ताइवान विरोधी युद्ध के दौरान चीन ताइवान के तायचुंग बंदरगाह पर पहला हमला करेगा – अमरिकी अभ्यासगुट का इशारा

वॉशिंग्टन/ताइपे/बीजिंग – चीन की ‘पिपल्स लिबरेशन आर्मी’ ताइवान के खिलाफ युद्ध के दौरान सबसे पहले तायचुंग बंदरगाह पर पहला हमला करेगी, ऐसा इशारा अमरिकी अभ्यासुगट ‘प्रोजेक्ट २०४९’ ने दिया है। वर्णित अभ्यासगुट के वरिष्ठ संचालक इयान स्टोन ने एक रपट जारी की है जिसके ज़रिये यह इशारा भी दिया है कि, चीन ताइवान के बंदरगाहों को अपना पहला लक्ष्य बनाएगा। तायचुंग बंदरगाह ताइवान का दूसरे क्रमांक का बड़ा बंदरगाह है और चीन के रक्षाबलों के ‘एम्फिबियस वॉरफेअर’ के लिए अहम स्थान साबित हो सकता है, यह बयान स्टोन ने किया है।

तायचुंग बंदरगाहस्टोन ने ‘होस्टाईल हार्बर्सः ताइवान्स पोर्टस्‌ ऐण्ड पीएलए इन्वेशन प्लैन्स’ नामक रपट जारी की है। इस रपट में यह दावा किया गया है कि, चीन ने ताइवान पर हमला करने के लिए वर्ष १९९३ से ही कदम उठाना शुरू किया था। चीन के रक्षाबलों की नीति में ताइवान का ज़िक्र ‘मेन स्ट्रैटेजिक डायरेक्शन’ के तौर पर होने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। वर्ष २०१६ में चीन ने अपनी दो शिपिंग कंपनियों का विलय करना एवं वर्ष २०१७ में बनाया गया ‘नैशनल डिफेन्स ट्रान्सपोर्टेशन लॉ’ ताइवान के विरोध में हमला करने की पृष्ठभूमि तैयार करने के कदम थे, यह बात भी स्टोन ने अपनी रपट मे कही है।

ताइवान कई छोटे-बड़े द्विपों से बना देश है और इन द्विपों पर चीन हमले करेगा, इस तरह के दावे पहले भी कई विश्‍लेषकों ने किए थे। लेकिन, स्टोन ने यह दावे ठुकराकर चीन की योजना के अनुसार ताइवान के बंदरगाहों को सबसे अधिक खतरा होने की बात कही है। ताइवान की भौगोलिक स्थिति और रक्षा तैयारी पर गौर करें तो छोटे द्विप एवं किनारों पर हमले करना चीन के रक्षाबलों के लिए लाभदाई नहीं होगा, इस ओर भी स्टोन ने ध्यान आकर्षित किया है। ताइवान पर हमला करने के लिए चीन की ‘पिपल्स लिबरेशन आर्मी’ कम से कम १३ और अधिक से अधिक २२ लाख सैनिक उतार सकता है, यह दावा भी अमरिकी अभ्यासगुट की इस रपट में किया गया है।

इतनी बड़ी संख्या में सैनिकों को उतारने के साथ ही टैंक, बख्तरबंद गाड़ियाँ, युद्धपोत एवं अन्य जहाज़ और भारी मात्रा में अन्य सामान उतारने के लिए छोटे द्विप और किनारे मुश्‍किलें बढ़ाएँगे। इस वजह से बड़े क्षेत्र के विकसित बंदरगाह ही हमले का लक्ष्य बन सकते हैं, यह दावा इयान स्टोन ने किया। तायचुंग बंदरगाह का करीबी क्षेत्र खुला और मैदानी वर्ग का है और रणनीतिक नज़रिये से चीन को इसका बड़ा लाभ हो सकता है, यह दावा अमरिकी अभ्यासगुट की रपट में किया गया है। तायचुंग के साथ ही काओहसिउंग और अन्पिंग बंदरगाह भी चीन के हमले का प्राथमिक लक्ष्य बन सकते हैं, ऐसा स्टोन ने कहा है।

ताइवान के शीर्ष विश्‍लेषक त्जु-युन सू ने भी अमरिकी अभ्यासगुट के इस इशारे का समर्थन किया है। ताइवान के दो अहम रक्षा ठिकाने तायचुंग बंदरगाह से थोड़ीसी दूरी पर होने की ओर भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया है। साथ ही तायचुंग या अन्य करीबी बंदरगाह में ताइवानी रक्षाबल ‘एण्टी एम्फिबियस वॉरफेअर’ का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे, यह दावा भी सू ने किया।

कम्युनिस्ट पार्टी के सर्वेसर्वा और चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने बीते महीने ताइवान के विलय के मुद्दे पर आक्रामक शब्दों में इशारा दिया था। ताइवान का मुद्दा चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत कभी नहीं छोड़ेगी, यह इशारा जिनपिंग ने दिया था। जिनपिंग के इस इशारे से पहले चीन ने ताइवान की खाड़ी समेत ‘ईस्ट चायना सी’ क्षेत्र में कुल डेढ़ सौ ‘स्टेल्थ’ लड़ाकू विमानों की तैनाती करने की बात सामने आयी थी। चीन के रक्षाबलों ने ताइवान के क्षेत्र में गतिविधियाँ बढ़ाई हैं और उनके युद्धपोत, पनडुब्बियाँ एवं लड़ाकू विमानों की घुसपैठ लगातार जारी रही है। चीन ने ताइवान पर हमला करने की रिहर्सल के तौर पर ‘साऊथ चायना सी’ में युद्धाभ्यास करने की बात भी सामने आयी है।

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