जर्मनी द्वारा ताइवान के साथ सहयोग मज़बूत करने के संकेत

taiwan-germany-cooperation-1बर्लिन/तैपेई – चीन का युरोप में सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश होनेवाले जर्मनी ने ताइवान के साथ संबंध मज़बूत करने के संकेत दिए हैं। जर्मनी की नई गठबंधन सरकार ने जारी किए ‘कोअ‍ॅलिशन अ‍ॅग्रीमेंट’ में चीन-ताइवान संबंधों का समावेश होकर, उसमें ‘लोकतंत्रवादी ताइवान’ ऐसा उल्लेख किया गया है। जर्मनी की संसद में ताइवान के साथ संबंध मज़बूत करने के संदर्भ में प्रस्ताव भी पारित किया गया है। जर्मनी की शीर्ष कंपनी ‘मर्क’ ने ताइवान में ५० करोड़ यूरो का निवेश करने की घोषणा भी की है। उसी समय, जर्मनी के ‘एफजीएस बेयर्न’ इस विध्वंसक ने बुधवार को साउथ चाइना सी में ताइवान के नजदीकी क्षेत्र में प्रवास किया होने की खबर है।

अमरीका और चीन के बीच का व्यापार युद्ध, कोरोना की महामारी और चीन के विस्तारवादी कारनामे इस पृष्ठभूमि पर पिछले दो सालों में युरोप और चीन के संबंधों में तनाव पैदा होने की शुरुआत हुई है। कोरोना के साथ ही हांगकांग, उइगरवंशीय, ताइवान तथा मानवाधिकारों के मुद्दे पर चीन ने अपनाई आक्रामकता के कारण, युरोपीय देशों में नाराज़गी का माहौल है। उसी में चीन ने, युरोपीय अधिकारियों पर लगाए प्रतिबंधों के कारण यह नाराज़गी अधिक ही तीव्र हुई है। इस पृष्ठभूमि पर, युरोपीय देशों ने चीन से होनेवाले विरोध को नज़रअंदाज करते हुए, ताइवान के साथ संबंध मज़बूत बनाने की शुरुआत की है।

taiwan-germany-cooperation-2सितंबर महीने में युरोपीय संसद ने ताइवान के साथ संबंध मज़बूत करने का फ़ैसला किया था। उसके बाद महासंघ का भाग होनेवाले लिथुआनिया में ताइवान की ‘डिफॅक्टो एम्बसी’ यानी अघोषित दूतावास कहा जा सकता है ऐसा राजनीतिक कार्यालय भी शुरू हुआ था। उसके बाद नवंबर महीने में युरोपीय संसद के प्रतिनिधि मंडल ने ताइवान का दौरा किया था। पिछले ही हफ्ते युरोप के स्लोवाकिया के प्रतिनिधि मंडल ने ताइवान का दौरा किया था। लेकिन युरोप का अग्रसर देश होने वाले जर्मनी ने ताइवान के साथ संबंधों को लेकर की पहल अहम साबित होती है।

पिछले दो दशकों में युरोप और चीन के बीच निर्माण हुई नज़दीकी के पीछे, जर्मन चॅन्सेलर अँजेला मर्केल की चीन समर्थक भूमिका कारण बनी थी। जर्मनी के आर्थिक हितसंबंधों को प्राथमिकता देकर चॅन्सेलर मर्केल ने चीन के विरोध में ठोस भूमिका अपनाना टाला था। जर्मनी के बाद फ्रान्स, ग्रीस, हंगेरी जैसे देशों ने भी चीन के साथ मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित करने पर ज़ोर दिया था। लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीनविरोधी असंतोष की भावना बढ़ने की गूँजें यूरोप में भी सुनाई दे रही हैं और जर्मनी ने भी चीन के विरोध में कदम उठाना शुरू किया है।

taiwan-germany-cooperation-3जर्मनी की नई गठबंधन सरकार ने अपने समझौते में चीन-ताइवान मुद्दे का स्पष्ट रूप में किया उल्लेख, उसका संकेत साबित होता है। इस समझौते में ताइवान का उल्लेख ‘लोकतंत्रवादी ताइवान’ ऐसा किया गया होने की बात भी सामने आई है। ताइवान के माध्यमों ने तथा राजनीतिक अधिकारियों ने भी इस बात का समर्थन किया है। इस उल्लेख के बाद जर्मनी की संसद में मंजूर हुआ प्रस्ताव भी गौरतलब साबित हुआ है। जर्मन संसद की ‘पेटिशन्स कमिटी’ ने मंजूर किये प्रस्ताव में, ताइवान के साथ राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक स्तर पर संबंध मजबूत करें, ऐसे निर्देश सरकार को दिए गए हैं। जर्मनी समेत युरोप के हितसंबंध ध्यान में रखकर, ताइवान के साथ सहयोग मज़बूत करने पर जोर दें, ऐसी सूचना भी प्रस्ताव में की गई है।

इसी पृष्ठभूमि पर, जर्मनी की अग्रसर कंपनी के रूप में जानी जानेवाली ‘मर्क’ ने ताइवान में लगभग ५० करोड़ यूरो का निवेश करने का ऐलान किया। यह निवेश सेमीकंडक्टर तंत्रज्ञान क्षेत्र में है, ऐसा कंपनी द्वारा बताया गया। इसी बीच, जर्मन नौसेना के ‘एफजीएस बेयर्न’ इस विध्वंसक ने बुधवार को साउथ चाइना सी में ताइवान के नज़दीकी सागर क्षेत्र से प्रवास किया होने की बात सामने आई है। जर्मन युद्धपोत ने साउथ चाइना सी में प्रवास करने की पिछले दो दशकों में यह पहली ही घटना साबित हुई है।

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