लद्दाख के ‘एलएसी’ पर तनाव कम करने के लिए बातचीत का नया दौर शुरु करने पर भारत-चीन की सहमति

नई दिल्ली – लद्दाख के एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन की सेना के बीच बातचीत का १४ वां दौर शुरू करने पर दोनों देशों की सहमति हुई है| भारत के विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी साझा की| इससे पहले बातचीत के १३ दौर होने के बावजूद लद्दाख के एलएसी पर तनाव कम नहीं हुआ है| इसके बावजूद दोनों देशों ने इस समस्या का हल बातचीत से निकालने की कोशिश करने पर दोनों देशों की सहमति हुई है, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है|

लद्दाख के ‘एलएसी’लद्दाख की कड़ाके की ठंड़ में चीनी सैनिक लगातार बिमार होने की खबरें बीते वर्ष प्रसिद्ध हुई थीं| इस वर्ष भी चीन की अड़ियलता की वजह से लद्दाख के एलएसी पर अपने सैनिकों की तैनाती करने वाले चीन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा, ऐसा लग रहा है| लेकिन, लद्दाख की ठंड़ का सामना करने के लिए अपनी सेना ने बड़ी तैयारी की है, ऐसे दावे करके चीन के सरकारी मुखपत्र भारतीय सेना को इस ठंड़ में अधिक परेशानी उठानी पड़ेगी, ऐसे हास्यस्पद दावे कर रहे है| इसकी वजह से चीन की बेचैनी और असुरक्षितता अधिक स्पष्ट रूप से विश्‍व के सामने आ रही है| इसका अहसास होने से चीन ने अरुणाचल प्रदेश के ‘एलएसी’ पर अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ाईं थी| इसके ज़रिये लद्दाख के ‘एलएसी’ पर मिली असफलता से ध्यान हटाने की कोशिश चीन की सेना करती हुई नजर आ रही है|

इसी दौरान दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर होनेवाली १४ वें दौर की बातचीत में दोनों देशों के वरिष्ठ सेना अधिकारी शामिल होंगे, ऐसा भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने निवेदन में कहा है| भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर और चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने सितंबर में दुशान्बे में की हुई चर्चा के दौरान सीमा विवाद का हल निकालने के लिए सैन्य और राजनीतिक स्तर की चर्चा जारी रखने की बात स्वीकारी थी| इसकी याद भी भारत के विदेश मंत्रालय के निवेदन में दिलाई गई है|

इससे पहले १० अक्तुबर के दिन हुई १३ वें दौर की बातचीत के दौरान भारतीय सेना ने सीमा विवाद का हल निकालने के लिए चीन को कुछ उचित प्रस्ताव दिए थे| भारतीय सेना ने ही इसकी जानकारी सार्वजनिक की थी| लेकिन, चीन के सैन्य अधिकारियों ने यह प्रस्ताव अवास्तविक एवं एलएसी की स्थिति से मेल नहीं खाती है, ऐसा कहकर इन्कार किया था| चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने बयान किया था कि, एलएसी को लेकर भारत ने चीन के सामने रखी मांग, भारत की क्षमता और एलएसी की स्थिति से मेल नहीं खाती| इस वजह से बातचीत के १३ वें दौर के बाद दोनों देशों के बीच अधिक कड़वाहट बढ़ी थी|

इसके बाद के समय में चीन ने एलएसी पर अपनी सेना की हरकतें अधिक बढ़ाई थीं| साथ ही रक्षा सामान एवं हथियारों की नई तैनाती करके चीन ने भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश की| भारत ने मुंहतोड़ तैनाती करके चीन की हरकतों पर उसी भाषा में प्रत्युत्तर दिया था| इसी कारण एलएसी पर भारत के खिलाफ हम काफी कुछ करके दिखा रहे हैं, ऐसा भ्रम चीन तैयार कर रहा है| इसके लिए चीन प्रचार युद्ध का इस्तेमाल करके इसके ज़रिये भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है| लेकिन, भारतीय सेना चीनी सेना की घुसपैठ बर्दाश्त नहीं करेगी| इस पर जोरदार प्रत्युत्तर दिया जाएगा, यह बात देश के रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत, सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकूंद नरवणे लगातार कह रहे हैं| साथ ही, चीन के प्रचारयुद्ध का शिकार ना हों, ऐसा कहकर देश का सैन्य नेतृत्व जनता को सावधानी का इशारा दे रहा है|

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