‘नॉर्ड स्ट्रीम 2’ और कड़ाके की ठंड की पृष्ठभूमि पर यूरोप में ‘एनर्जी क्रायसिस’ की तीव्रता बढ़ी

Europe-Energy-crisis-01ब्रुसेल्स/मॉस्को – जर्मनी की नई सरकार ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम 2’ इंधनवाहिनी की अनुमति स्थगित की होने की खबर है। उसी समय, फ्रान्स के दो परमाणु प्रकल्पों में बिजली निर्माण, तांत्रिक कारणों की वजह से बंद करना पड़ा है। इस पृष्ठभूमि पर, युरोप में बिजली की कीमतें फिर एक बार भड़कने की शुरुआत हुई है। पिछले साल भर में युरोप में प्राकृतिक ईंधन वायु की कीमत में लगभग ४५० प्रतिशत से वृद्धि हुई है। युरोप का अग्रसर देश होनेवाले जर्मनी में बिजली की दरें प्रति मेगावैट/अवर ३४४ युरो पर गईं होकर, यह अब तक की सर्वोच्च दर है। ठंड में तापमान अधिक नीचे ना गिरना, यह एक ही बात युरोप को ‘एनर्जी क्रायसिस’ से बचा सकती है, ऐसी चेतावनी विश्लेषकों ने दी है।

Europe-Energy-crisisकुछ महीने पहले कोरोना की महामारी के संकट से जागतिक अर्थव्यवस्था बाहर निकल रही होने का चित्र सामने आया था। उस समय कई देशों में ईंधन तथा ऊर्जा की माँग अचानक बड़े पैमाने पर बढ़ी थी। लेकिन उत्पादन मर्यादित होने के कारण कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को ‘एनर्जी क्रायसिस’ का सामना करना पड़ा था। उसमें अमरीका, चीन और भारत समेत युरोपीय देशों का भी समावेश था। चीन ने इंधन की आयात बढ़ाकर और भारत ने उत्पादन बढ़ाकर उसपर काबू पाने में सफलता प्राप्त की थी। अमरीका ने अपने ‘स्ट्रैटेजिक रिजर्व’ खुले करके, इंधन के संकट को कुछ हद तक रोका होने का चित्र खड़ा किया था। लेकिन युरोपीय देश अभी भी उससे बाहर ना निकले होकर, उल्टे इन देशों में संकट की व्याप्ति अधिक ही बढ़ रही है।

युरोप के इस ‘एनर्जी क्रायसिस’ के पीछे रशिया का हाथ होने के आरोप बार-बार किए गए थे। युरोप के बिजली निर्माण में प्राकृतिक ईंधन वायु का बड़ा हिस्सा है। इस ईंधन वायु में से ३० प्रतिशत से अधिक ईंधन वायु रशिया से आयात की जाती है। युरोप को होनेवाली ईंधन निर्यात बढ़ाने के लिए रशिया ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम 2’ इस नई ईंधन वाहिनी का निर्माण किया है। लेकिन उस पर अमरीका ने प्रतिबंध लगाए होकर, इससे पहले रशिया को सहयोग करनेवाले जर्मनी ने भी अपनी भूमिका बदलने के संकेत दिए हैं। जर्मनी में हुए सत्ता बदलाव के बाद नई सरकार ने, ‘नॉर्ड स्ट्रीम 2’ को अगले वर्ष के पहले छह महीने में अनुमति ना मिलने के संकेत दिए हैं। यह बात रशिया को ठेस पहुँचानेवाली होने के कारण रशिया प्राकृतिक ईंधन की सप्लाई में मुश्किलें पैदा कर रहा है, ऐसे दावे किए जाते हैं।

Europe-Energy-crisis-02लेकिन रशिया ने ये दावे ठुकराए हैं। रशिया की ‘नॉर्ड स्ट्रीम2’ कार्यरत होने में देरी हो रही है, ऐसे में फ्रान्स के कुल ५६ न्यूक्लियर प्लांट्स में से १४, अगले महीने तक बंद रहनेवाले हैं। इसका बड़ा झटका फ्रान्स समेत युरोपीय देशों को लगा है। फ्रान्स युरोप में, ब्रिटेन तथा अन्य देशों को बिजली की निर्यात करनेवाले देश के रूप में जाना जाता है। ऐसी परिस्थिति में बिजली का उत्पादन घटने के कारण, युरोपीय देशों को अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट से महँगी दरों से बिजली की खरीद करना पड़ रहा है। फ्रान्स और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में बिजली की दर प्रति मेगावैट/अवर ४०० युरो के करीब पहुँची है।

युरोप में बिजली की बढ़ती दरों का असर अन्य उद्योगों पर भी होने लगा है। कुछ कंपनियों ने अपना उत्पादन कम करने का फैसला करने की बात बताई जाती है। युरोपियन सेंट्रल बैंक ने अपनी रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख किया है। अगले साल में युरोप में महँगाई निर्देशांक ३ प्रतिशत पर जाने की संभावना होकर, उसके लिए ‘एनर्जी क्रायसिस’ यह निर्णायक घटक साबित होगा, ऐसी चेतावनी दी गई है।

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