अफगानिस्तान में हो रहे आतंकवाद को नजरअंदाज करनेवाली, संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षापरिषद की भारत द्वारा तीव्र आलोचना

संयुक्त राष्ट्रसंघ, दि. २२ : ‘अफगानिस्तान में खूनखराबा करनेवाले आतंकवादियों को हथियार, पैसा और प्रशिक्षण कहाँ से दिया जाता है और इन आतंकवादियों की सुरक्षित जगहें कहाँ पर हैं, इसपर संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षापरिषद भी विचार करने के लिए तैय्यार नहीं’, ऐसे तीखे शब्दों में संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत के राजदूत रहे सय्यद अकबरुद्दीन ने भारत की भूमिका पेश की| सीधे नाम ना लेते हुए, ‘अफगानिस्तान के आतंकवाद के पीछे पाकिस्तान का ही हाथ है’ ऐसा इल्ज़ाम अकबरुद्दीन ने इस वक्त लगाया|

संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षापरिषदअफगानिस्तान के हेल्मंड प्रांत के लष्करगह इलाके में हुए कार बमविस्फोट में २६ लोगों की जानें गयीं होकर, ५० से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं| इसमें अफगानी सेना के जवानों और पुलिस का भी समावेश है| पिछले कई महीनों से अफगानिस्तान में आतंकवादी हमलों की तीव्रता बढती जा रही है| संयुक्त राष्ट्रसंघ में इसपर तीव्र चिंता जताते हुए भारत के राजदूत सय्यद अकबरुद्दीन ने, अफगानिस्तान को अनदेखा करनेवाले आंतर्राष्ट्रीय समुदाय की कड़ी आलोचना की|

‘अफगानिस्तान के अस्पताल, स्कूल और विकासप्रकल्पों पर हमले हो रहे हैं| इतना ही नहीं, बल्कि अफगानिस्तान स्थित अन्य देशों के दूतावासों को भी आतंकवादी लक्ष्य बना रहे हैं| इस तरह अफगानिस्तान में मानवाधिकार का उल्लंघन होते हुए भी आंतर्राष्ट्रीय समुदाय उसकी दखल लेने की लिए तैयार नहीं| इस लापरवाही का ख़तरनाक अंजाम आम अफगानी लोगों को बर्दाश्त करना पड़ेगा’, ऐसे कड़े शब्दों में सय्यद अकबरुद्दीन ने आंतर्राष्ट्रीय समुदाय को फटकार लगा दी|

‘दुनिया के प्रमुख देशों के सैनिक अफगानिस्तान में तैनात हैं| ऐसा होते हुए भी अफगानिस्तान के आतंकवादी इस सेना की परवाह न करते हुए रक्तपाती संघर्ष कर रहे हैं| इन आतंकवादियों को हाथियार, पैसा और प्रशिक्षण कहाँ से मिलता है, इसका विचार सुरक्षापरिषद नहीं करती| साथ ही, इन आतंकवादियों के सुरक्षित स्थान अफगानिस्तान में न होकर, दूसरे देश में हैं, इस बात की दखल भी नहीं ली जाती’ ऐसा कहते हुए, अफगानिस्तान के आतंकवाद के पीछे पाकिस्तान का हाथ है, इसकी याद करायी| साथ ही, अफगानिस्तान की अस्थिरता और अराजकता के नतीजें दक्षिण और मध्य एशियाई क्षेत्र के साथ साथ सारी दुनिया को भी बर्दाश्त करने पड़ रहे हैं, ऐसी चेतावनी अकबरुद्दीन ने इस दौरान दी|

‘तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, अलकायदा, आयएस, लश्कर-ए-तय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर संयुक्त राष्ट्रसंघ ने प्रतिबंध लगाये हैं| इन संगठनों पर कार्रवाई करते समय किसी भी प्रकार का विचार करने की ज़रूरत नहीं|

आतंकवादियों को आतंकवादी के तौर पर ही देखना चाहिए, इस बारे में कोई संदेह ही नहीं’ ऐसे भी अकबरुद्दीन ने आगे कहा|
लेकिन संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षापरिषद ने इन आतंकी संगठनों पर लगाये प्रतिबंध पूरी तरह असफल हुए, ऐसा दावा इस समय अकबरुद्दीन ने किया| अफगानिस्तान में अफू की ख़ेती और ड्रग का व्यापार यह आतंकी संगठनों का आर्थिक स्रोत है, यह बात सुरक्षापरिषद ने ध्यान में नहीं ली, इसी कारण ये प्रतिबंध असफल हुए, ऐसा दावा अकबरुद्दीन ने किया|

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