संयुक्त राष्ट्र संगठन की बैठक की पृष्ठभूमि पर रशिया द्वारा अमरीका और तुर्की की आलोचना

न्यूयॉर्क – अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने प्रस्तावित किया ‘डेमोक्रॅसी समिट’ यह शीतयुद्धकालीन मानसिकता का भाग होकर, उससे अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में ‘हम बनाम वे’ ऐसा विभाजन हो सकता है, ऐसी आलोचना रशिया के विदेश मंत्री ने की है। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संगठन की महासभा को संबोधित करते समय, विदेश मंत्री सर्जेई लॅव्हरोव्ह ने अमरीका की विदेश नीति की भी आलोचना की। महासभा को संबोधित करने के बाद बुलाई पत्रकार परिषद में, रशियन मंत्री ने तुर्की की नीतियों पर भी नाराज़गी ज़ाहिर की होने की बात सामने आई है।

संयुक्त राष्ट्र संगठन की बैठकअमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने पिछले ही महीने में ‘लीडर्स समिट फॉर डेमोक्रसी’ का प्रस्ताव रखा था। अमरीका की पहल से दिसंबर महीने में यह परिषद आयोजित की जानेवाली है। लोकतंत्र के सामने होने वाली चुनौतियाँ और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग, इन मुद्दे पर परिषद में चर्चा होगी, ऐसा व्हाईट हाउस की ओर से बताया गया है। यह वर्चुअल समिट होकर, उसमें सहभागी होनेवाले देशों का चयन अमरीका द्वारा किया जानेवाला है। रशिया और चीन का बढ़ता वर्चस्व रोकने के लिए अमरीका मोरचा बनाने की कोशिश कर रही होकर, ‘डेमोक्रसी समिट’ उसी का भाग होने का दावा विश्लेषकों द्वारा किया जा रहा है।

बायडेन प्रशासन द्वारा लोकतंत्र तथा सहयोग का कारण बताया जा रहा है, फिर भी वास्तव में उसके उद्देश्य अलग होने का आरोप रशियन विदेश मंत्री ने किया। ‘परिषद में सहभागी होनेवाले देशों का चयन अमरीका द्वारा किया जानेवाला है। सहभागी होनेवाले देश के लोकतंत्र का दर्जा अमरिकी निकषों के अनुसार तय किया जायेगा। दरअसल इस उपक्रम का हुलिया शीत युद्ध के दौर की बातों के साथ मिलता जुलता है। मतभेद अथवा नाराज़गी ज़ाहिर करनेवालों के विरोध में नया वैचारिक संघर्ष खड़ा करना, यह इस परिषद के पीछे का उद्देश्य दिख रहा है’, ऐसी आलोचना विदेश मंत्री सर्जेई लॅव्हरोव्ह ने की है।

‘वैचारिक आधार पर दुनिया का विभाजन करना नहीं है, ऐसे दावे अमेरिका द्वारा किए जाते हैं। लेकिन डेमोक्रसी समिट जैसे उपक्रम यही दर्शाते हैं कि ऐसा विभाजन करना यही अमरीका का उद्देश्य है। वास्तव में डेमोक्रसी समिट यह, दुनिया में ‘हम बनाम वे’ ऐसी दरार बनाने की दिशा में उठाया कदम है’, ऐसा करारा आरोप रशियन विदेश मंत्री ने किया। पिछले कुछ महीनों में साइबर हमले, युक्रेन, लष्करी तैनाती इन जैसे कई मुद्दों को लेकर अमरीका और रशिया के बीच तनाव निर्माण हुआ दिखाई दे रहा है। यह तनाव नज़दीकी दौर में कम होने की संभावना नहीं है, यह लॅव्हरोव्ह की आलोचना से दिखाई दे रहा है।

इसी बीच, संयुक्त राष्ट्र संगठन की महासभा को संबोधित करने के बाद बुलाई पत्रकार परिषद में रशियन विदेश मंत्री ने तुर्की की भी खबर ली। कुछ दिन पहले तुर्की ने रशिया के चुनाव पर प्रतिक्रिया देते समय, क्रिमिआ के चुनाव अवैध होने का दावा किया था। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने भी, तुर्की क्रिमिआ के रशिया में सहभाग को कभी भी मान्यता देने वाला नहीं है, ऐसा जताया था। इस पृष्ठभूमि पर लॅव्हरोव्ह ने तुर्की को लक्ष्य किया। ‘ तुर्की के पास विदेश नीति और राजनीतिक स्तर पर उचित समझ तथा व्यवसायिकता ना होने की बात दिखाई देती है। क्रिमिआ का मुद्दा अब खत्म हुआ है और व्यवसायिक स्तर पर कार्यरत रहनेवाले लोग यह जानते हैं’, इन शब्दों में रशियन विदेश मंत्री ने फटकार लगाई ।

इस समय लॅव्हरोव्ह ने सिरिया के संघर्ष का मुद्दा भी उपस्थित किया और इदलिब में रशिया ने किये हमलों का समर्थन किया। सिरियन भूमि पर आतंकवाद के विरोध में की जा रही कार्रवाई के मुद्दे पर समझौता नहीं होगा, ऐसी आक्रामक भूमिका रशियन विदेश मंत्री ने रखी।

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