जर्मनी आर्थिक मंदी के कगार पर पहुँचा है – जर्मन बैंक और विश्लेषकों का इशारा

बर्लिन – यूरोप के आर्थिक इंजन के नाम से जाना जा रहा जर्मनी फिलहाल काफी बड़े संकट का सामना कर रहा है। रशिया से प्राप्त हो रहे ईंधन पर निर्भर जर्मनी में ईंधन की कीमतें आस्मान छू रही हैं और इस देश की अर्थव्यवस्था फिलहाल मंदी की कगार पर पहुँची है। जर्मन अर्थव्यवस्था की गिरावट लंबे समय तक चलेगी, ऐसी चेतावनी जर्मनी की सेंट्रल बैंक ने दी है। ईंधन की कीमतें बढ़ने से जल्द ही देश में अनाज का संकट भी निर्माण होगा, ऐसा दावा जर्मन अखबार ने विश्लेषकों के दाखिले से किया है।

जर्मनी समेत फ्रान्स यूरोपिय महासंघ के सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश हैं। फिर भी महासंघ के अधिकांश निर्णयों पर जर्मनी का प्रभाव रहता है। इस वजह से जर्मनी को ही यूरोप के आर्थिक इंजन के नाम से जाना जाता है। लेकिन, यूरोप के इस इंजन की गति धीमी हो रही है और आनेवाले समय में यह इंजन बंद भी पड़ सकता है, ऐसी चिंता जर्मनी के बैंक, माध्यम एवं विश्लेषक जता रहे हैं।

जर्मनी की कुल ५० प्रतिशत ईंधन की ज़रूरत सिर्फ रशिया पूरी करती है। पिछले १५ सालों से जर्मनी रशियन ईंधन पर पूरी तरह से निर्भर है। लेकिन, रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद जर्मनी ने अन्य पश्चिमी देशों के साथ रशिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इससे आगबबूला हुई रशिया ने जर्मनी समेत यूरोपिय देशों की ईंधन सप्लाई रोक दी।

ईंधन पर निर्भर जर्मनी की अर्थव्यवस्था को इससे काफी बड़ा नुकसान होने लगा है। जर्मनी का उद्योगक्षेत्र भी इससे प्रभावित हुआ है और इसका सीधा असर इस देश के विकास पर हो रहा है, इस पर जर्मनी की सेंट्रल बैंक ‘बुंडेस बैंक’ ने अपनी रपट में ध्यान आकर्षित किया। ईंधन की कीमतों में उछाल की वजह से इस साल के अन्त तक जर्मनी में महंगाई दर १० प्रतिशत की सीमा पार करेगा, यह चेतावनी भी बुंडेस बैंक ने दी।

इसी बीच मौजूदा वर्ष के आखीर में और अगले साल की पहली तिमाही में जर्मनी की अर्थव्यवस्था अधिक सिकुड़ जाएगी, यह दावा इस बैंक से जुड़े विश्लेषकों ने किया। ठंड़ का मौसम जैसे-जैसे करीब आता जाएगा, इसके साथ ही जर्मनी में संकट तीव्र होने लगेगा, ऐसा इन विश्लेषकों का कहना है। ईंधन की कीमतों में उछाल के कारण जर्मनी उत्पादकों ने पहले से ही अपने फ्रोज़न और ताज़ा उत्पादनों के निर्माण की गति धीमी कर दी है।

इस बीच बाज़ार की माँग की तुलना में आपूर्ति काफी कम मात्रा में होने की जानकारी भी सामने आ रही है। इस वजह से आनेवाले समय में जर्मनी में अनाज और आवश्यक सामान की कमी भी निर्माण हो सकती है, ऐसा इशारा कुछ विश्लेषक दे रहे हैं, ऐसी खबर जर्मन अखबार ने प्रसिद्ध की है।

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