भारत-चीन संबंधों की स्थिति काफी खराब हैं – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

सिंगापूर – ‘भारत और चीन के ताल्लुकात फिलहाल खराब स्थिति में हैं| भारत के साथ किए गए समझौते का चीन द्वारा किया जानेवाला उल्लंघन ही इसकी प्रमुख वजह है| इस पर चीन भारत के सामने अब तक भरोसेमंद खुलासा नहीं कर सका है| इसके आगे भारत के साथ उन्हें कैसे संबंध रखने हैं, इसका निर्णय अब चीन को ही करना है क्योंकि, इससे संबंधित भारत की भूमिका काफी स्पष्ट है और भारत ने इस बात का चीन को स्पष्ट अहसास कराया है’, ऐसा विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने कहा| सिंगापुर के दौरे पर दाखिल होने के बाद एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में जयशंकर ने यह बयान किया|

India-China-Jaishankar‘ब्ल्यूमबर्ग न्यू इकॉनॉमिक फोरम’ द्वारा आयोजित ‘ग्रेटर पॉवर कॉम्पिटिशन : द इमर्जिंग वर्ल्ड ऑर्डर’ के विषय पर आयोजित सेमिनार में जयशंकर ने भारत और चीन के संबंधों की स्थिति पुख्ता शब्दों में रखी| चीन के विदेशमंत्री वैंग ई के साथ हमारी कई बार बातचीत हुई और भारत की यह भूमिका हमने बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में चीन तक पहुँचाई है| यदि, चीन को इस बात को समझना ही होता तो उसने इसे पहले ही समझा होता, ऐसा कहकर जयशंकर ने चीन जानबूझकर सीमा पर तनाव बढ़ा रहा है, यह आरोप उन्होंने लगाया|

महसत्ता के तौर पर अमरीका का अन्त शुरू हुआ है, ऐसे दावे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ लोग कर रहे हैं| कुछ अमरिकी विश्‍लेषक भी ऐसी ही चिंता जता रहे हैं| लेकिन, अमरीका की महासत्ता का अन्त शुरू होने के यह दावे हास्यास्पद हैं, ऐसी फटकार भारत के विदेशमंत्री ने लगाई| वर्तमान में अमरीका अधिक लचीली और अधिक खुली एवं नए विचारों को अवसर प्रदान करनेवाली एवं मिलकर काम करने के लिए अधिक समझदार हुई है, यह बात जयशंकर ने दर्ज़ की| अगले दिनों में अमरीका का स्थान चीन हासिल करेगा, यह अनुमान भी जयशंकर ने खारिज किया| चीन की प्रगति हो रही है, इसमें कोई विवाद नहीं है| लेकिन, अमरीका का स्थान चीन हासिल करेगा, इन दावों में सच्चाई नहीं है, क्योंकि, चीन का उदय अमरीका से काफी अलग पद्धति से हो रहा है| भारत समेत अन्य देश चीन के बराबर अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं, ऐसा कहकर जयशंकर ने चीन को लेकर किए जा रहे दावे अवास्तविक होने की ओर ध्यान केंद्रीत किया|

लेकिन, विश्‍व तेज़ी से बदल रहा है| पहले जैसे एक ही महासत्ता या दो महासत्ताओं का समय अब नहीं रहा और वर्तमान में विश्‍व बहुध्रुवी होने का दावा भारत के विदेशमंत्री ने किया| कोरोना की महामारी ने वैश्वीकरण के पुराने ढ़ांचे के सामने चुनौती खड़ी की है, इस बात का अहसास जयशंकर ने कराया| प्रतिव्यक्ति दो हज़ार डॉलर्स से कम आय की मात्रा वाले भारत ने अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा का बड़े प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करने के लिए डिजिटल और उत्पादन क्षमता का इस्तेमाल करके कोरोना की महामारी का मुकाबला किया, ऐसा जयशंकर ने आगे कहा|

कोरोना की वैक्सीन का निर्माण अन्य देशों में भी हो रहा है| लेकिन, प्रभाव और प्रचंड़ उत्पादन क्षमता एवं मानवी कुशलता का सबसे बेहतर प्रदर्शन भारत में प्रचंड़ संख्या में तैयार हो रही कोरोना की वैक्सीन से देखा जा रहा है| सिर्फ कोरोना की वैक्सीन तक यह बात सीमित नहीं है बल्कि, कुल दवांईयों के निर्माण क्षेत्र में भारत की प्रगति ध्यान आकर्षित करती है| कोरोना के इलाज के लिए आवश्यक हायड्रोक्लोरोक्विन या पैरासिटामोल जैसी दवा की प्रचंड़ मॉंग के दौरान भारत ने इन दवाईयों का निर्माण १० से १५ गुना बढ़ाया था| यह दौर भारत की कसौटी का था, ऐसा जयशंकर ने कहा|

‘ग्रेटर पॉवर कॉम्पिटिशन : द इमर्जिंग वर्ल्ड ऑर्डर’ सेमिनार में बोलते समय जयशंकर ने बदलते विश्‍व में भारत का स्थान काफी अहम होने की बात उचित शब्दों में स्पष्ट की| सीधे नाम का ज़िक्र ना किया गया हो, फिर भी कोरोना की महामारी के दौरान चीन का प्रदर्शन निराश करनेवाला था तथा महासत्ता होने की मंशा वाले देश के अनुसार नहीं थी, ऐसा उन्होंने कहा| इसी दौरान भारत अपनी पूरी शक्ति, स्रोत और कुशलता का प्रयोग करके अपनी जनता को कोरोना की महामारी से बचा रहा था और साथ ही विश्‍व को भी सहायता प्रदान कर रहा था, इस बात पर विदेशमंत्री जयशंकर ने सीधे नाम का ज़िक्र किए बिना ध्यान आकर्षित किया|

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