख से अधिक नौकरियां निर्माण होंगीं। इस उपक्रम की वजह से कार्बन उत्सर्जन की मात्रा पांच करोड़ मेट्रिक टन घटेगी। साथ ही इससे परंपरागत ईंधन के आयात का खर्च एक लाख करोड़ रुपयों से कम होगा, यह जानकारी केंद्रीय सूचना एवं प्रसरण मंत्री अनुराग ठाकूर ने प्रदान की। साल २०३० तक भारत ग्रीन हायड्रोजन उत्पाद का वैश्विक केंद्र बनेगा, यह विश्वास ठाकूर ने व्यक्त किया।

केंद्रीय मंत्रिमंड़ल का यह निर्णय ऐतिहासिक है, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री ने इसकी अहमियत रेखांकित की। इससे आश्वासक गति से विकास होगा और निवेश के नए अवसर सामने आएंगे, यह विश्वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया है। पानी से ऑक्सिजन अलग करके हायड्रोजन का इस्तेमाल विभिन्न प्रकल्पों में आवश्यक ईंधन के तौर पर करने की दिशा में पूरे विश्व में अनुसंधान कार्य शुरू है। कई विकसित देशों ने इस दिशा में बड़ी मात्रा में काम शुरू किया है। यह भविष्य की प्रौद्योगिकी होगी, यह बताया जाता है। क्योंकि, ग्रीन हायड्रोजन का इस्तेमाल पर्यावरण स्नेही होने से इससे पर्यावरण के लिए घातक हरितगृह वायु का उत्सर्जन नहीं होता। लेकिन, इसके लिए प्रचंड़ मात्रा में अनुसंधान और निवेश की आवश्यकता होती है और सिर्फ निजी क्षेत्र यह निवेश नहीं कर सकते। यह निवेश और इसके लिए आवश्यक रणनीतिक प्रावधान सरकार को करने पडते हैं, ऐसी चर्चा पहले से शुरू हुई थी।

इस पृष्ठभूमि पर केंद्रीय मंत्रिमंड़ल ने ऐतिहासिक निर्णय लेके ‘नैशनल ग्रीन हायड्रोजन मिशन’ को अनुमति दी। इसे गति देने के लिए तकरीबन १९,७४४ करोड़ रुपयों का ऐलान किया गया है। इनमें से ग्रीन हायड्रोजन का उत्पादन बढ़ाने के साथ इससे संबंधित सप्लाई चेन का निर्माण होने के लिए १७,४९० करोड़ रुपयों की निधि आरक्षित की जाएगी। इसके अलावा १,४६६ करोड़ रुपये इसके पथदर्शी प्रकल्पों के लिए आरक्षित रखे गए हैं। इससे संबंधित अनुसंधान और विकास के लिए ४०० करोड़ रुपये और अन्य कारणों के लिए ३८८ करोड़ रुपये घोषित किए गए हैं।

ऑटोमोबाईल्स के लिए आवश्यक ईंधन, ईंधन तेल शुद्धीकरण प्रकल्प स्टील उत्पाद प्रकल्प के लिए आवश्यक उर्जा के स्रोत के तौर पर ग्रीन हायड्रोजन का इस्तेमाल किया जा सकता है। पानी का विघटन करके हायड्रोजन का उत्पाद लिया जाता है, इसकी वजह से इसकी कीमत काफी कम होगी। लेकिन, इसके उत्पादन के लिए काफी बडी लागत की जरुरत है। इसके लिए ज़रूरी सहायक उद्योगों के लिए भी बड़े निवेश की जरुरत होती है। लेकिन, विकसित देशों को ग्रीन हायड्रोन की अहमियत समझ में आयी है और उन्होंने इससे संबंधित विकास और अनुसंधान पर प्रचंड़ मात्रा में निवेश किया है और इसके लिए रियायतें भी घोषित की हैं। इसमें अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान का समावेश है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसरण मंत्री अनुराग ठाकूर ने साल २०३० तक भारत ग्रीन हायड्रोन के उत्पाद का वैश्विक केंद्र बनेगा, यह विश्वास व्यक्त करके भारत से ग्रीन हायड्रोजन का निर्यात विश्व में होगा, ऐसा कहा है। विश्व के प्रमुख देशों में सबसे आश्वासक दर से आर्थिक विकास करने वाले भारत को आनेवाले समय में बहुत ऊर्जा की ज़रूरत पडेगी। इसकी वजह से केंद्र सरकार ने ग्रीन हायड्रोजन के लिए की हुई पहल अहमियत रखती है। विकल्प और पर्यावरण स्नेही एवं किफायती उर्जा का स्रोत होने वाले ग्रीन हायड्रोजन के लिए केंद्र सरकार की पहल का ईंधन क्षेत्र में स्वागत हो रहा है।

‘एसीएमई’ समुह के सीईओ रतज सेसारिया ने ग्रीन हायड्रोजन के उत्पादन के लिए केंद्र सरकार ने उपलब्ध करायी रियायत का स्वागत करके इससे आनेवाले दिनों में भारत ग्रीन हायड्रोजन का निर्यातक बनेगा, यह दावा भी किया। खास तौर पर परंपरागत ईंधन के आयात पर हो रहे खर्च के तकरीबन १ लाख करोड़ रुपयों की इससे बचत होगी, यह कहा जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर ईंधन आयात का भार इससे काफी कम होगा। मौजूदा समय में जारी भू-राजनीतिक तनाव आनेवाले दिनों में बढ़ता जाएगा और इससे ईंधन की कीमतें बहुत उछलेंगीं। ऐसी स्थिति में ईंधन आयात के क्षेत्र में भारत की अर्थव्यवस्था को ग्रीन हायड्रोजन के निर्माण से काफी बड़ी राहत मिलेगी।

मराठी

Leave a Reply

Your email address will not be published.