कश्मीर विवाद चर्चा से सुलझा सकते है – पाकिस्तानी लष्कर प्रमुख का सुर बदला

इस्लामाबाद: कश्मीर का मुद्दा चर्चा से सुलझाया जा सकता है, इसका एहसास पाकिस्तान के लष्कर प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को हो गया है। दोनों देशों के करोड़ो नागरिकों का भविष्य कश्मीर विवाद शांति से सुलझाने पर निर्भर होने की बात पाकिस्तानी लष्कर प्रमुख ने कही है। पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीति के विरोध में अमरीका की कठोर भूमिका एवं चीन में हुए ब्रिक्स परिषद में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को दिए सूचनाओं का परिणाम इस देश पर हो रहा है, यह जनरल बाजवा के विधान से स्पष्ट हुआ है।

कश्मीर विवादपाकिस्तान में ‘डिफेंस डे’ के अवसर पर आयोजित किए कार्यक्रम में बोलते समय जनरल बाजवा ने कश्मीर का मुद्दा चर्चा से सुलझाने का आवाहन किया है। कश्मीरी जनता पर बल का उपयोग करने से अच्छा, राजनीतिक चर्चा द्वारा यह प्रश्न सुलझाना ज्यादा आसान होगा, ऐसी सलाह पाकिस्तानी लष्कर प्रमुख ने भारत को दी है। इस समय उन्हें भारत का सीधा उल्लेख न करते ‘पड़ोसी देश’ ऐसा उल्लेख किया है। उसी समय अमरीका एवं रशिया यह महासत्ताओं के युद्ध में पाकिस्तान को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी यह खेद बाजवा ने व्यक्त किया है। जिस वजह से पाकिस्तान में कट्टरवाद एवं आतंकवाद फैला ऐसा जनरल बाजवा ने आगे कहा।

पाकिस्तान की भूमि दूसरे किसी भी देश के विरोध में उपयोग में न जाने का बयान जनरल बाजवा ने दिया। साथ ही दूसरे देशों से हमारी भी वही अपेक्षा होने की बात बाजवा ने स्पष्ट की है। उसी के साथ दक्षिण एशिया में पाकिस्तान ने परमाणु शस्त्र नहीं लाए हैं, यह कहते जनरल बाजवा ने भारत पर निशाना साधा। पाकिस्तान में वह परमाणु शस्त्र केवल बचाव के लिए है, ऐसी गवाही भी बाजवा ने दी। दो दिनों पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा असिफ ने महत्वपूर्ण विधान किए थे। ‘लष्कर-ए-तोएबा’ एवं ‘जैश-ए-मोहम्मद’ इन आतंकी संगठनों के तल पाकिस्तान में है यह इकरार करके, असिफ ने इन संगठनों पर कारवाई करने की आवश्यकता होने की बात कही है।

पाकिस्तान इन आतंकी संगठनों को बचाने के लिए हर वक्त चीन जैसे मित्र देशों का उपयोग नहीं कर सकता, यह एहसास करने का प्रयत्न पाकिस्तानी रक्षामंत्री ने किया था।

उसके बाद पाकिस्तानी लष्कर प्रमुख ने कश्मीर के बारे में चर्चा का आवाहन करके अपने देश को युद्ध में रस न होने की बात दिखाने का प्रयत्न किया है। उनका यह विधान मतलब अमरीका एवं ब्रिक्स देशों से आए दबाव पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया है।

चीन जैसे समर्थक देश भी बहराल पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक नीतियों से त्रस्त दिखाई दे रहा हैं। अफगानिस्तान, ईरान यह देश भी पाकिस्तान के नीतियों को लक्ष्य कर रहे हैं।

इन वजहों से दिखावा करते, हम आतंकवाद के समर्थक नहीं यह दिखाना पाकिस्तान के लष्कर के लिए आवश्यक बना है। जनरल बाजवा इसी के लिए प्रयत्न करते दिखाई दे रहे हैं।

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