४०० अरब डॉलर्स निवेश के चीन-ईरान द्विपक्षीय समझौते का क्रियान्वयन शुरू

bilateral-talks-china-iran-2तेहरान – पिछले साल चीन के साथ किए गए रणनीतिक सहयोग का क्रियान्वयन शुरू होने का ऐलान ईरान के विदेशमंत्री हुसेन आमिर अब्दोल्लाहियान ने किया है। दोनों देशों के बीच किए गए समझौते के अनुसार चीन अगले २५ वर्षों में ईरान के ईंधन, आर्थिक, सैन्य एवं रक्षा संबंधित क्षेत्रों में ४०० अरब डॉलर्स का निवेश करेगा। एक साल पहले अमरीका के प्रतिबंधों की परवाह किए बिना चीन ने ईरान के साथ यह समझौता किया था।

पिछले हफ्ते खाड़ी देशों के विदेशमंत्री का शिष्टमंड़ल चीन के दौरे पर था। चीन ने ईंधन और व्यापारी सहयोग के मुद्दे पर खाड़ी के नेताओं से चर्चा करने की खबरें सामने आयीं थी। तो, चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने ‘गल्फ को-ऑपरेशन काऊन्सिल’ (जीसीसी) के महासचिव से मुलाकात की थी। इसके बाद ईरान के विदेशमंत्री चीन पहुँचे और उन्होंने विदेशमंत्री वैंग से बीते साल किए समझौते पर चर्चा करने की जानकारी दोनों देशों ने साझा की थी।

पिछले वर्ष मार्च में चीन और ईरान ने समझौता किया था। इसके अनुसार अगले २५ वर्षों में चीन कुल ४०० अरब डॉलर्स का ईरान में निवेश करेगा। इस समझौते का क्रियान्वयन शुरू करने का ऐलान चीन और ईरान ने किया। इनमें से कौनसे प्रकल्प का काम कब से शुरू होगा, इसका ब्यौरा दोनों देशों ने सार्वजनिक नहीं किया है। लेकिन, पिछले वर्ष अमरीका के प्रमुख अखबार ने प्रसिद्ध की हुई जानकारी के अनुसार चीन ने ईंधन संबंधित निवेश के लिए ज्यादा अहमियत दी थी।

bilateral-talks-china-iran-1चीन ईरान का प्रमुख व्यापारी भागीदार देश है और ईरान के ईंधन का सबसे बड़ा खरीददार देश भी है। अमरीका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान करने के बाद भी चीन ने ईरान से छुपकर ईंधन खरीदकर ईंधन का भंड़ारण किया था, ऐसा खाड़ी देशों के विश्‍लेषकों का कहना था। अमरीका में सत्ता परिवर्तन के बाद मार्च में ही चीन ने ईरान के साथ ४०० अरब डॉलर्स का समझौता करके ज्यो बायडेन के प्रशासन की हम परवाह नहीं करेंगे, यही दिखाया। इस पृष्ठभूमि पर चीन ने ईरान के साथ किया हुआ यह सहयोग अमरीका के प्रतिबंधों का प्रभाव खत्म करने के लिए अहम साबित होगा, यह विश्‍वास ईरान के नेता व्यक्त कर रहे हैं।

इसी बीच, पिछले साल किए गए इस रणनीतिक समझौते का इस्रायल ने बड़ी तीव्रता से विरोध किया था। ‘ईरान को राजनीतिक स्तर पर सुरक्षा की ज़रूरत है। अमरीका का बायडेन प्रशासन ट्रम्प प्रशासन की तरह आक्रामक नहीं है, चीन को इसका अहसास है’, इन शब्दों में इस्रायल के पूर्व गुप्तचर प्रमुख अमोस यादलिन ने गुस्सा व्यक्त किया था। ईरान और चीन ने इस रणनीतिक समझौते के क्रियान्वयन का ऐलान करने के बाद बायडेन प्रशासन का बयान अभी प्राप्त नहीं हुआ है। इस वजह से बायडेन प्रशासन चीन को लेकर सौम्य नीति अपना रहा है, यह बात फिर से साबित हुई है। सिर्फ चीन के खिलाफ बयान करके उन पर लगे आरोपों पर जवाब देने की कोशिश बायडेन प्रशासन करता है। लेकिन, असल में चीन के खिलाफ पुख्ता कदम उठाने के लिए बायडेन का प्रशासन तैयार नहीं है।

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