तालिबान ने अफगानिस्तान में किये भीषण हमले में १४० जवानों की मौत

मजार-ए-शरीफ, दि. २२ : अफगानिस्तान के ‘मजार-ए-शरीफ’ के सेना अड्डे पर भीषण हमला करके तालिबान ने १४० से ज़्यादा जवानों की जाने ली हैं| यह तालिबान का अफगानिस्तान में किया हुआ सबसे भीषण हमला माना जाता है| इस हमले की सभी देशों ने कड़े शब्दों में निर्भर्त्सना की है| तालिबान ने इस हमले की ज़िम्मेदारी उठाकर, मारे गये हमारे नेता का बदला लेने के लिये यह हमला किया है, ऐसा कहा है|

तालिबानशुक्रवार रात के समय अफगानी सेना की वर्दी में आये दस तालिबानी आतंकवादियो ने सेना के इस अड्डे पर रॉकेट्स और ग्रेनेड का तूफ़ानी हमला किया| इसके बाद अंधाधुंद गोलीबारी करके इन आतंकवादियों ने, गाफिल रहे अफगानी जवानों को लक्ष्य बनाया| इसमें दो आतंकवादियों ने आत्मघाती स्फोट करके अफगानी जवानों की जानें लीं| इस समय अधिकतर जवान शस्त्रसिद्ध नहीं थे, इसका पूरी तरह से लाभ आतंकवादियोने उठाया, ऐसा कहा जाता है| बहुत समय तक आतंकवादियों का यह हमला चल रहा था| इन आतंकवादियों में से एक को जिंदा पकड़ने में अफगानी सेना को कामयाबी मिली है, ऐसा कहा जाता है| लेकिन इस हमले की वजह से अफगानी सेना का बहुत बड़ा नुकसान हुआ होकर, इसमें १४० से ज्यादा जवानों की जानें जाने की खबर है|

तालिबान का प्रवक्ता ‘झबिऊल्लाह मुजाहिद’ ने इस हमले की ज़िम्मेदारी का स्वीकार किया है| इस हमले में ५०० अफगानी जवानों को हमने मारा है, ऐसा दावा मुजाहिद कर रहा है| उत्तर अफगानिस्तान में मारे गये हमारे प्रमुख नेता का बदला लेने के लिये यह हमला करवाया, ऐसा भी मुजाहिद ने कहा है| इस हमले के बाद जागतिक स्तर से तीखी प्रतिक्रियाएँ आयीं हैं| अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने वारदात की जगह की भेंट कर, इस हमले का कड़ा निषेध जताया है| भारत ने भी इस हमले की कड़े शब्दों में निर्भत्सना की है। ‘आतंकवादियों का आश्रयस्थान ध्वस्त करने का समय आ गया है’ ऐसा भारत के विदेशमंत्रालय ने कहा है|

तालिबान को पाकिस्तान द्वारा अभय मिलने का आरोप भारत द्वारा हमेशा किया जाता है| इसके कारण, अफगानिस्तान का आतंकवाद खत्म करने के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवाद का आश्रयस्थान ध्वस्त करना अनिवार्य है, ऐसा भारत एवं अफगानिस्तान की सरकारों का कहना है| इसी दौरान, पाकिस्तान के विदेशमंत्रालय ने तालिबान के इस हमले पर निषेध जताया है| लेकिन अमरीका ने अफगानिस्तान में ‘मदर ऑफ ऑल बॉम्बस’ का इस्तेमाल करने के बाद तालिबान ने अफगानी सेना पर किया यह हमला पूरी दुनिया को धक्का देनेवाला साबित हुआ है|

अमरीका ने इस बम का इस्तेमाल ‘आयएस’ के आतंकवादियों पर किया था और इसमें ९० से ज़्यादा आतंकवादी मारे गये थे| लेकिन उसके बाद, अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा ज़्यादा खतरा होने के बावजूद भी इस बम का इस्तेमाल ‘आयएस’ के लिए करने का निर्णय लेनेवाले ट्रम्प प्रशासन की अमरीका में कड़ी आलोचना हुई थी| तालिबान के इस हमले के बाद यह आलोचना और तीव्र होने के आसार हैं| इसीके साथ, अफगानिस्तान में और ज़्यादा जवान तैनात करने के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के फ़ैसले पर जल्द से जल्द अमल शुरू होने की गहरी संभावना है| इसके साथ ही, तालिबान का साथ देनेवाले पाकिस्तान पर इससे बड़ा संकट आनेवाला है| आनेवाले समय में अमरीका भी पाकिस्तान को आड़े हाथ लेगी, ऐसे संकेत अभी से ही मिलने शुरू हुए हैं|

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