जर्मनी ने आर्थिक आज़ादी गंवायी हुई दिख रही है – रशियन विदेशमंत्री की आलोचना

russia-criticise-germany-2मास्को – ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन पाइपलाईन के मुद्दे पर समय की बरबादी करने वाले जर्मनी ने अपनी आर्थिक आज़ादी खोयी हुई दिखाई दे रही है, ऐसी तीव्र आलोचना रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव ने की। पिछले हफ्ते ही जर्मनी की नई सरकार ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन पाइपलाइन की सारी प्रक्रिया अभी पूरी ना होने का दावा किया था। इस दावे के बाद २४ घंटों के भीतर ही अमरीका ने यूक्रैन के मुद्दे पर ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ पर प्रतिबंध लगाने का इशारा दिया था।

‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन पाइपलाइन किसी गठबंधन का चयन करने की आज़ादी प्राप्त होने के लिए शुरू किया हुआ प्रकल्प नहीं है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में व्यावसायिक उपक्रम चलाने की आज़ादी से इसका निर्माण हुआ है। लेकिन, अब जर्मनी के पास उनके आर्थिक हितों की सुरक्षा करने के निर्णय की भी आज़ादी ना रहने की बात दिखती है’, ऐसे स्पष्ट शब्दों में रशियन विदेशमंत्री ने जर्मनी को लक्ष्य किया। आर्थिक आज़ादी खोनेवाला जर्मनी निर्णय के लिए अन्य देशों पर निर्भर होने की बात दिख रही है, यह दावा भी लैवरोव ने किया।

russia-criticise-germany-1सितंबर में रशिया की गाज़प्रोम कंपनी ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन पाइपलाईन का निर्माण पूर्ण होने का ऐलान किया था। तब जर्मनी में सत्ता संभाल रहीं चान्सलर एंजेला मर्केल इस प्रकल्प के पक्ष में थीं। इसके बाद हुए सत्ता परिवर्तन में रशियन ईंधन पाइपलाइन का विरोध कर रहे दल का शासक गठबंध में समावेश हुआ। इसके बाद ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन पाइपलाईन को तकनीकी कारणों से रोका गया है। वर्ष २०२२ में इस प्रकल्प के कार्यान्वयन की अनुमति प्राप्त नहीं मिलेगी, ऐसा जर्मन सरकार ने कहा है। यूक्रैन के मुद्दे पर निर्माण हुए तनाव के बाद इस प्रकल्प के प्रति खड़ी समस्या अधिक बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।

पिछले हफ्ते अमरीका के विदेश विभाग की वरिष्ठ अधिकारी विक्टोरिया नूलैण्ड ने अमरीका ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन पाईपलाइन पर फिर से नए प्रतिबंध लगाएगी, यह इशारा दिया था। इसके साथ ही इस प्रकल्प को अनुमति देने की प्रक्रिया अधिक धीमी करने के लिए अमरीका यूरोपिय मित्रदेशों से बातचीत कर रही है, ऐसे संकेत भी उन्होंने दिए थे। रशियन विदेशमंत्री द्वारा की गई आलोचना की यह पृष्ठभूमि है।

वर्ष २०१४ में क्रिमिया पर कब्ज़ा करने के बाद यूक्रैन के साथ हुए संघर्ष की पृष्ठभूमि पर रशिया ने यूरोप को ईंधन की आपूर्ति करने के लिए उपलब्ध मार्ग के विकल्प की तलाश की थी। इससे ‘नॉर्ड स्ट्रीम’ ईंधन पाईपलाईन के निर्माण का निर्णय किया गया था। इसका पहला चरण पूर्ण हुआ है और रशिया एवं जर्मनी का महत्वाकांक्षी ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ प्रकल्प भी अब पूरा हुआ है। तकरीबन १,२३० किलोमीटर की इस ईंधन पाईपलाईन के माध्यम से यूरोपिय देशों की ईंधन सप्लाई ११० अरब घनमीटर तक बढ़ाने का वादा भी रशिया ने किया है।

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